Thursday, May 9, 2024
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asar ki namaz ka tarika hindi mein – असर की नमाज़ का तरीका

नमाजे असर ( asar ki namaz ) में 8 रकअत होती है 4 सुन्नत 4 फ़र्ज़ ।  यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ ( asar ki namaz ) पढ़ने का तरीका वही रहेगा

Asar ki namaz ka tarika ;-

नमाजे असर ( asar ki namaz ) की चार सुन्नत की निय्यत – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त असर का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । ”

अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे । फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे।

सना के अल्फाज़ इस तरह है  *सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े

इतना पढ़ने के बाद सुरह फातिहा पढ़े. सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत जो आपको याद हो वो पढ़े ! जब सुरह पूरी हो जाए तब अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुवे रुकू में जाए।

रुकू में घुटनो को हाथ की उंगलियों से मजबूत पकड़ ले घुटनो पर उंगलियाँ को फैला कर रखे

और इतना झुके कि सर और कमर बराबर हो जाये

रुकू में ही अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार इत्मीनान के साथ पढ़े – *सुबहान रब्बी अल अज़ीम* रुकू में निगाह पैरो के अंगूंठो पर रखे।

असर की 4 सुन्नत नमाज़ पढ़ने का तरीका –

इसके बाद *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.. इसके बाद रब्बना व लकल हम्द कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें ! सजदे में जाते वक़्त सबसे पहले हाथ घुटनो पर रखे फिर घुटने जमीन पर टिकाये फिर हाथ जमीन पर रखे !

उसके बाद नाक जमीन पर टेके फिर पेशानी जमीन पर जमाये ! और चेहरा दोनों हाथो के दरमियान रखे।  मर्द अपने हाथो की हथेलियाँ ही जमाये और कोहनी वगैरह ऊँची उठी हुई होना चाहिए। पेट को अपनी रानो से दूर रखे यानी जांघ से पेट ना छुए।  और दोनों पांव की उँगलियो के पेट क़िब्ला रुख ज़मीन पर जमे हुए हो

सज्दे में फिर अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार इत्मीनान के साथ पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर सीधे बैठ जाए।  जब बैठे सीधे पेर की उंगलिया हिलनी नहीं चाहिए मतलब क़िबला रुख ही मुड़ी हुई हो और उलटे पैर को सीधे पैर की जानिब मोड़ के बैठे।

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें. यहाँ फिर से उलटे पैर की ऊँगलीया क़िब्ला रुख करे।

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

इस तरह आपकी एक (1 ) रकअत पूरी हो गयी

Asar Ki 4 Rakaat Namaz Sunnat 

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे आप खड़े हो जाएंगे ! और अपने हाथ बांध लेंगे ! फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कोई भी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे ! or फिर से वही अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएंगे ! फिर *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये  इसके बाद ! रब्बना व लकल हम्द* कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।

सज्दे में फिर से अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर बैठ जाए

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहुअक्बर कहते हुवे बेठ जाए। ( बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही हो )  अब बैठे हुवे ही आपको अत्तहिय्यात पढ़ना है !

अत्तहिय्यात-

*अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन*

अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू *

नोट- अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली इस तरह उठाना है की अंगूठा और बिच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों मिलाना है ! और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।

पूरी अत्तहिय्यात पढ़ते ही तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएंगे !

तीसरी चौथी रकअत में सूरह फातिहा और कोई  भी सूरह  पढ़ेंगे जो भी याद हो ! जब चार रकअत पूरी हो जाए तो ! फिर से अत्तहिय्यात , दरूद और दुआ ए मसुरा पढ़े ! और सलाम फेरे ! पहले सीधे हाथ तरफ निगाहें कंधे की तरफ झुकी हुई हो ! फिर बायीं तरफ यानी उलटे हाथ के कंधे की जानिब निगाहें रखकर  सलाम फेरे !

सलाम के अल्फ़ाज़ – अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह

Note- असर की चार सुन्नत गैर ए मुअक्कदा है इसलिए 2 रकाअत मुकम्मल होने के बाद अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद दरूद ए इब्राहिम और दुआए मासुरा भी पढ़ेंगे ! या दुआए मासुरा याद ना होतो अल्लाहुम्मा रब्बना आतयना फ़िद्दुनिया हसनतउ- व फिल आख़िरति हसनतउ व कीना अजाबन्नार पढ़ेंगे ! फिर तीसरी रकाअत के लिए खड़े होंगे !

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असर की 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने का तरीका –

नमाजे असर ( asar ki namaz ) की चार फ़र्ज़ की निय्यत – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त असर का !पीछे इस इमाम के ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । ”

नोट- अगर अकेले पढ़े या नमाज़ घर पर पढ़े तो इमाम के पीछे ना कहे और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े ]  यहाँ हम फ़र्ज़ नमाज़ जमआत के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरिका बता रहे है

इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहके हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।

हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर खड़े रहना है निगाह सजदे की जगह हो

अब इमाम साहब सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत मन ही मन में पढ़ेंगे !

हमें सिर्फ चुपचाप खड़े रहना फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी  ‘रब्बना व लकल हम्द ( मन में ) कहते हुवे खड़े हो जाना है।

फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है ! सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है !

एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है ! और सजदे की तस्बीह पढ़ना है

asar ki namaz ka tarika

फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी खड़े हो जाना है ! इस तरह एक रक् आत पूरी होगी ! और इसी तरह हमें दूसरी रकअत भी पूरी करना है..

दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले ! और फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए तीसरे रक’अत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जाएंगे ! तो हमें भी खड़े हो जाना है ! इमाम के पीछे बाकि की दो रकाअत में भी हमें खामोश रहना है ! और जैसे जैसे इमाम साहब पढ़ेंगे ! वैसे ही उनके पीछे हमें नमाज़ पढ़नी है

रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जायेगे ! चौथी रक’अत भी वैसे ही पढ़े ! जैसे तीसरी रक’आत पढ़ी गई है ! चौथी रक’अत पढने के बाद तशहुद में बैठें ! तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है ! और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हमें भी उनके बाद सलाम फेरना है।

इस तरह असर की चार फ़र्ज़ नमाज़ ( asar ki namaz ) मुकम्मल हो गई।

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