Friday, May 10, 2024
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QAZA NAMAZ PADHNE KA TARIKA HINDI MEIN

क़ज़ा नमाज़ ओर क़ज़ाए उमरी का बयान तरीका

बिला उज़्रे शरई (बीमारी) नमाज़ क़ज़ा (qaza namaz) करना सख्त गुनाह है ! जल्द से जल्द अदा करना और तौबह करना फर्ज है ! मकरूह वक्त के अलावा किसी वक़्त भी क़ज़ा नमाज़ (qaza namaz) पढ सकते है’ ! 

साहिबे तरतीब पर तरतीब के साथ क़जा नमाज़ (qaza namaz) फर्ज है ! ( जिसके जिम्मे सिर्फ छह नमाजों से कम क़जा हो, वह साहिबे तरतीब है ) साहिब तरतीब बगेर क़ज़ा पढे , जमाअत में शरीक नहीं हो सकता ! 

क़जाए उमरी में सिर्फ फर्ज और वित्र की क़ज़ा पढी जाएगी ! पहले ज़रूरी है कि क़ज़ा नमाज़ो (qaza namaz) का हिसाब करे ! बालिग होने के बाद जिस कद्र नमाज़े क़ज़ा हुई उनको अलग अलग शुमार करके जमा कर ले !

यानी फज़्र जोहर , असर, मग़रिब और इशा व वित्र की कुल तादाद और यह हिसाब आसान है ! 

इसलिए कि आप अपनी जिन्दगी के बडे से बडे हिसाब अन्दाजे से या कम ज्यादा करके निपटा सकते है !

तो क़ज़ा नमाज़ो (qaza namaz) का हिसाब भी अन्दाजे से किया जा सकता है । ( कुछ ज्यादा हो जाए कोई हरज नहीं ! कम न हो । ) 

जैसे आपने हिसाब किया कि फज़्र की नमाज़ क़ज़ा ( fazr ki qaza namaz) की तादाद दो हजार है , 

(zuhar ki qaza namaz)जौहर की एक हजार है ! इसी तरह से तमाम नमाजो की तादाद हिसाब करके लिख लें फिर आप 

फज़्र के वक्त फज़्र की क़जा ! जोहर के वक्त , जोहर की क़जा ! इसी तरह नमाज़ो की क़जा पढते रहे ! 

और हिसाब से कम करते रहे !  क़जाए उमरी के लिये नियत इस तरह करे । 

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क़ज़ाए उमरी नमाज़ की नियत – Qaza Namaz Ki Niyat 

नियत की मेने मेरे जिम्मे जितनी फज़्र की नमाज़ बाकी हैं उनमें से पहली नमाज़ अदा करने की वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबे शरीफ की  तरफ ! अल्लाहु अकबर !

इसी तरह हर नमाज़ में नियत करते रहें ! फज़्र की पढना हो तो फज़्र का नाम लें ! जौहर की पढना हो तो जोहर इसी तरह अस्र , मगरिब , इशा ओंर वित्र की नियत करें ! 

एक तरीका यह भी है कि पहले तमाम फ़ज की क़ज़ा पढ लीं जाए  ! फिर जोहर की तमाम क़ज़ा ! इसी तरह फिर अस्र, मग़रिब इशा की पढी जा सकती है ! हिसाब रखना ज़रूरी है । 

अगर मुसाफिर होने की हालत की नमाजें हों तो चार फर्ज की जगह दो रकअत कस्र की पढेगा । 

मस्अलह : क़ज़ा नमाज़े नवाफ़िल से अहम हैं यानी जिस वक्त नफ़्ल पढ़ता है ! यानी जोहर में आखिर के दो नफ़्ल अस्र की शुरू की चार सुन्नत , मग़रिब में आखिर के दो नफ़्ल इशा के शुरू की चार सुन्नत और वित्र से पहले और बाद के दो दो नफ़्ल! , 

इन्हें छोड़कर  इनके बदले क़ज़ाए पढे ताकि बरिन्जिम्मा हो जाए ! इसी तरह जागने वालीं रातों में नवाफिल की जगह क़ज़ा नमाज़ पढे तो बेहतर है। क्यूंकि क़ज़ा नमाज़ जब तक पूरी न हो जाए नफ़्ल क़ुबूल नहीँ होती है 

जिसके जिम्मे फ़र्ज नमाज़ की क़ज़ा ( fazr ki qaza namaz) बाकी हो और वह नफ़्ल नमाजे अदा करने क्री फिक्र मे लगा रहे 

उसकी मिसाल ऐसी है जैसे किसी शख्स पर बहुत सा कर्ज बाकी हो और वह क़र्ज़ अदा करने के बजाए 

लोगो मे खैरात तक्सीम करता फिरे !

fajr ki qaza namaz padhne ka tarika 

किसी भी कारण से अगर आपकी फज़्र की नमाज़ क़ज़ा ( fajr ki qaza namaz) हो गयी हो तो हमें फ़ज़्र की क़ज़ा नमाज़ अदा करने का तरीका भी याद होना चाहिए 

आप को चाहिए ! कीसी कारण से उठने में देरी हो गयी या फ़ज़्र का वक़्त निकल गया तो आपको चाहिए की तुलुअ आफ़ताब के वक़्त तक ठहरा जाये 

फिर जब आप फज़र की क़ज़ा नमाज़ ( fajr ki qaza namaz) पढ़ेंगे तो पहले फ़ज़्र की दो सुन्नत  क़ज़ा की शक्ल में पढ़ेंगे जिसकी नियत इस तरह होगी 

niyat- fajar ki qaza sunnat namaz ki 

नियत की मेने फ़ज़्र की दो रकअत नमाज़ सुन्नत की क़ज़ा की शक्ल में !  वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबे शरीफ की  तरफ ! अल्लाहु अकबर !

इसी तरह फ़ज़्र की फ़र्ज़ क़ज़ा नमाज़ की नियत इस तरह करेंगे

niyat- fajar ki qaza farz namaz ki 

नियत की मेने फ़ज़्र की दो रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की क़ज़ा की शक्ल में !  वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबे शरीफ की  तरफ ! अल्लाहु अकबर !

याद रखिये दिन में जवाल का वक़्त जो की लगभग 11. 30 से 12 .30  के बीच में होता है वह देखले ! और इस वक़्त के बीच में कोई नमाज़ ना पढ़े ! जवाल का मकरूह वक़्त ख़त्म होने के बाद ज़ुहर का वक़्त शुरू हो जाता है तब अगर आपको फ़ज़्र की क़ज़ा नमाज़ ( fajr ki qaza namaz) पढ़नी है तो सिर्फ 2 रकअत फ़र्ज़ ही क़ज़ा की शक्ल में अदा करेंगे 

यानी ज़ुहर से पहले अगर फ़ज़्र की क़ज़ा ( fajr ki qaza namaz) पढ़ेंगे तो दो सुन्नत दो फ़र्ज़ और 

ज़ुहर के वक़्त या किसी और वक़्त अदा करेंगे तो सिर्फ दो फ़र्ज़ !

अगर किसी वजह से आपकी ज़ुहर की नमाज़ ( zuhar ki namaz ) छूट जाती है ! और ज़ुहर का पूरा वक़्त निकल जाता है ! तो ज़ुहर की चार रकअत नमाज़ क़ज़ा की शक्ल में मग़रिब में पढ़े ! 

याद रहे असर के वक़्त असर की नमाज़ के आलावा कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जाती है ! बाकि नमाज़ किसी भी वक़्त अदा कर सकते है 

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