Thursday, May 16, 2024
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Ramzan Ka Chand Dekhkar Padhne Wali Dua

रमज़ान का इस्तकबाल किस तरह करे ?  Ramadan Welcome

मस्नून है कि 29 शबानुल मुअज्जम को बाद नमाजे मगरिब चाँद देखा जाए ! Ramzan Ka Chand – चाँद नजर आ जाए तो दूसरे दिन से रोजा रखा जाए ! और अगर Ramzan Ka Chand नजर न आए तो दूसरे दिन फिर चाँद देखें ।

अल्लाह तआला ने इरशाद फरमायाः ऐ महबूब ! लोग आपसे चाँद के बारे में पूछते हैं ! आप फरमा दीजिए कि वह लोगों और हज के लिए वक्त की अलामत है । ” लिहाज़ा चाँद ही जरिया हमें रमजान की शुरुआत और इख्तिताम का इल्म हो सकता है तो हमें चाँद देखकर ही रोजा रखना चाहिए ।

जैसा कि नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने रमज़ान का जिक्र करते हुए इरशाद फरमाया : चाँद देखकर रोज़ा रखो और चाँद देख कर इफतार करो , ‘ अगर Ramzan Ka Chand रमज़ान का चाँद नज़र न आए तो तीस दिन पूरे करो ।

( बुखारी शरीफ : 256 )

Ramadan  2020 Time Table

Ramzan Ka Chand चाँद नज़र आजाए तो यह दुआ पढ़े अल्लाहु अकबर ,

Ramzan Ka Chand

 

Ramzan Ka Chand Dekhkar Padhne Wali Dua Hindi Mein

अल्लाहुम्मा अहिल्लहु बिल युमनि वल ईमानि वस सलामति वल इस्लामि वत्ताफ़ीकि
लिमा तुहिब्बु व तरदा रब्बी व रब्बु कल्लाह

ऐ अल्लाह ! हम पर यह चाँद अम्न व ईमान और सलामती व इस्लाम के साथ गुज़ार ! और उस चीज़ की तौफीक के साथ जो तुझ को पसंद हो !  और जिस पर तू राजी हो ! मेरा रब और तेरा रब अल्लाह है ।

Ramzan Ka Chand

 

रोज़ा कब फर्ज़ हुआ ? Roza Kab Farz Hua 

मेरे प्यारे आका सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे दीवानो | रोजा एलाने नबुव्वत के पंद्रहवी साल यानी दस शव्वाल 2 हि . में फर्ज हुआ । अल्लाह तबारक व तआला का फरमान है ! ऐ ईमान वालो ! तुम पर रोज़े फर्ज किए गए ! जैसे कि अगलों पर फर्ज हुए ! कि कहीं तुम्हें परहेज़गारी मिले ।

अल्लाह तआला ने इस आयत में बतौर खास जिक्र फरमाया ! कि यह इबादत सिर्फ तुम ही पर फर्ज नहीं की जा रही है ! बल्कि तुमसे पहले लोगों पर भी फर्ज हो चुकी है ।

( सूर : बकर 2 , आयत 183 )

Ramzan Ka Chand

चुनाचे तफ्सीरे कबीर व तफसीरे अहमदी में है ! कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हजरत ईसा अलैहिस्सलाम तक हर उम्मत पर रोजे फर्ज रहे ।

चुनान्चे हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर हर क़मरी महीने की तेरहवी , चौदहवी और पंद्रहवीं तारीख के रोज़े और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की कोम पर आशूरा का रोज़ा फर्ज रहा ।  बाज रिवायतों में है कि सबसे पहले हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने रोजे रखे ।

सहरी और इफ्तारी सहर क्या है ?

सहर का माअना है ” पोशीदगी ” जादू और फेफड़े को इसी लिए सहर कहते हैं ! कि वह छुपे होते हैं ! सुब्ह सादिक को भी सहर कहने की यही वजह है ! कि उस वक्त की रोशनी रात की तारीकी में छुपी होती है ।

Ramzan Ka Chand वक्ते सहर गीरिया व जारी

अल्लाह तबारक व तआला ने कलाम मजीद में इरशाद फरमाया ! और पिछले पहर माफी मांगने वाले । बाज़ मुफस्सिरीन ने फरमाया ! कि इस आयत से नमाज़े तहज्जुद पढ़ने वाले मुराद है ! और बाज के नजदीक इससे वह लोग 5 मुराद है ! जो सुबह उठ कर इस्तिगफार पढ़ें !

चूंकि उस यक्त दुनियावी शोर कम होता है ! दिल को सुकून होता है ! रहमते इलाही का नुजूल होता है । इसलिए उस वक्त तौबा व इस्तिगफार , दुआ वगेरा बेहतर है ।

सहर के वक्त तौबा व अस्तगफार करना अल्लाह के बरगुजीदा बंदों की आदते करीमा रही है । रोजाना की मस्रूफियतों की वजह से हमें सहर के वक्त उठने का मौका नहीं मिलता ! कि हम उस वक्त बारगाहे समदिय्यत में इरितगफार करें !

लेकिन माहे रमजानुल मुबारक में रोजाना सहरी के लिए हम बेदार होते हैं ! तो हमें चाहिए कि कम अज कम दो रकअत नफिल अदा कर के बारगाहे रब्बुल इज्जत में सर बसजूद हो जाएं ! और इस्तिगफार करके सहर के वक्त मगफिरत तलब करने वालों में शामिल हो जाएं ।

रमजान मुबारक में तहज्जुद की नमाज़ के बारे में जाने

 

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