Fareb Ka Rona – फरेब का रोना
जिस वक्त अहले बैत इमाम का काफिला कूफा से दमिश्क में आकर दरबारे यजीद में पेश हुआ तो यजीद की’ओरत हिन्दा बेताब दरबारे यजीद में चली आयी !
यजीद ने दौड़कर उसके सर पर कपडा डाल दिया ! और कहा: ऐ हिन्दा ! तू फ़रजंदे रसूल पर नौहादारी ( रोना-पीटना, मातम करना ) कर इब्ने-ज्याद लईन ने इनके मामले में जल्दी की ! हालांकि में इनके क़त्ल पर राजी न था ।
( जिलाउल उयून खुलासतुल मसाइब बहवाला फैसला-ए-शरइआ सफा 50 )
Fareb Ka Rona सबक : यजीद और उसके घर वालों का यह सारा फरेब था ! कि खुद ही क़त्ल कराए और फिर इंकार कर दिया !
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