Friday, May 10, 2024
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Hazrat Fatima – हजरत अली के घर का रोज़ा

हज़रत अली और हजरत फातिमा ( Hazrat Fatima ) के घर का रोज़ा –

हजरत अली ( रदियल्लाहु तआला अन्हु ) के घर में सबने रोज़ा रखा ! हजरत फातिमा ( Hazrat Fatima ) रदियल्लाहु तआला अन्हु  ने भी रोजा रखा ! दो बच्चे है ! उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है।

मगरिब का वक़्त होने वाला है ! इफ्तारी का वक़्त होने वाला है ! सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं ! हजरत फातिमा ( Hazrat Fatima )  रदियल्लाहु तआला अन्हु दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी बनाई ! इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है।

हजरत फातिमा ( Hazrat Fatima ) रदियल्लाहु तआला अन्हु  चार रोटी लाती है ! पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी ! दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने, तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी ! ओर एक रोटी खुद रख ली ! मस्जिद-ए-नबवी में आजान हो गयी ! सबने रोजा खोला ! सबने रोटी खाई

मगर दोस्तो अल्लाह की कसम वो फातिमा ( Hazrat Fatima ) रदियल्लाहु तआला अन्हु थी ! जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया

Hazrat Fatima

ये मामला हजरत अली  रदियल्लाहु तआला अन्हु ने देखा और कहा के फातिमा ( Hazrat Fatima ) रदियल्लाहु तआला अन्हु तुझे भूख नही लगी ! एक ही तो रोटी है ! उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो ?

फातिमा ने कहा ! ऐ अली हो सकता है ! मेरे बाबा जान (नबी पाक) को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?

फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं ! हजरत फातिमा ( Hazrat Fatima ) दरवाजे पर है ! देखकर हुजूर कहते हैं ! ऐ फातिमा ! तुम दरवाजे पर कैसे ! फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चले।

हजरत फातिमा ( Hazrat Fatima ) की आंखों में आंसू थे ! कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नही होगा ! इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ !

रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा

ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती ! दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं !

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हज़रत अली और हजरत फातिमा के घर का रोज़ा –

अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी ,

फातिमा ( Hazrat Fatima ) ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर चौडे चोड़े टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है

हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो?

कहा अब्बा जान कल क्या होगा ? कल कोन खिलाने आयगा ? क्या कल मेरे घर मे चुहला जलेगा ? कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा?

नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा ! और कहा कि फातिमा ( Hazrat Fatima ) तू भी सब्र करले ओर मैं भी सब्र करता हूँ ! हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा ! अल्लाहु अकबर

ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी ! ये गुनाहगार उम्मती हम ही है ! जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे ! नबी की बेटी भूखी रही ! और आज हमलोग क्या कर रहे हैं ! उनके लिए कल कयामत के दिन मैं ओर आप क्या जवाब_देंगे।

दिल इजाज़त दे तो पोस्ट दूसरों तक लाज़मी पहुचायें मोमिनों

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