ईद उल अज़्हा की नमाज़ का तरीका और ईद के दिन की सुन्नतें
Eid Ul Adha Ki Namaz Ki Niyat – ईद उल अज़्हा की नमाज़ की नियत
इमाम बिस्मिल्लाह सूरए फातिहा और कोई सूरत पढे ( मुक्तदी यहाँ भी खामोश खडे रहे ) जब इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहे तो कानों तक हाथ ले जाकर छोड़ दे ! एक बार फिर अल्लाहु अकबर कहे अल्लाहु अकबर कहे तो कानों तक हाथ ले जाकर छोड़ दे ! फिर से अल्लाहु अकबर कहे तो कानों तक हाथ ले जाकर छोड़ दे और जब चौथी बार फिर से अल्लाहु अकबर कहे तो बगैर हाथ उठाए अल्लाहु अकबर कहता हुआ रुकू में जाए और उसके बाद और नमाज़ के मुताबिक नमाज़ पूरी करे ।
Eid Ul Adha ki Namaz kaTarika
यानी की जैसी और नमाज़ होती है वैसे ही नमाज़ पढ़ना है ! बस पहली रकअत में नियत के बाद पहली तकबीर हाथ बांधकर सना पढ़ेंगे ! फिर सना पढ़ने के बाद तीन बार ( तीन तकबीर होगी ) दो बार अल्लाहु अक्बर कहते हुए हाथ उठाना है और छोड़ देना है और तीसरी बार में अल्लाहु अक्बर कहते हुए हाथ उठाना है और हाथ बांधना है इसी तरह दूसरी रकअत में सूरह फातिहा और दूसरी सूरह के बाद तीन बार अल्लाहु अक्बर कहते हुए हाथ उठाना है और छोड़ देना है ! और चौथी बार में रुकू में जाना है ! और बाकी नमाज़ और नमाज़ो की तरह ही इमाम साहब के पीछे पूरी करेंगे ! जब ईद की नमाज़ मुकम्मल हो जाए तो फिर इमाम साहब ख़ुत्बा पढ़ेंगे ! जिसे गौर से सुन्ना चाहिए ! जुम्मा का खुत्बा वाजिब है जिसे सुन्ना जरुरी है ! बहरहाल किसी मज़बूरी के कारन ईद का खुत्बा नहीं भी सूना तो कोई बात नहीं ! लेकिन सुन्ना अफजल है !
Aurton ki Eid Ul Adha ki Namaz kaTarika – औरतों की ईदुल अज़्हा की नमाज़ का तरीका
ईद की नमाज़ (Eid Ul Adha Ki Namaz) वाजिब नमाज़ है लिहाजा ईद की नमाज़ (Eid Ul Adha Ki Namaz) औरतों पर वाजिब नहीं है ! लिहाज़ा औरते घर पर ही रहकर नफ़्ल नमाज़ अदा करे जैसे शुक्राने की दो रकअत नफ़्ल या चास्त की नमाज़ याद रहे ईद की नमाज़ (Eid Ul Azha Ki Namaz) से पहले कोई भी नफ़्ल नमाज़ नहीं होगी जब तक मर्दो की ईद की नमाज़ (Eid Ul Adha Ki Namaz) न हो जाए ! तब तक घर की औरते कोई भी नफ़्ल या चास्त की नमाज़ अदा नहीं कर सकती ईद की नमाज़ (Eid Ul Adha Ki Namaz) मुसाफिर पर बीमार पर अपाहिज पर बहुत ज्यादा बूढ़े आदमी पर औरतो पर वाजिब नहीं होती है !ये भी पढ़े – क़ुरबानी की दुआ