Monday, May 20, 2024
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Mahe Ramzan -Hujoor Sallallaho Alehi Wasallam Mahe Ramzan Kese Gujara Karte The ?

हुजूर सल-लल्लाहो अलैहि वसल्लम माहे रमज़ान कैसे गुजारा करते थे ?- Hujoor Sallallaho Alehi Wasallam Mahe Ramzan Kese Gujara Karte The ?

सबसे पहला मामूल आपका यह है ! कि आप रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) की आमद से कई अय्याम पहले से ही उसको पाने की दुआ करते रहते ।

चुनान्चे इमामे तिबरानी की अवसत में और मुस्नदे बज्जार में है ! कि जैसे ही रजब का चाँद तुलूअ होता ! तो आप अल्लाह तआला के हुजूर यह दुआ करते ऐ अल्लाह ! हमारे लिए रज़ब व शाबान बाबर्कत बना दे ! और हमें रमज़ान नसीब फरमा ।

Ramzan Mubarak Status

मख़्सूस दुआ का विर्द – Mahe Ramzan Or Makhsus Dua Ka Vird 

जब रमज़ानुल मुबारक शुरू होता तो रहमते आलम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला की बारगाहे अकदस में मख्सूस दुआ किया करते ! और यूँ अर्ज़ करते ऐ अल्लाह !

मुझे रमजान के लिए सलामती

( सेहत व तंदुरूस्ती ) अता फरमा ! और मेरे लिए रमज़ान (Mahe Ramzan) ( के अव्वल व आखिर को बादल वगैरा से ) महफूज़ फरमा ! और मुझे इसमें अपनी नाफरमानी से महफूज़ फरमा ।

Ramzan Greetings

रंगमुबारक फ़क़ हो जाता

जब रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) आता ! तो इस खौफ के पेशे नज़र कि कहीं किसी मुश्किल की वजह से इसमें हक्के अबूदियत में कमी न हो जाए ! आपका रंग मुबारक फ़क़ हो जाता ।

Ramzan Mubarak Status

चुनान्चे उम्मुल मोमिनीन सैयदा आइशा सिद्दीका रदियल्लाहो तआला अन्हा से रिवायत है ! कि रसूल सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम की यह कैफियत थी ! जब रमजानुल मुबारक (Mahe Ramzan) शुरू होता तो आपका रंग फ़क़ हो जाता !

सहाबा को मुबारक बाद देते – Sahaba Ko Mubarakbad Dete 

जब यह मुकद्दस व मुबारक माह ( Mahe Ramzan ) अपनी रहमतों के साथ साया फगन होता ! तो गमख्वारे उम्मत शफीए रहमत सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम को उसकी आमद की मुबारकबाद देते ! चुनान्चे इमाम अहमद और इमाम निसाई ने हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहो तआला अन्हों से आपका मुबारक मामूल इन अल्फाज़ में नकल किया है ।

 

Ramzan Mubarak

 

हुजूर सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम अपने सहाबा को यह करते हुए मुबारकबाद देते कि तुम पर । रमजान का महीना (Mahe Ramzan) जल्वा फगन हुआ है ! जो निहायत बाबर्कत है !

उसके रोजे तुम पर अल्लाह तआला ने फर्ज फरमाएं हैं !, इसमें जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते है ! और दोज़ख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं !

शैतानों को बांध दिया जाता है ! इसमें एक रात है ! जो हजार महीनों से अफजल है ! जो इससे महरूम हो गया ! वह महरूम ही रहेगा ।

इमाम जलालुद्दीन सियुती और शेख इब्ने रजब अलैहिर्रहमार कहते है ! मस्अलाए मुबारकबाद के लिए यह हदीस बुनियाद है ! रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) की मुबारकबाद पेश करने पर यह हदीस अस्ल है ।

( अलहाबी लिलफतावा 1 , 193 ) ।

Ramadan Image

मेरे प्यारे आका सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे दीवानो ! वह माह मोमिन के लिए क्यों मुबारकबाद का सबब न होगा ! जिसमें जन्नत के दरवाजे खुल जाएं ! शैतान पर पाबंदियों लग जाएं ! और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाएं । लिहाजा हमें भी अदाए सुन्नत की नियत से इस्लामी भाईयों , दोस्त व एहबाब को मुबारकबाद पेश करना चाहिए ।

रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) को खुश आमदिद कहते

सहाबा को मुबारकबाद और उसकी एहमियत वाजेह करने के साथ-साथ रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) को खुश आमदीद फरमाते । कंजुल उम्माल और मजमउज – ज़वाइद में है ,

आप फरमाते लोगों तुम्हारे पास रमज़ान तमाम महीनों का सरदार आ गया ! हम उसे खुश आमदिद कहते हैं ।

( मजमउज जवाइद , 3 , 140 )

आमदे रमज़ान पर खुत्बा इरशाद फरमाते

जिस दिन रमज़ानुल मुबारक का चाँद तुलूअ होने की उम्मीद होती ! और शअबान का आखरी दिन होता ! तो आप मस्जिदे नबवी में सहाबाए किराम को जमा फरमा कर खुत्वा इरशाद फरमाते ! जिसमें रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) के फजलाइ , वजाइफ और एहमियत को उजागर फरमाते !

ताकि उसके शब व रोज़ से खूब फायदा उठाया जाए ! और उसमें गफलत हरगिज न बरती जाए ! उसके एक एक लम्हा को गनीमत जाना जाए ।

हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहो तआला अन्हो ने आपके इस एहम मामूल को अपने अल्फाज़ में बयान किया है । जब रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) का माह आता तो आप फरमाया करते ! तुम्हारे पास एक मुकद्दस माह की आमद हो गई ।

( मुस्नदे अहमद , 3 , 158 )

Ramzan Mubarak Image

इस्तकबालिया ख़ुत्बा की तफसील 

कुतुबे अहादीस में रमज़ानुल मुबारक (Mahe Ramzan) की आमद के मौके पर हुजूर सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम के फरमूदा खुत्बा की तफसील भी मिलती है ! जिसका तर्जुमा हम तहरीर करते हैं ।

हज़रत सलमान फारसी रदियल्लाहो तआला अन्हों से रिवायत है ! कि नबी अकरम सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हम को शअबान के आखरी दिन खुत्बा दिया ! फरमाया : ऐ लोगो ! एक बहुत ही मुबारक माह तुम पर साया फगन होने वाला है ।

इसमें एक रात ऐसी है ! जो हजार महीनों से बेहतर है । अल्लाह तआला ने उसके रोज़ों को फर्ज और रात के कयाम को नफल करार दिया है । जो शख्स किसी नेकी के साथ अल्लाह तआला की तरफ कुर्ब चाहे ! उसको इस कद्र सवाब होता है !

गोया उसने दूसरे माह में फर्ज अदा किया । जिसने रमज़ान Ramadan में फर्ज अदा किया ! उसका सवाब इस कदर है ! गोया उसने रमज़ान के अलावा दूसरे महीनों में सत्तर फर्ज अदा किए । वह सब्र का महीना है ! और सब्र का सवाब जन्नत है । वह लोगों के साथ गमख्वारी का महीना है ।

Mahe Ramzan

इस महीना में मोमिन का रिज्क बढ़ाया जाता है । जो इसमें किसी रोज़दार को इफ़तार कराए ! उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं ! और उसकी गर्दन आग से आज़ाद कर दी जाती है ! और उसको भी इसी कदर सवाब मिलता है !

इससे रोज़ादार के सवाब में कुछ कमी नहीं आती । इस पर सहाबा ने अर्ज किया ऐ अल्लाह के रसूल सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम हम में से हर एक में यह ताकत कहाँ के रोजदार को सैर करके खिलाए । इस पर आपने फरमाया यह सवाब तो अल्लाह उसे भी अता फरमाएगा ! जो एक खजूर या एक घूंट पानी या एक घूंट  दूध पीला दें ।

जिसने किसी रोज़ादार को इफतारी के वक्त पानी पिलाया ! अल्लाह तआला ( रोज़े कयामत ) मेरे होजे कौसर ” से उसे वह पानी पिलाएगा ! जिसके बाद दखूले जन्नत तक प्यास नहीं लगेगी ।

यह ऐसा महीना है ! जिसका अव्वल रहमत है ! उसके दर्मियान में बख्शिश है ! और उसके आखिर में आग से आजादी है । जो शख्स इसमें अपने गुलाम का बोझ हलका करे ! अल्लाह तआला उसको बख्श देता है ! और आग से आजाद कर देता है ।

( मिश्कात शरीफ : स . 173 . 174 )

 

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