Monday, May 13, 2024
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Abbas Alamdar Ki Shahadat Ka Waqiya

 

अलमबर्दार की शहादत – Abbas Alamdar Ki Shahadat Ka Waqiya

मैदाने करबला में हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु के दोस्त अहबाब, भतीजे ओंर भांजे शहीद हो गये तो हज़रत अब्बास  Abbas Alamdar  रजियल्लाहु तआला अन्हु खिदमते इमाम में हाजिर हुए और कहा कि अब मुझे मेदान में जाने की इजाज़त दीजिये !

अब तो हद हो गयी है । इन जालिमों ने हमारे सब अजीज शहीद कर दिये ! और बाकी जो हैं प्यास के मारे निढाल हो रहे हैं ! मुझसे छोटे बच्चों की प्यास देखी नहीं जाती ! में पानी लेने फुरात पर जा रहा हूँ !

हजरत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु ने अपने भाई को चंद बातें तालीम फरमा कर रुखसत फ़रमाया ! आप मशक लेकर फुरात की जानिब रवाना हुए ! फुरात पर चार हजार फौजियों का घेरा था ! हज़रत अब्बास ( Abbas Alamdar ) ऩे जो फुरात पर क़दम रखा तो सबने आपको घेर लिया !

आपने उनसे मुखातिब होकर फ़रमाया तुम लोग मुसलमान हो या काफिर ?  बहे बोले हम मुसलमान हैं ! आपने फ़रमाया: मुसलमानों में यह कब रखा है ! कि चरिन्द परिन्द सब पानी पियें ! और फर्जन्दे मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम प्यासे तड़पें !

तुम लोग क़यामत की प्यास से नहीं डरते ? जालिमों ! जिगर गोशा-ए-रसूल हुसेन प्यासा है ! उसके बच्चे प्यासे हैं ! कुछ ख्याल करो  ! बच्चों के लिये तो पानी दो !

यह सुनकर भी संगदिलाे पर कुछ असर न हुआ ! सबने आप पर हमला कर दिया ! हजरत अब्बास ( Hazrat Abbas Alamdar ) रजियल्लाहु तआला अन्हु ने भी उन पर हमला करक अस्सी को क़त्ल कर डाला ! और बाकी को मुन्तशिर करके आप फुरात तक जा पहुंचे !

पानी में उतर कर मशक भर ली । खुद चुल्लू में घानी भरकर पीना चाहा कि बहन भाई और बच्चों की प्यास याद आ गयी ! फोरन चुल्लू का पानी फेंक दिया और मशक कांधे पर रखकर’ रवाना हुए !

Abbas Alamdar Ki Shahadat Ka Waqiya

राह में यजीदियों ने घेर लिया । आप हर एक से लडते भिड़ते मशक लिये हुए जा रहे थे ! कि नोफ़ल नामी एक जालिम ने पीछे से आकर हाथ पर तलवार और मशक पर तीर मारा !

हाथ कट गया और मशक का पानी बह गया ! उस वक्त आप अपनी मेहनत और बच्चों की प्यास पर अफ़सोस करने लगे ! चूंकि ज़ख्म गहरा लग चुका था,

घोडे से गिरकर भाई को आवाज दी ! इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु ने उनकी आवाज सुनकर एक ऐसी आह की जिसे जमीने करबला लरज गयी !

फिर आगे जो बढे तो हजरत अब्बास को खाक व ख़ूनन में तड़पता हुआ देखकर फरमाया ! अब मेरी पीठ टूट गयी ! हज़रत अब्बास ( Hazrat Abbas Alamdar )रजियल्लाहु तआला अन्हु ने भाई को देखा और जन्नत को तशरीफ़ ले गये ! इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन !

हज़रत इमाम उनकी लाश मुबारक को खेमे की तरफ़ लाये ! ओर फरमाने लगे

बाद अब्बास के अब कौन है ग़मख़्वार अपना

न तो मोनिस है कोई और न मददगार अपना

सूए जन्नत गये सब छोड के तंहा मुझको

लुट गया आन के इस दश्त में गुलजार अपना

तिश्ना लब राहे खुदा में है मेरा सर हाजिर

काम पूरा करें अब जल्द सितमगार अपना

सबक: यजीदी बडे ही जालिम और नाअकबत अंदेश थे । उन्हें क़यामत के हौलनाक दिन का कुछ भी ख्याल न रहा ! हांलाकि मुसलमान को क्यामत का हौलनाक दिन कभी नहीं भूलना चाहिये

हजरत हमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु और उनके मुतअल्लिकीन रजियल्लाहु तआला अन्हुम की शहादत का एक दर्स यह भी है कि इस चंद रोजा जिन्दगी में हमें क्यामत को नहीं भुला देना चाहिये !

 

इससे आगे पढ़े – हज़रत अली अकबर की शहादत का किस्सा 

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