Monday, May 13, 2024
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Hazrat Ali Asghar Ki Shahadat Ka Dardnaak Waqiya

नन्हा शहीद Hazrat Ali Asghar Ki Shahadat Ka Waqiya 

हज़रत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु के साहबजादे हज़रत अली अकबर ( Hazrat Ali Akbar ) रजियल्लाहु तआला अन्हु भी जब शहीद हो गये ! तो हज़रत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु ने अहले-बैत को तसल्ली व तशशफ्फ़ी देकर खुद मेदान में आने का इरादा किया !

एक बार खेमे से रोने की आवाज सुनी ! आप खेमे की तरफ़ फिरे और हाल दर्यापत फ़रमाया तो मालूम हुआ कि हज़रत अली असग़र ( Hazrat Ali Asghar ) प्यास से बेचैन हैं !

छ: महीने की उम्र शरीफ़ में यह मुसीबत कि तीन दिन से भूखे और प्यासे हैं ! जुबान मुंह के बाहर निकल पडी है ! मछली की तरह तड़प रहे हैं !

हज़रत इमाम ने फ़रमाया अली असग़र को मेरे पास लाओ ! हजरत जैनब लेकर आयीं ! आपने अली असग़र ( Hazrat Ali Asghar ) को गोद में लिया और मेदान में जालिमों के सामने लाकर फ़रमाया

ऐ कौम ! तुम्हारे नज़दीक अगर मुजरिम हुं तो मैं हुं ! मगर यह मेरा नन्हा बच्चा ( Hazrat Ali Asghar ) तो बेगुनाह है ! खुदारा तरस खाओ ! और इस मेरे नन्हें मुसाफिर सय्यद बेकस मज़लूम को तो चुल्लू भर पानी पिला दो !

बच्चा हें शीरख़्वार तड़पता है प्यास से

इस पर तो रहम खाओ तकता है यास से

नन्हा शहीद Hazrat Ali Asghar Ki Shahadat Ka Waqiya 

ऐ कौम ! आज जो मेरे इस नन्हे मुसाफिर को पानी पिलायेगा ! मेरा वादा है कि में उसे हौज़े कौसर पर सेराब करूंगा !

हज़रत इमाम की यह दर्दनाक तकरीर सुनकर भी उन जालिमों का दिल नहीं पसीजा ! एक जालिम हरमल बिन काहिल ने ऐसा तीर मारा कि जो हज़रत अली असग़र ( Hazrat Ali Asghar ) रजियल्लाहु तआला अन्हु के हलक में लगा !

हज़रत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु की बग़ल से निकल गया ! आह ! एक फव्वारा खून का ! उस नन्हें शहीद के हलक से चलने लगा ! नन्हे शहीद की आखें अपने वालिद के चेहरे की तरफ़ तकती रह गयीं !

इमाम ने बेकरार होकर अपनी जबाने अनवर नन्हें के मुंह में डाल दी ! ओंर नन्हे सय्यद ने वहीँ अपने अब्बा की गोद में शहादत पा ली !

आप इस नन्हीं सी लाश मुबारक लेकर खेमे में आये ! और मां की गोद में देकर फ़रमाया: लो ! अली असगर ( Hazrat Ali Asghar ) भी हौज़े कौसर से सेराब हो गये है !

इस नन्ही लाश को देखकर अहले बैत बेकरार हो गये ! और हज़रत की मुबारक आंखों से भी आसू जारी हो गए !

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना ड़लेहि राजिऊन

सबक: यजीदी जुल्म की इंतिहा तक पहुंच चुके थे ! और रहम व शफ़कत से उनके दिल बिल्कुल खाली थे ! फिर ऐसे  लोग खुदा की रहमत के उम्मीदवार कैसे हो सकते हैं ?

 

इससे आगे पढ़े – हज़रत शहरबानो का ख्वाब

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