Saturday, May 11, 2024
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Eid-Milad-Un-Nabi क्यों मनाई जाती है जान लीजिए

Eid-Milad-Un-Nabi 2020 ईद-मिलाद-उन-नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैही व सल्लम कि विलादत (जन्म) की खुशी में मनाई जाती है

ईद-ए-मिलाद (Eid-Ul-Milad), जानिए खास बातें

ईद-मिलाद-उन-नबी (Eid-E-Milad-Un-Nabi ) या ईद-ए-मिलाद (Eid-Ul-Milad) 31 october 2020 को है! Eid-Milad-Un-Nabi के दिन यानी इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैही व सल्लम ( Prophet Hazrat Muhammad) की विलादत शरीफ यानी जन्म हुआ था!

उन्‍हें इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है.!  इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से इस्‍लाम के तीसरे महीने ! रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन ही पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैही व सल्लम ( Prophet Hazrat Muhammad) की विलादत शरीफ हुई थी !

इस दिन नात शरीफ की मजलिसें लगाई जाती हैं! पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैही व सल्लम (Prophet Hazrat Muhammad) द्वारा दिए गए ! पवित्र संदेशों को पढ़ा जाता है ! उन्हें याद कर नाते और हदीसे और कसरत के साथ दुरूद शरीफ पढ़ी जाती हैं ! मस्जिदों में नमाजें अदा की जाती हैं.और खूब इबादत की जाती है!

कौन थे पैगंबर हजरत मोहम्मद?
EID-MILAD-UN-NABI KYU MANATE HAI 

पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है ! दुनिया में एक लाख चौबीस हजार पैगम्बर कमोबेश आये ! लेकिन पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर है ! उनका जन्म मक्का शहर में हुआ. ! इनके वालिद (पिता) का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह और दादाजान का नाम अब्दुल मुत्तलिब और अम्मी का नाम (माता का नाम) बीबी आमिना (रज़ियल्लाहु त्आला अन्हा) है ! कहा जाता है कि 610 ईं. में मक्का के पास गारे हीरा नाम की गुफा में उन्हें बही नाज़ील हुई (ज्ञान की प्राप्ति हुई) !

बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरआन की शिक्षाओं का उपदेश दिया ! हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने 25 साल की उम्र में खदीज़ा रज़ियल्लाहु त्आला अन्हा से शादी की ! हज़रत खदीज़ा रज़ियल्लाहु त्आला अन्हा निहायत ज़हीन,आली दिमाग, और सूरत व सीरत और इसमत के लिहाज़ से मक्का_(शहर) में सबसे ज्यादा मुमताज थी !  ईनके अब्बु बहुत सा माल छोड़कर फौत हो चुके थे !

और आप भी जवानी में ही विधवा हो चुकी थी ! जब हुज़ुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से आपका निकाह हुआ !  तब आपकी उम्र 40 साल थी ! यानी की आप हुज़ुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से उम्र में 15 साल बड़ी थी ! और जब तक हज़रत खदीज़ा रज़ियल्लाहु त्आला अन्हा हयाती तौर पर दुनिया में रही। हुज़ुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुसरा निकाह नहीं फरमाया !

क्यों मनाते हैं ईद-मिलाद-उन-नबी Eid-Milad-Un-Nabi?

मुसलमान पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म की खुशी में ईद-मिलाद-उन-नबी ( Eid-Milad-Un-Nabi ) मनाते हैं. इस दिन रात भर दुआओं और दुरूदो सलाम का दौर चलता हैं. दिन में जुलूस निकाले जाते हैं ! सुन्नी मुसलमान इस दिन हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पवित्र वचनों को
पढ़ते हैं ! और याद करते हैं.और अल्लाह की इबादत में मशगूल रहते है ! हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्मदिन को ईद-मिलाद-उन-नबी के नाम से मनाया जाता है.

कैसे मनाते हैं ईद-मिलाद-उन-नबी?

पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस के अवसर पर सुन्नी मुसलमानो द्वारा जुलुस निकालकर ख़ुशी का इजहार किया जाता है ! घरों और मस्जिदों को सजाया जाता है.घरों की छतों पर इस्लामी झंडे लगाए जाते है ! खुशबू लगाई जाती है ! नमाजों और क़ुरआन को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों को जकात (दान) दिया जाता है ! उन्हें खाना खिलाया जाता है ! जो लोग मस्जिद नहीं जा पाते वो घर में कुरआन पढ़ते हैं ! मान्यता है कि ईद-मिलाद-उन-नबी के दिन कुरआन का पाठ करने से अल्लाह की रेहमत बरसती है !

 

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