Thursday, May 9, 2024
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Janaze Ki Namaz ka Tarika Aur Janaze Ki Dua Hindi Mein

Janaze Namaz ka Tarika Aur Janaze Ki Dua Hindi Mein

अस्सलामो अलैकुम  रहमतुल्लाहि व बारकवातोहु  , इस पोस्ट में जनाज़े की नमाज़  ( Janaze Ki Namaz ) का तरीका और जनाज़े की दुआ ( Janaze Ki Dua ) के वारे में बताया गया है ! पूरी पोस्ट पढ़िए आपके बहुत से कन्फूज़न दूर हो जाएंगे !  इंशाअल्लाह !

Janaze Namaz ka Tarika Hindi Mein

जनाज़े की नमाज़ की नियत – Janaze Ki Namaz Ki Niyat

नियत की मैने नमाज़े जनाज़ा ( Janaze Ki Namaz ) पढ़ने की ,मय 4 तकबीरो के , सना वास्ते अल्लाह तआला के , दुरूद शरीफ़ वास्ते  रसूलुल्लाह के , दुआ वास्ते इस मय्यत के ( पीछे इस इमाम के ) मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहुअक्बर कहते हुए कानो तक हाथ उठाकर नाफ़ के निचे हाथ बाँधना है !

फिर सना पढ़ना है !

*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका व जल्ला सनाउका वला इलाहा गैरुका*

नॉट- जनाज़े की नमाज़ ( Janaze Ki Namaz ) में सना के अलफ़ाज़ में व जल्ला सनाउका शब्द भी बोलना पढ़ेगा

दूसरी तक़बीर के बाद दुरूद शरीफ़ पढे !

*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.

अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद* सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम *

जनाज़े की दुआ

तीसरी तक़बीर के बाद अगर मय्यत बालिग मर्द या औरत है, तो यह दुआ पढे !

अल्लाहुम्मग़ फ़िर लि हय्यिना वमय्यितिना वशाहिदिना वग़ाइबिना व सग़ीरिना व कबीरिना व ज़करि ना वउन्साना  अल्लाहुम्म मन अहययतहू मिन्ना फ़ अहयिही अलल इस्लाम 0 वमन् तवफ़्फ़ै तहू मिन्ना फ़ तवफ़्फ़हू अलल ईमान 0  

फिर बगैर हाथ उठाये अल्लाहु अकबर कहे  और दोनों हाथ छोड़ दे ! और पहले दाहिनी तरफ़ ( सीधे कंधे की जानिब  ) फिर बायीं तरफ़ ( उल्टे कंधे की जानिब  )  सलाम फेरे !

अगर मय्यित नाबालिग लड़का हो तो यह दुआ पढे:

अल्लाहुम्मज अल्हु लना फ़रतंव्वज अल्हु लना अजरंव्व ज़ुख़-रंव्वज अल्हु लना शाफ़िअतंव मुशफ़्फ़आ 

अगर मय्यित नाबालिग लड़की की हो तो यह दुआ पढे:ः

अल्लाहुम्मज अल्हा लना फ़रतंव वज अल्हा लना अजरंव व ज़ुख़-रंव वज अल्हा लना शाफ़िअतं व मुशफ़्फ़अह 

यानी –

‘इज अल्हु के जगह पर ‘‘इज अल्हा ‘‘ और शाफ़िअतंव मुशफ़्फ़आ  के जगह  पर ‘‘ शाफ़िअतं व मुशफ़्फ़अह‘

पढ़ना चाहिये ! फिर अल्लाहु अकबर कहकर सलाम फेर देना चाहिये !

मय्यित को कब्र मेँ रखते समय यह पड़े‘‘ बिस्मिल्लाहि ‘वअला सुन्नति ‘रसूलिल्लाहि या फिर यह पढ़े – बिस्मिल्लाहि ‘वअला मिल्लति रसूलिल्लाहि

पहली मर्तबा मिट्टी डालते वक्त

मिन्हा खलक़नाकुम् 

( इसी से हमने तुम को पैदा किया )

दूसरी मर्तबा मिट्टी डालते वक्त

 व फ़ीहा नुईदुकूम 

( और इसी में हम तुम को लौटायेंगे )

तीसरी मर्तबा मिट्टी डालते वक्त

व मिन्हा नुख़रिजुकुम् तारतन् उख़रा 

( और उसी से कियामत के रोज तुम को फिर से  निकाल कर खड़ा करेंगे ) .

( सूरः ताहा-55 )

आम तौर पर कब्रस्तान जाने पर

 अस्सलामु अ़लैकुम् अह्-लद्दियारि मि-नल मुअ्मिनी न वल् मुसलिमी-न  वइन्ना इन् शाअल्लाहु बिकुम् लाहिक़ू-ऩ नस् अलुल्ला-ह लना व-लकुमुल् आफ़ियत

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