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रसूलुल्लाह के विसाल की ऐतिहासिक घड़ी आसमानों की तैयारी और धरती की कश्मकश

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रसूलुल्लाह के विसाल की ऐतिहासिक घड़ी आसमानों की तैयारी और धरती की कश्मकश

रसूलुल्लाह के विसाल की ऐतिहासिक घड़ी आसमानों की तैयारी और धरती की कश्मकश

हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्‍लम और मलकुल-मौत 

हुजूर सरवरे आलम सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्‍लम के विसाल शरीफ का जब वक्‍त आया तो मलकुल-मौत हज़रत जिब्रईल के साथ में हाजिर हुआ ! जिब्रईल अमीन ने अर्ज किया: या रसूलल्लाह ! यह मलकुल-मौत आया है और आपसे इजाज़त तलब करता है। हुजूर ! इसने आज तक कभी न किसी से इजाजत ली है और न आपके बाद किसी से इजाजत लेगा। हुजूर अगर.इजाजत दें तो अपना काम करे।  हुजूर ने फरमाया: मलकुल-मौत को आगे आने दो ! चुनांचे मलकुल-मौत आगे बढ़ा और अर्ज़ करने लगा: या रसूलुल्लाह ! अल्लाह तआला ने मुझे आपकी तरफ भेजा है ! मुझे यह हुक्म दिया है कि मैं आपका हर हुक्म मानूं और जो आप फरमायें वही करू। लिहाजा आप अगर फरमायें तो मैं रूहे मुबारक कब्ज करूं वरना वापस चला जाऊं।

जिब्रईल ने अर्ज किया ! या रसूलललाह ! आज आसमानों पर हुजूर के इस्तिकबाल की तैयारियां हो रही हैं।  खुदा तआला ने जहन्नम के दारोगा मालिक को हुक्म दिया है कि मालिक मेरे हबीब की रूह ए मुबारक आसमानों पर तशरीफ ला रही है ! इस एज़ाज़ में दौजख की आग बुझा दो और जन्नत की हूरों से फरमाया है कि तुम सब अपनी आरास्तगी करो और सब फरिश्तों को हुक्म दिया है कि रूहे मुस्तफा की ताज़ीम के लिये सब सफ-ब-सफ खड़े हो जाओ और मुझे हुक्म फरमाया है कि मैं आप की खिदमत में हाजिर होकर आपको बशारत दूं कि तमाम अंबियाए और उनकी उम्मतों पर जन्नत हराम है जब तक कि आपकी उम्मत जन्नत में दाखिल न हो जाये, कल क्यामत को अल्लाह तआला आपकी उम्मत पर आपके तुफैल इस बख्शिश व मग्फिरत की बारिश फ़रमायेगा कि आप राजी हो जायेंगे

हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्‍लम और मलकुल-मौत 

फिर हुजूर ने मलकुल-मौत से फरमाया : ऐ मलकुल-मौत ! तुम्हें जान लेने की इजाजत है ! जिब्रईल बोले: हुजूर। अब जबकि आप तशरीफ लिये जा रहे हैं तो फिर जमीन पर मेरा यह आखिरी फेरा है ! इसलिये कि मेरा मकसद तो आप ही थे। इसके बाद मलकुल-मौत कब्जे रूह अनवर के शर्फ से मुशर्रफ हुआ !

नबीये करीम के विसाल के बाद जब ग़ुस्ल देने की बारी आयी , तो सब कश्मकश में पढ़ गए !  हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्‍लम के गुस्ल मुबारक के वक्‍त सभी सहाबाए किराम सोचने लगे और आपस में कहने लगे-जिस तरह दूसरे लोगों के कपड़े उताकर उनको गुस्ल दिया जाता है उसी तरह हुजूर के कपड़े मुबारक उतारकर हुजूर को गुस्ल दिया जाये या हुजूर को कपड़ों समेत गुस्ल दिया जाये। इस बात पर गुफ्तगू कर रहे थे कि अचानक सब पर नींद तारी हो गयी ! और सबके सर उनके सीनों पर ढुलक आये ! फिर सबको एक आवाज आयी । कहने वाला कह रहा था तुम जानते नहीं यह कौन हैं? खबरदार ! यह रसूलुल्लाह हैं ! इनके कपड़े न उतारना । इन्हें कपड़ों समेत ही गुस्ल दो।  फिर सबकी आंखें खुल गयीं।  हुजूर को कपड़ों समेत ही गुस्ल दिया गया ।

मवाहिब लदुन्नियः: ज़िल्द 4  सफा 571 , मिश्कात शरीफ सफा 541

मदारिजुनुबुव्व: ज़िल्द 2 , सफा 254

मुवाहिब लदुन्निय: जिल्द 2  सफा 378 , मिश्कात सफा 537

  1. सबक : हमारे हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्‍लम की इतनी बड़ी शान है कि वह मलकुल-मौत जिसने कभी किसी बड़े-से-बड़े बादशाह से भी इजाजत नहीं ली, हमारे हुजूर की खिदमत में हाजिर होकर पहले इजाजत तलब करता है। यूं कहता है कि अगर आप फुरमायें तो जान लूं वरना वापस चला जाऊ।  खुदा उसे यह हुक्म देकर भेजता है कि मेरे महबूब की इताअत करना, जो वह फरमायें वही करना।  बावजूद इसके जो गुस्ताख हुजूर को अपनी मिस्ल कहते हैं किस कदर गुमराह हैं ? क्या कभी इनसे भी मलकुल-मौत ने इजाजत ली है ?
  2. सबक : हमारे हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्‍लम का एजाज व इकराम दोनों आलम में है। जिन्‍न व बशर, हूर व मलाइक सभी हुजूर के खुद्दाम व लशकरी हैं। आप दोनों आलम के बादशाह हैं।
  3. सबक : हमारे हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान सबसे मुमताज और बुरगजीदा है। कोई शख्स ऐसा नहीं जो उनकी मिस्ल हो आपकी यह जिन्दगी, आपका विसाल शरीफ आपका गुस्ल शरीफ और आपका कब्रे अनवर में रौनक अफरोज होना हर बात आपकी मुमताज है , कोई शख्स किसी बात में आपकी मिस्ल नहीं।

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