अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो इस पोस्ट में हज करने का तरिका ( Hajj Ka tarika ) बताया है ! हज के दौरान हमें हज के कौन कौन से अरकान अदा करना है ! और हज के दौरान किन चीज़ो का परहेज करना है ! हज करने का तरीका ( Hajj Ka tarika ) यानि हज की पूरी जानकारी हिंदी ( Hajj Ki poori janakari hindi mein ) में बताने कि कोशिश की है !
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Hajj Karne Ka Tarika
मीकात :
मीकात उस मकाम को कहते हैं ! जहां से एहराम बांधा जाता है ! नोट : हवाई जहाज से जाने वाले हाजियों को अपने मुल्क के एयरपोर्ट से ही एहराम बांध लेना चाहिए !
क्योंकि हवाई जहाज़ में न मीकात का पता चलता ! और न गुस्ल व तहारत, लिबास बदलने और नमाज़ वगैरह की सहूलियत वहां होती है !
ह बा वुजू हज की नीयत से बगैर सिली हुई लूंगी ! पहने और एक सफेद चादर ओढ कर ! दो रकअत नमाज़ बहनीयते एहराम पढना ! और सलाम फेरने के बाद हज की नीयत करना एहराम कहलाता है !
नोट : ओरत अपने सिले हुए कपड़ों में ही एहराम की नीयत करेगी !
हज तीन तरह का होता है !
इफराद, तमत्तोअ और किरान
सिर्फ हज का एहराम बांधना इफराद कहलाता है !
सिर्फ उमराह का एहराम बांधा ! और मक्का पहुंच कर उमराह करना ! Aur और एहराम खोल देना ! और फिर मक्का ही में हज का एहराम बांधना तमत्तोअ कहलाता है !
मीकात से हज और उमराह दोनों का एक ही साथ एहराम बांधना किरान कहलाता है !
नोट : किरान हालांकि सबसे अफजल है ! लेकिन उसमें एहराम की पाबन्दियां बहुत लम्बे टाइम तक रखनी पड़ती हैं !
एहराम बांधने के बाद “अल्लाहुम्मा लब्बैक, ला शरीक लक लब्बैक इन्नल हम्द वन्नेअमत लका वल मुल्क लाशरीक लक” बुलन्द आवाज़ से पढने का नाम तल्बिया है ! और इसे आम बोल चाल में लब्बैक पढना भी कहते हैं ( इसे ज़बानी याद कर लेना चाहिए )
हज करने का तरीका हिंदी में
तवाफ
खानए काबा के चारों तरफ सात चक्कर लगाना तवाफ कहलाता है ! तवाफ के पहले तीन फैरों में बहादुरों की तरह कंधे हिलाते हुए ! और जल्दी जल्दी छोटे छोटे कदम रखते हुए चलने का नाम रमल है !
तवाफ में एहराम की चादर दाहिनी बगल के नीचे दोनों पल्लू बाएं मूृढ़े पर डालना इज्तिबाअ कहलाता है !
नोट: तवाफ में औरत के लिए रमल ओर इज्तिबाअ नही है !
सई
मकके में सफा और मरवाह नाम की दो पहाड़ियां हैं ! उनके बीच सात बार दौड़ते हुए आने जाने का नाम सई है !
नोट: औरत के लिए दौड़ना नहीं है ! सिर्फ मामूली रफ्तार से चलना है ! तवाफ और सई का नाम उमराह है !
रुक्ने असवद :
खानए काबा के उस कोने को कहते हैं ! जहां हजरे असवद नाम का (स्याह पत्थर) चान्दी के एक गोल दायरे में नसब है ! खानए काबा की जुनूबी (दख्खन) दीवार को मुस्तजाब कहते हैं !
जो रुकने असवद ओर रुकने यमानी के बीच है ! यहां दुआओं पर आमीन कहने के लिए सत्तर हज़ार फरिश्ते हर वक्त खड़े रहते हैं !
खानए काबा के इर्दगिर्द वो ज़मीन जिसमें तवाफ किया जाता है ! उसे मताफ कहते हैं ! खानए काबा के शिमाली (उत्तरी) दीवार के बाहर छोटे से दायरे में एक जगह घेरी गई है ! उसे हतीम कहते हैं ! पुराने जमाने में ये खानए काबा ही का हिस्सा था ! इसलिए इसमें दाखिल होना खानए काबा ही में दाख़िल होना है !
हजरे असवद को मुंह से चूमना या हाथ या लकड़ी से छू कर हाथ और लकड़ी को चूम लेना इस्तिलाम कहलाता ह! बाल मुण्डवाना हलक कहलाता है !
Hajj Karne Ka Tarika
मक़ामे इबराहीम
खानए काबा के सामने शीशे के फ्रेम में एक पत्थर रखा है ! जिसमें हज़रत सय्यदना इबराहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम के दोनों कदमों के गहरे निशानात हैं ! इसको मक़ामे इबराहीम कहते हैं !
नोट : ये निशानात उस वक्त के हैं ! जब आज से ढाई तीन हज़ार बरस पहले आप उस पत्थर पर नंगे पांव खड़े होकर खानए काबा की दीवार चुन रहे थे ! ये खुदा का कदरती इंतजाम था कि उसने अपने ख़लील की एक मुकदृद्स निशानी को आज तक महफूज ही नहीं रखा ! बल्कि कुरआन में उसकी तरफ नमाज़ पढने का हुक्म दे कर उसकी ताजीम व तौकीर का ऐतकाद बन्दों के दिल में उतारा है !
सफा व मरवाह :
सफा व मरवाह के बीच दो हरे रंग के पत्थर लगे हुए हैं ! जिन्हें मीलेन अखज़रैन कहते हैं ! इन्ही दो पत्थरों के बीच हिस्से में हर हाजी (मर्द) को दौड़ना पड़ता है !
मिना : मक्का से चार पांच मील की दूरी पर पहाड़ों से घिरा हुआ एक मैदानी हिस्सा है ! जिसे मिना कहते हैं !
यहां 8 ज़िलहिज्जा को हर हाजी के लिए जोहर से लेकर सुब्ह तक कयाम करना ! और पांच वक्त की नमाज़ यहां पढना ज़रुरी है !
मिना में एक जगह थोड़े फासले पर गारे और पत्थर से तीन छोटे बड़े पीलर बनाए गए हैं ! जिन्हें आम बोल चाल में शेतान कहा जाता है ! उन्हीं शैतानों को छोटे छोटे कंकर मारना रमीए जमरात कहलाता है !
नोट : इस्लाम में ये रिवायत मशहूर है ! कि जब हज़रत इबराहीम अलेैहिस्सलाम अपने इकलोते बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को अपने साथ लिए हुए मिना के उसी रास्ते से कुर्बानगाह की तरफ जा रहे थे ! कि अपने बेटे को खुदा के हुक्म के मुताबिक जिब्ह करें !
तो रास्ते में तीन जगह शैतान ने हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को रोका था ! ओर उन्होने हर बार उसे पत्थर मार कर दफा किया था ! उन्हीं तीनों जगहों पर शैतान की निस्बत से पत्थर के सुतून बना दिए गए हैं !
अरफा या अरफात
अरफा या अरफात उस मैदान को कहते हैं ! जहां नौवी ज़िल हिज्जा को वकूफ यानी कयाम किया जाता है ! जो हज का सबसे बड़ा रुकन है ! अगर ये छूट जाए तो हज ही नहीं होता ! यहां जोहर के वक्त ही में असर की नमाज़ जमाअत से पढी जाती है !
ओर गुरुबे आफताब के बाद मगरिब की नमाज़ पढे बगैर अरफात का मैदान छोड़ देना पड़ता है ! और मुज़दलफा ( एक मैदान ) पहुंच कर मगरिब की नमाज़ पढी जाती है !
एहराम बांधते ही जो चीज़े हराम होगी ! उनसे सख्त परहेज किया जाए ! वर्ना हज का फरीज़ा सही तौर पर अदा न होगा !
एहराम बाँधने के बाद परहेज करने वाली चीज़े
औरत के साथ सोहबत या ब’हालते शहवत वो सारे काम जो सोहबत से पहले किए जाते हैं !
जंगली जानवरों का शिकार करना या जिब्ह करना ! या उन कामों में किसी तरह की मदद करना ! यहां तक कि बेचना या खरीदना ! अपना या दूसरे का नाखून कतरना या कुरेदना या दूसरे का बाल मूण्डना या मुण्डवाना या उखेड़वाना ! मुंह या सर को किसी कपड़े वगैरह से छपाना !
बस्ता या कपड़े की गठरी वगैरह सर पर रखना ! इमामा बांधना या पगड़ी या मोजा पहनना या ऐसा जूता जिससे कदम का दरमियानी हिस्सा छुप जाए ! सिला हुआ कपड़ा पहनना ! खुश्बू बालों, बदन या कपड़ों में लगाना !
या खुश्बूदार कपड़ा पहनना, मुश्क, जाफरान, अंबर, जावत्री, लोंग, इलायची, दारचीनी वगैरह खाना या जैतून या तिल्ली या कोई भी खुश्बुदार तेल वगैरह इस्तेमाल करना !
ऐसी चीज़ों को अपने आंचल में बांधना जिनमें खुश्बू हो ! या गूंद वगैरह से बाल जमाना ! अपनी या दूसरे की जुंएं मारना ! या मारने का इशारा करना या कोई ऐसा काम जिससे जूएं मारना चाहता हो। . (बहारे शरीअत)
नोट : कुछ चीजे ऐसी हैं जो एहराम की हालत में मर्दों के लिए हराम हैं ! लेकिन औरतों के लिए जाइज़ हैं ! जैसे सर छुपाना ! सिले हुए कपड़े पहनना ! सर पर बस्ता उठाना गूंद वगैरह से बाल जमाना हाथों में दस्ताने पहनना !
नोट : एहराम की हालत में मुंह छुपाना औरत को भी हराम है !
आप जब भी हज पे जाए बातों का ख्याल रखे ! और हमारे हक़ में भी दुआ करे !
अल्लाह करीम से दुआ है की ज़िंदगी एक मर्तबा सभी मुसलमानो को हज करने शरफ़ अता करे ! आमीन ! या रब्बुल आलमीन