Hazrat Bibi sakina ka bayan Or Hazrat Imam Hussain Ka Akhari Waaz Mubarak
हजरत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु के साहबजादे हज़रत अली अकबर रजियल्लाहु तआला अन्हु ने जब जामे शहादत नोश फरमा लिया ! तो हजरत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु तंहा रह गये !
सिर्फ हज़रत इमाम जैमुल आबिदिन बाकी रह गये या हजरत अली असग़र ! मगर इमाम जैनुल आबिदीन बीमार थे ! ओर हज़रत अली असगर शीरख़्वार (दूध पीते बच्चे ) !
इसलिये हजरत इमाम ने खुद मैदान में जाने की तैयारी फ़रमाई ! आप खेमे के अंदर तशरीफ़ लाये ! ओंर अहले बैत में तशरीफ़ फरमा होकर फ़रमाया ! कि मुसीबत और बला पे सब्र करना तुम्हारे वास्ते बेहतर है !
खबरदार ! मेरे बाद तुम चाहे कैसी मुसीबत व बला में मुब्तला हो ! मगर मेरे ग़म में सिर के बाल न नोचना, मुंह पर तमाचे मत मारना ! और सीना मत कूटना ! मातम मत करना ! वाबेला व जारी न करना ! यह सब बातें जायज़ नहीँ हैं ।
हां ! कसरते ग़म से आंसू बहाना मजलूमों और दर्दमंदों का काम है ! रोना मना नहीं ! फिर आपने हजरत जैनब से फ़रमाया: बहन ! यह मेरी सकीना ( bibi sakina ) मुझे बडी प्यारी और मुझसे मानूस है ! मेरे बाद इसका खयाल रख़ना !
फिर हज़रत सकीना ( Bibi sakina ) रजियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया: बेटी! मेरी प्यारी बेटी ! आज शाम तक तुम यतीम हो जाओगी !
हज़रत सकीना ( Bibi sakina ) ने यतीम लफ्ज़ सुना तो-
नन्हे से हाथ जोडकर कहने लगी यह तिश्ना काम
फ़रमाइये कि आज ये आयेगी कैसी शाम
बतलाइयै मुझे कि यतीमी है किसका नाम
आंखों से खूं -बहा के यह कहने लगे इमाम
बैटी ! न पूछ कुछ यह मुसीबत अज़ीम है
मर जाये जिसका बाप वह बच्चा अज़ीम है
( तनक़ीहुश शहादतैन सफा 200)
सबक : हजरत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु का आखरी वाज मुबारक यह था कि मुसीबत और बला के वक्त सब्र व शुक्र का दामन हाथ से छोड देना अच्छी बात नहीं !
इसलिये आज भी हर मुसलमान को हज़रत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु का यह आखरी वाज मुबारक हर वक्त पेश नज़र रखना चाहिये !
और हजरत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु के इरशाद के खिलाफ़ कोई हरकत न करना चाहिये ! यह भी मालूम हुआ कि हजरत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु ने अल्लाह की मुहब्बत पर अपने छोटे-छोटे बच्चों की मुहब्बत भी कुरबान कर डाली !
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