Sunday, May 12, 2024
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हजरत कासिम रजियल्लाहु तआला अन्हु और अजरक पहलवान की जंग

मैदाने करबला में तब हज़रत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु के अहबाब शहीद हो चुके !  और आपके भतीजे और भांजे भी जामें शहादत नोश  फ़रमा चुके ! तो फिर हजरत इमाम हसन रजियल्लाहु तआला अन्हु के साहबजादे हजरत कासिम ( Hazrat Qasim) रजियल्लाहु तआला अन्हु मेदान में तशरीफ़ लाये !

आपको देखकर यजीदी लशकर में खलबली मच गयी ! यजीदी लशकर में एक शख्स अज़रक पहलवान भी था । उसे मिस्र व शाम वाले एक हजार जवानों की ताकत का मालिक समझते थे ! यह शख्स यजीद से दो हजार दीनार सालाना पाता था !

करबला में अपने चार ताकतवर बेटों के साथ मौजूद था ! जब हज़रत इमाम कासिम ( Hazrat Qasim) रजियल्लाहु तआला अन्हु मेदान में आये तो मुकाबले में आने के लिये कोई तैयार न हुआ !

इब्जे सअद ने अज़रक से कहा कि कासिम के मुकाबले मे तुम जाओ ! अज़रक ने इसमें अपनी तौहीन समझी और मजबूरन अपने बडे बेटे को यह कहकर भेज दिया कि मेंरे जाने की क्या ज़रूरत है ! मेरा बेटा अभी कासिम का सर लेकर आता है !

Hazrat Qasim Or Ajrak Pahalwan Ki Jang

चुनांचे उसका बेटा हज़रत कासिम के मुकाबले में आया ! हजरत कासिम ( Hazrat Qasim) के हाथों बडी जिल्लत के साथ मारा गया ! उसकी तलवार पर हज़रत कासिम ( Hazrat Qasim) ने कब्जा कर लिया और फिर ललकारे के कोई दूसरा है तो मेंरे सामने आये !

अजरक ने अपने बेटे को यूं मरते देखा तो बडा रोया ! और गुस्से में आकर अपना दूसरा लडका मुकाबला में भेज दिया ! हज़रत कासिम ( Hazrat Qasim) रजियल्लाहु तआला अन्हु ने दूसरे को भी मार डाला !

अज़रक ने बौखला कर तीसरा लडका भी भेजा तो कासिम रजियल्लाहु तआला अन्हु के हाथों वह भी मारा गया ! अब तो अजरक की आखों में अंधेरा छा गया ! और गुस्से में दीवाना होकर खुद मैदान में आ गया !

हज़रत कासिम ( Hazrat Qasim) के मुकाबले में अज़रक को देखकर हजरत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने हाथ उठाए ओर दुआ की ! ऐ मेरे मौला ! मेरे कासिम की लाज तेरे हाथ में है !

Hazrat Qasim Or Ajrak Pahalwan Ki Jang

लोग दोनों की लडाइ देखने लगे ! अजरक़ ने पै दर पै बारह नेजे मारे ! हज़रत कासिम ने सब रदद कर दिये ! फिर उसने झल्लाकर हजरत कासिम ( Hazrat Qasim) के घोडे की पुश्त पर नेजा मारा ! घोडा मारा गया ।

to हज़रत कासिम पैदल रह गये ! हज़रत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने फोरन दूसरा घोडा भेज दिया ! हज़रत कासिम ( Hazrat Qasim) ने उस पर सवार होकरे मुतवातिर नेजे मारे !

अज़रक़ ने रोक लिये और तलवार निकाल ली ! हज़रत कासिम ने भी तलवार निकाल लीं !अजरक ने तलवार को देखकर कहा कि यह तलवार तो मैंने हजार दीनार में खरीदी थी ! ओंर हजार दीनार में चमकवाई थी !

तुम्हारे पास कहा से आ गयी ? हजरत कासिम ( Hazrat Qasim) ने फ़रमाया: तुम्हारे बडे बेटे की निशानी है ! यह तुम्हें इसका मजा चखाने के लिये मुझे दे गया है !

साथ ही यह भी फरमाया कि तुम एक मशहूर सिपाही होकर इस कद्र बे-एहतियाती से काम लेते हो कि मेदान में लडने के लिये आ गये ! और घोडे का तंग ढीला रखते हो ! इसे कसा भी नहीं ! वह देखो  जीन घोडे की पीठ से फिसला हुआ है !

अज़रक़ यह देखने को झुका ही था कि हज़रत कासिम ( Hazrat Qasim) रजियल्लाहु तआला अन्हु ने खुदा का नाम लेकर ऐसी तलवार मारी कि अजरक़ के वही दो टुकडे हो गये ! ( तजकिरा सफा 80 )

सबक : अहले बैते हजाम के मुकद्दस अफ़राद तलवार के फ़न से खुब वाकिफ़ थे ! हमें भी ऐसे फ़न से वाकिफ़ होना चाहिये ! ताकि अगर कोई ऐसा वक्त आ जाये तो हजरत कासिम रजियल्लाहु तआला अन्हु के सदके में हम भी बातिल के दांत खट्रटे कर सकें !

इससे आगे पढ़े – हज़रत अब्बास अलमदार की शहादत का किस्सा  

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