इत्तमामे हुज्जत
यजीदियों ने जब हर तरह से हजरत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु से लडना ही चाहा ! तो हजरत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु भी अमामा-ए-रसूल बांधकर जुलफिकारे हेदरे कर्रार ( हज़रत अली रजियल्लाहु तआला अन्हु की तलवार ) हाथ में लेकर और घोडे पर सवार होकर मैदान में तशरीफ़ ले आये ! इब्ने सअद के लशकर के करीब होकर फ़रमाया
ऐ ईराक वालो! तुम खुब जानते हो कि में नवासा-ए-रसूल ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) फ़रजंद बतूल ओर दिलबंदे (फरजंद) अली मुर्तजा ओंर बिरादरे हसन मुजतबा हूं ।
देखो यह अमामा किसका है? गौर करो कि ईसाई अब तक निशान पाये ईसा को बोसा देते हैं । गर्ज हर दीन व मिल्लत के लोग अपने पेशवाओं की यादगार को दोस्त रखते हैं !
में तुम्हारे रसूल का नवासा हू ! अली शेरे खुदा का फर्जन्द हूँ । अगर तुम मेरे साथ कोई सुलूक नहीं कर सकते तो कम-से-कम मुझे क़त्ल ही न करो !
बताओं तुमने किस वजह से मेरा और मेरे अहले व अयाल का पानी बंद कर रखा है ? क्या मेंने तुममें से किसी का खून किया है ! या किसी की जागीर ज़ब्त की है ? जिसका बदला तुम मुझसे ले रहे हो !
तुमने खुद मुझको यहां बुलाया और अब यह अच्छी मेरी मेहमान नवाजी कर रहे हो ? ज़रा सोचो कि तुम क्या कर रहे हो?
आप यह तकरीर फरमा ही रहे थे ! कि खेमें से रोने की आवाज आईं ! आपने लाहौल पढी ! और हज़रत अब्बास और अली अकबर से फ़रमाया: तुम जाकर सबको रोने से मना करो ! ओंर कहो जरा सब्र करो कि अभी तुम्हें बहुत रोना है !
दोनों हज़रात ने अहले हरम को रोने से बाज रखा ! हज़रत इमाम हुसेन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने फिर इब्ने सअद से खिताब फ़रमाया:
“ऐ कूफियों तुम्हें मेरा हस्ब व नस्ब (खानदान) मालूम है जिसका मिस्ल आज रूए ज़मीन पर नही है ! फिर सोच लो कि तुमने खुद ही मुझे खुतूत लिखकर बुलाया है ! फिर अब मेरे खून के प्यासे हो !
देखो यह तुम्हारे रवुतूत हैं । हज़रत इमाम ने खुतूत दिखाये तो उन बेवफाओं ने इंकार कर दिया ! और कहा ये हमारे खुतूत ( ख़त ) नहीं हैं !
हज़रत इमाम रजियल्लाहु तआला अन्हु ने उनके झूठ से हैरान होकर फरमाया: बहम्दुलिल्लाह हुज्जत तमाम हुई ! मुझ पर कोई हुज्जत न रही ! (तजकिरा सफा 70 )
सबक :
हज़रत इमाम आली मकाम रजियल्लाहु तआला अन्हु आखिर तक यही चाहते थे ! कि यह लोग अपनी बेवफाई से बाज आयें ! और मेरे खून नाहक से हाथ न रंगे !
मगर उन बदबख्तो के नसीब बुरे थे ! यह भी मालूम हुआ कि हज़रत इमाम हुसेन रजियल्लाडु तआला अन्हु अपने इन नाम के और झूठे -महबूबो से बेजार ( खफा ) होकर दुनिया से तशरीफ़ ले गये !