Taraweeh ki Namaz ka Tarika Hindi Mein
अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो ! इस पोस्ट में हमने तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) का तरीका बताया है ! आदमियों की तरावीह की नमाज़ का तरीका और औरतों की तरावीह की नमाज़ का तरीका ( aurat ki taraweeh ki namaz ka tarika ) दोनों बताये है !
तरावीह की नमाज़ में क्या-क्या पढ़ना है ? तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) में कौनसी सूरह पढ़नी है ? और तरावीह की नमाज़ की नियत ( taraweeh ki namaz ki niyat )क्या है ? सभी कुछ बताया है ! इसलिए पोस्ट को निचे तक पढ़िए शायद आपके सारे कन्फूज़न दूर हो जाए !
सबसे पहले एक बात और बताना चाहता हूँ की अधिकतर लोग तरावीह की नमाज़ को ( taraweeh ki namaz ) तराबी की नमाज़ ( tarabi ki namaz ) बोलते है ! लिहाज़ा तरावीह बोला करे !
रमज़ान मुबारक में तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) को बडी अहमियत हासिल है ! तरावीह की नमाज़ सुन्नते मुवक़्क़ेदा है । अल्लाह के प्यारे रसूल ने कभी-कभी यह नमाज़ जमाअत के साथ अदा फरमाइ ! और कभी अकेले घर में पढी
खुल्फ़ाए राशेदीन के ज़माने से तरावीह की 20 रकात जमाअत से अदा होती चली आ रही है ! औंर इन रकातो में पूरे महीने में ‘एक कुरआन ख़त्म का एहतेमाम होता चला आ रहा है
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तरावीह की नमाज़
हालाकि के बदलते ज़माने के साथ हमारी सोच भी बदलती जा रही है ! और हमने इसे एक रस्म समझ लिया !
जब कि यह एक इबादत है । अक्सर मस्जिदों से ख़त्मे क़ुरआन का इन्तेज़ाम किया जाता है,
लेकिन वह भी रस्म के तौर पर, क्यों कि तेज़ रफ्तार पढने वाले हाफिजों का तक़क़र्रुर होता है !
जो जल्दी से 20 रकातें पूरी कर लेते है ! यहीँ वजह है कि छोटी तरावीह के बाद नमाज़ीयो की सब से ज्यादा भीड़ उन मस्जिदों में पहुचती है ! जहां तराबीह की नमाज़ जल्द ख़त्म हो जाती है ।
याद रहे, फटा-फट रुकू सजदे करके 20 रकाते पढ़ लेना ही काफी नहीं ! तरावीह का यहीँ मक़सद नहीँ । यह भी याद रहे कि तेज रफ्तारी से पढ़ लेने वालों की तिलावत तिलावत नहीं होती । वह तिलावत के आदाब, तौर तरीकों का ख़याल नहीं रख पाते ! इसलिए उन की नमाज़ नहीं होती !
इस तरह तक़रीन 20-30 मिनट तक मेहनत करने के बावजूद हमारी कोशिश व मेंहनत बेकार चली जाती है ! हम सिर्फ एक रस्म अदा कर लेते है , बस ।
तरावीह की नमाज़
लोगो ने अपनी सहूलत के एतबार से तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) अदा करने के कई तरीके बना लिए । कुछ लोग तो अपने टाइम के हिसाब से ‘अपने घर पर ही किसी हाफिज़ का इन्तेज़ाम कर के घर पर ही तरावीह की नमाज़ अदा करते है ।
इसी तरह लोगो की जरूरत व पसन्द के मुताबिक अलग अलग मस्जिदों में अलग अलग वक़्तों में नमाज़ होती है । कहीँ एक हफ्ते ने ख़त्म तो कही 10 दिन में तो कहीँ महीने ने दो ख़त्म !
अफ़सोस, हम ने अपने आपको शरीअत के सांचे से ढालने के बजाए शरीअत को अपने ढांचे में ढालने की राह निकाल ली है ! तो भला सवाब के हक़दार कैसे हो सकेंंगे
खैर इबादत क़ुबूल करना नहीं करना अल्लाह के हाथ में है ! लिहाज़ा कोशिश ये करे कि हम नेक नियति से इबादत करे ! और मन में ऐसा नहीं लाये की वहाँ जल्दी तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) हो जाती है तो वही चले ! पहला हक़ पड़ोस की मस्जिद का होता है ! तो वही पढ़े ! बाकी नेक नियति से जिस भी मस्जिद में जाएंगे अल्लाह आपकी इबादत क़ुबूल करे ! आमीन ! रब्बुल आलमीन !
रमज़ान की रातों में इशा की नमाज़ के बाद 20 रकात तराबीह पढना सुन्नते मुवक़्क़ेदा है ! जो लोग अपनी नादानी, लापर्वाही से इस नमाज़ को नहीं पढते वह गुनहगार और अल्लाह की अताओं से महरूम होते हैँ !
तरावीह की नमाज़ का तरीका -Taraweeh Ki Namaz Ka Tarika
ईशा के वक़्त इस तरह से नमाज़ अदा करेंगे
1.-ईशा की सुन्नत 4 रकअत
2.-ईशा की फ़र्ज़ 4 रकअत
3.-ईशा की सुन्नत 2 रकअत
4.-ईशा की नफ़्ल 2 रकअत
5.-तरावीह की सुन्नते मुवककेदा 20 रकअत (2X2) हर 4 रकअत के बाद तरावीह की तस्बीह
6.-वित्र वाजिब 3 रकअत ( 2 तदबीरों के )
7.-ईशा की नफ़्ल 2 रकअत
दो-दो रकात की नियत से 20 रकात नमाज़ मर्द जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करते है ! और बहने (औरते ) घर पर अदा करती है ! सबसे पहले मर्द की तरावीह की नमाज़ का तरीका बताते है ( मस्जिद या घर पर ) उसके बाद औरतों की तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) का तरीका बताएँगे !
मर्दो की तराबीह की नमाज़ की नियत – taravih ki niyat
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का , पीछे इस इमाम के मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लेना है फिर सना पढ़ेंगे ! सना के अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !
हर रकअत में इमाम साहब क़ुरान शरीफ़ की जो भी सूरह पढ़े उसे ध्यान लगाकर सुनना है ! रुकू सजदा और बाकि सभी अरकान वही रहेंगे जो दूसरी नमाज़ो में रहते है !
इस तरह दो-दो रकअत करके 20 रकअत पढ़ना है !और जब भी चार रकअत पूरी हो जाए तरावीह की दुआ पढ़नी है ! तरावीह की दुआ निचे दी गयी है !
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नोट – 1. मर्द अगर तराबीह की नमाज़ घर पर अकेले पढ़ रहे हो तो पीछे इमाम के नहीं बोलेंगे !
2. मर्द तरावीह की नमाज़ पढ़ने मस्जिद जाता है ! और किसी कारण ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ की जमाअत छूट जाती है ! इस कंडीशन में वो वित्र की नमाज़ अकेले ही पढ़ेगा ! यानी इमाम साहब के पीछे जमाअत से नहीं पढ़ेगा
तराबीह की नमाज़ की नियत ( अकेले में ) taraweeh ki namaz ki niyat
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का , मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लेना है
अकेले में तराबीह की नमाज़ का तरीका taraweeh ki namaz ka tarika
हाथ बाँध लेने के बाद सना पढ़ेंगे ! सना के अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !
फिर सूरह फातिहा के बाद आप अलम त र से तरावीह की नमाज़ अदा कर सकते है ! और अगर अलम त र की सूरह याद नहीं है तो आप चारो कुल पढ़कर भी नमाज़ अदा कर सकते है !
अब सवाल ये है की अलम त र क्या है ?
दरअसल क़ुरान शरीफ की आखिरी 10 सूरह को अलम त र कहने का रिवाज़ है ! इसका ख़ास कारन ये है की
क़ुरान शरीफ की 105 वी सूरह – अल-फ़ील का पहला लफ्ज़ अलम त र है
और इसके बाद की सारी सूरह मिलाकर 10 सूरह होती है और हर रकअत में एक सूरह पढ़ी जाए तो 20 रकअत तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) में 2 बार अलम त र मुकम्मल हो जाती है ! इसीलिए इसे अलम त र कहा जाता है
जिस तरह से सूरह फातिहा का पहला वर्ड – अल्हम्दु है तो हम इस सूरह को अल्हम्दु शरीफ भी बोलते है उसी तरह से सूरह फ़िल का पहला वर्ड अलम त र है ! इसलिए हमें इसे अलम त र बोलते है
असल बात ये है की क़ुरआन शरीफ़ की आखिरी 10 सूरह का पहला लफ्ज़ ही अलम त र है ! इसीलिए आम बोलचाल की भाषा में हम अलम त र से तरावीह की नमाज़ ( alam tra se taraweeh ki namaz ) कहते है
ये सूरह सभी को याद होना चाहिए ! हमने दस ही सूरह निचे बतायी है कोशिश कीजिये सभी याद हो जाए नहीं तो आपको जो भी सूरह याद हो उससे तरावीह की नमाज़ तो हो ही जायेगी !
मतलब साफ़ है की हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद वह सूरह पढ़ले जो आपको याद हो !
जब दो -दो रकअत करके चार रकअत मुकम्मल तब आपको तरावीह की दुआ पढ़नी चाहिए ! इस तरह 20 रकअत तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) में 5 मर्तबा तरावीह की तस्बीह ( taraweeh ki tasbih ) पढ़ी जायेगी ! जिसे हम तरावीह की दुआ ( taraweeh ki dua ) कहते है
अलम त र की 10 सूरह निचे दी गयी है इनमे से जो भी सूरह आपको याद हो वो सूरह फातिहा के बाद पढ़ सकते है
औरतो की तरावीह की नमाज़ का तरीका taraweeh ki namaz ka tarika
हमारी प्यारी बहनो को भी तरावीह की नमाज़ एहतेमाम घर पर करना चाहिए ! क्यूंकि जिस तरह तरावीह की नमाज़ आदमियों के लिए सुन्नते मुवक़्क़ेदा है ! उसी तरह तरावीह की नमाज़ औरतों के लिए सुन्नते मुवक़्क़ेदा है ! जो नमाज़े तरावीह अदा नहीं करेंगी वह गुनहगार होंगी !
औरतो की तराबीह की नमाज़ की नियत
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का , मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर हाथ बाँध लेना है
औरतो की तराबीह की नमाज़ का तरीका taraweeh namaz for ladies
हाथ बाँध लेने के बाद सना पढ़ना है ! सना के अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !
बाकी नमाज़ वैसी ही पढ़ना है जैसे और नमाज़ पढ़ी जाती है ! नमाज़ में सूरह फातिहा के बाद जो सूरह पढ़ी जायेगी वो निचे दी गयी है ! या जो भी सूरह आपको याद् हो आप वो भी पढ़ सकती हो !
फिर 2×2 की नियत से जब चार रकअत नमाज़ अदा हो जाए ! तब आपको तरावीह की तस्बीह पढ़नी चाहिए ! इस तरह 20 रकअत तरावीह की नमाज़ में 5 मर्तबा तरावीह की तस्बीह पढ़ी जायेगी ! जिसे हम तरावीह की दुआ भी कहते है
चार रकात के बाद बैठ कर थोडी देर आराम किया जाता है, उस दौरान यह दुआ पडी जाती है
तराबीह की तस्बीह – TARABIH KI DUA
सुब्हा-नल मलिकिल क़ुद्दूस * सुब्हा-न ज़िल मुल्कि वल म-ल कूत * सुब्हा-न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत * सुब्हा-नल मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत * सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह * अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि * या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर *
अलम त र
SOORAH AL-FATIHA ARABIC
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
1. الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
2. الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
3. مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
4. إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
5. اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
6. صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ
7. غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
सूरह फ़ातिहा
1. अल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन
2. अर्रहमा निर्रहीम
3. मालिकि यौमिद्दीन
4. इय्याका न अ बु दु व इय्याका नस्तईन
5. इह दिनस सिरातल मुस्तक़ीमा
6. सिरातल लज़ीना अन अम्ता अलै हिम
7. गैरिल मगदूबी अलै हिम वलद्दाल्लीन *(आमीन )
SOORAH AL-FATIHA ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Alhamdu lillaahi Rabbil ‘aalameen
2. Ar-Rahmaanir-Raheem
3. Maaliki Yawmid-Deen
4. Iyyaaka na’budu wa lyyaaka nasta’een
5. Ihdinas-Siraatal-Mustaqeem
6. Siraatal-lazeena an’amta ‘alaihim
7. ghayril-maghdoobi ‘alaihim wa lad-daaalleen
SOORAH AL-FIL ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. أَلَمْ تَرَ كَيْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِأَصْحَٰبِ ٱلْفِيلِ
2. أَلَمْ يَجْعَلْ كَيْدَهُمْ فِى تَضْلِيلٍ
3. وَأَرْسَلَ عَلَيْهِمْ طَيْرًا أَبَابِيلَ
4. تَرْمِيهِم بِحِجَارَةٍ مِّن سِجِّيلٍ
5. فَجَعَلَهُمْ كَعَصْفٍ مَّأْكُولٍۭ
सूरह फ़िल
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. अलम त र कै फ़ फ़ अ ल रब्बु क बि अस्हाबिल फ़ील
2. अलम यज’अल कै द हुम फ़ी तदलीलिंव
3. व अर स ल अलैहिम तैरन अबाबील,
4. तरमीहिम बिहिजारतिम मिन सिज्जिलिन
5. फ़ ज अ ल हुम क अस्फ़िम मअकूल 0
नोट : अलम त र पढे या इनमें से जो सूरह याद हो पढ़े
SOORAH AL-FIL ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1.Alam tara kaifa fa’ala rabbuka bi ashaabil feel
2.Alam yaj’al kai dahum fee tad leel
3.Wa arsala ‘alaihim tairan abaabeel
4.Tar meehim bi hi jaaratim min sij jeel
5.Faja ‘alahum ka’asfim m’akool
SOORAH AL-QURAISH ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. لِإِيلَٰفِ قُرَيْشٍ
2. إِۦلَٰفِهِمْ رِحْلَةَ ٱلشِّتَآءِ وَٱلصَّيْفِ
3. فَلْيَعْبُدُوا۟ رَبَّ هَٰذَا ٱلْبَيْتِ
4. ٱلَّذِىٓ أَطْعَمَهُم مِّن جُوعٍ وَءَامَنَهُم مِّنْ خَوْفٍۭ
सूरह क़ुरैश
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. लि ईलाफ़ि कुरैशिन
2. ईला फ़िहिम रेह लतश शिताइ वस सैफ
3. फ़ल यअबुदु रब ब हाज़ल बैतिल
4. लज़ी अत अ म हुम मिन जुइंव व आ म न हुम मिन खौफ़ 0
SOORAH AL-QURAISH ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Li-ilaafi quraish
2. Elaafihim rihlatash shitaa-i wass saif
3. Fal y’abudu rabba haazal-bait
4. Allazi at’amahum min ju’inw-wa-aamana hum min khawf
SOORAH AL-MA’UN ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. أَرَءَيْتَ ٱلَّذِى يُكَذِّبُ بِٱلدِّينِ
2. فَذَٰلِكَ ٱلَّذِى يَدُعُّ ٱلْيَتِيمَ
3. وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلْمِسْكِينِ
4. فَوَيْلٌ لِّلْمُصَلِّينَ
5. ٱلَّذِينَ هُمْ عَن صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ
6. ٱلَّذِينَ هُمْ يُرَآءُونَ
7. وَيَمْنَعُونَ ٱلْمَاعُونَ
सूरह मा’ऊन
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. अ र अै तल लज़ी युकज़्ज़िबु बिद्दीन
2. फ़ जालिकल लज़ी यदुअ उल यतीम 0
3. वला यहुहुद्दु अला तआमिल मिस्कीन ०
4. फ़ वै लुल लिल मुसल लीनल
5. लज़ी न हुम अन सलातिहिम साहूनल
6. लज़ी न हुम युराऊ न
7. व यम नऊनल माऊन ०
SOORAH AL-MA’UN ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Ara-aital lazee yu kazzibu bid deen
2. Fa zaalikal lazi yadu’ul-yateem
3. Wa la ya huddu ‘alaa ta’amil miskeen
4. Fa wai lul-lil mu salleen
5. Al lazeena hum ‘an salaatihim sahoon
6. Al lazeena hum yuraa-oon
7. Wa yamna’oonal ma’oon
SOORAH AL-KAUTHAR ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. إِنَّآ أَعْطَيْنَٰكَ ٱلْكَوْثَرَ
2. فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَٱنْحَرْ
3. إِنَّ شَانِئَكَ هُوَ ٱلْأَبْتَرُ
सूरह कौसर
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. इन्ना अअतैना कल कौसर
2. फ़सल लि लि रब्बि क वन हर
3. इन न शानि अ क हुवल अबतर ०
SOORAH AL-KAUTHAR ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Innaa a’taina kal kauthar
2. Fa salli li rabbika wanhar
3. Inna shani-aka huwal abtar
SOORAH AL-KAFIRUN ARABIC
1. قُلْ يَٰٓأَيُّهَا ٱلْكَٰفِرُونَ
2. لَآ أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُونَ
3. وَلَآ أَنتُمْ عَٰبِدُونَ مَآ أَعْبُدُ
4. وَلَآ أَنَا۠ عَابِدٌ مَّا عَبَدتُّمْ
5. وَلَآ أَنتُمْ عَٰبِدُونَ مَآ أَعْبُدُ
6. لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِىَ دِينِ
सूरह काफ़िरून
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. कुल या अय्युहल काफ़िरून*
2. ला अबदु माँ ता अबुदन*
3. वाला अन्तुम आबिदु न माँ आबुद*
4. वला अना आ बिदुम माँ अब ततुम*
5. वला अन्तुम आबिदु न माँ आ बू दू *
6. ला कम दिनु कम व लिय दीन*
SOORAH AL-KAFIRUN ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Qul yaa-ai yuhal kaafiroon
2. Laa a’budu ma t’abudoon
3. Wa laa antum ‘aabidoona maa a’bud
4. Wa laa ana ‘abidum maa ‘abattum
5. Wa laa antum ‘aabidoona ma a’bud
6. Lakum deenukum wa liya deen.
SOORAH AN-NASR ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. إِذَا جَآءَ نَصْرُ ٱللَّهِ وَٱلْفَتْحُ
2. وَرَأَيْتَ ٱلنَّاسَ يَدْخُلُونَ فِى دِينِ ٱللَّهِ أَفْوَاجًا
3. فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَٱسْتَغْفِرْهُ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ تَوَّابًۢا
सूरह नस्र
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम ० ‘
1. इज़ा ज अ नसरुल्लाहि वल फ़तहु
2. व र अै तन ना स यदखुलू न फी दीनिल्लाहि अफ़वाजा
3. फ़सब्बिह बिहम्दि रब्बि क वस्तग़ फ़िर हू इन्नहु का न तव्वाबा ०
SOORAH-AN-NASR ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Iza jaa-a nas rullahi walfath
2. Wa ra-aitan naasa yadkhuloona fee deenil laahi afwajah
3. Fa sab bih bihamdi rabbika was taghfir, innahu kaana tawwaaba
SOORAH-AL-LAHAB ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. تَبَّتْ يَدَآ أَبِى لَهَبٍ وَتَبَّ
2. مَآ أَغْنَىٰ عَنْهُ مَالُهُۥ وَمَا كَسَبَ
3. سَيَصْلَىٰ نَارًا ذَاتَ لَهَبٍ
4. وَٱمْرَأَتُهُۥ حَمَّالَةَ ٱلْحَطَبِ
5. فِى جِيدِهَا حَبْلٌ مِّن مَّسَدٍۭ
सूरह लहब
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम ० ‘
1. तब्बत यदा अबी ल हबिव व तब्ब
2. मा अग्ना अनहु मालुहू वमा कसब
3. सयस्ला नारन ज़ा त ल ह बिव
4. वम र अतुहू हम्मा लतल हतब
5. फ़ी जीदिहा हब्लुम मिन मसद
SOORAH-AL-LAHAB ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Tab bat yadaa abee Lahabinw-wa tabb
2. Maa aghna ‘anhu maaluhu wa ma kasab
3. Sa yas laa naran zaata lahab
4. Wam ra-atuhu hamma latal-hatab
5. Fee jeediha hab lum mim-masad
SOORAH-AL-IKHLAS ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ
2. ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ
3.لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ
4. وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ
सूरह इखलास
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. कुल हुवल्लाहु अहद
2. अल्लाहुस्समद
3. लम यलिद व् लम यूलद
4. वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद*
SOORAH-AL-IKHLAS ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Qul huwal laahu ahad.
2. Allah hus-samad.
3. Lam yalid wa lam yoolad.
4. Wa lam yakul-lahu kufuwan ahad.
SOORAH-AL-FALAQ ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلْفَلَقِ
2. مِن شَرِّ مَا خَلَقَ
3. وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ
4. وَمِن شَرِّ ٱلنَّفَّٰثَٰتِ فِى ٱلْعُقَدِ
5. وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ
सूरह फलक
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. कुल अऊजू बि रब्बिल फ़लक़
2. मिन शर्रि माँ खलक
3. वमिन शर्रि ग़ासिक़ीन इज़ा वकब
4. व् मिन शर्रिन नफ्फा साति फ़िल उक़द
5. व् मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद
SOORAH-AL-FALAQ ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Qul a’uzoo bi rabbil-falaq.*
2. Min sharri ma khalaq.*
3. Wa min sharri ghasiqin iza waqab.*
4. Wa min sharrin-naffaa-saati fil ‘uqad.*
5. Wa min shar ri haasidin iza hasad.*
SOORAH-AN-NAAS ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. قُل أَعوذُ بِرَبِّ النّاسِ
2. مَلِكِ النّاسِ
3. إِلٰهِ النّاسِ
4. مِن شَرِّ الوَسواسِ الخَنّاسِ
5. الَّذى يُوَسوِسُ فى صُدورِ النّاسِ
6. مِنَ الجِنَّةِ وَالنّاسِ
सूरह नास
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
1. कुल अऊजू बि रब्बिन नासि
2. मलिकिन नासि
3. इला हिन्नासि
4. मिन श र्रि ल वस् वासिल खन्ना सि
5. अल्लज़ी युवस विसु फी सुदु रिन्नासी
6. मिनल जिन्नति वन्नास
SOORAH-AN-NAAS ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
1. Qul a’uzu birabbin naas.
2. Malikin naas.
3. Ilaahin naas.
4. Min sharril was waasil khannaas.
5. Al lazee yuwas wisu fee sudoorin naas.
6. Minal jinnati wan naas
अगर आपको सूरह रेहमान याद तो हर रकअत में सूरह रेहमान की 3×3 आयते पढ़कर भी आप नमाज़ अदा कर सकती हो !
वित्र वाजिब नमाज़ में पढ़ने वाली दुआ – दुआ-ए-क़ुनूत
Dua e Qunoot Arabic-
اَللَّهُمَّ إنا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِئْ عَلَيْكَ الخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعأئ وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو. رَحْمَتَكَ وَنَخْشآئ عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالكُفَّارِ مُلْحَقٌ
दुआ-ए-क़ुनूत –
अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनु क व नस-तग़-फिरू- क व नु’अ मिनु बि-क व न तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैर * व नश कुरु-क वला नकफुरु-क व नख्लऊ व नतरुकु मैंय्यफ-जुरूक * अल्लाहुम्मा इय्या का न अ बुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु व इलै-क नस्आ व नह-फिदु व नरजू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़ *
Dua e Qunoot English –
Allah humma inna nasta-eenoka wa nastaghfiruka
wa nu’minu bika wa natawakkalu alaika wa nusni alaikal khair,
wa nashkuruka wala nakfuruka wa nakhla-oo wa natruku
mai yafjuruka,
Allah humma iyyaka na’budu wa laka nusalli wa nasjud
wa ilaika nas aaa wa nahfizu wa narju rahma taka
wa nakhshaa azaabaka inna azaabaka bil kuffari mulhik
दुआए क़ुनूत याद ना हो तो ये दुआ पढ़े
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतव वफिल आखिरति हसनतव वकिना अज़ाबन नार
Rabbana Aatina Fid-Dunya Hasanatanw Wa-fil Aakhirati Hasanatanw Waqina Azaaban Naar
you also read dua e qunoot full details in hindi
Aapki web site par aakar acha lga
shukriya bhai
Excellent
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