हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और चार परिन्दे
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम Ibraheem Alaihissalam ने एक रोज समुद्र के किनारे एक आदमी मरा हुआ देखा ! आपने देखा कि समुद्र की मछलियां उसकी लाश को खा रही हैं ! थोडी देर बाद फिर परिन्दे आकर उस लाश को खाने लगे !
फिर आपने देखा कि जंगल के कुछ दरिन्दे आये और वह भी लाश को खाने लगे ! आपने यह मंज़र देखा तो आपको शौक़ हुआ कि आप मुलाहजा फ़रमायें कि मुर्दे किस तरह जिंन्दा किये जायेंगे !
चुनांचे आपने खुदा से अर्ज किया: इलाही ! मुझे यकीन है कि तू मुर्दों को जिन्दा फ़रमायेगा ! और उनके अज्जा दरियाई जानवरों, परिन्दो और दरिन्दौ के पेटों से जमा फ़रमायेगा ! लेकिन मैं यह अजीब मंज़र देखने की आरजू रखता हूं !
खुदा ने फरमाया: अच्छा ऐ खलील तुम चार परिन्दे लेकर उन्हें अपने साथ हिला लो ताकि अच्छी तरह उनकी शिनाख्त हो जाये !
फिर उन्हें ज़बह करके उनके आज़ा एक दूसरे से मिला जुलाकर उनका एक-एक हिस्सा एक-एक पहाड पर रख दो ! फिर उनको बुलाओ और देखो वह किस तरह जिन्दा होकर तुम्हारे घास दौडते हुए आते हैं !
चुनांचे हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम Ibraheem Alaihissalam ने मोर, कबूतर, मुर्गा और कौवा यह चार परिन्दे लिये ! और उन्हें ज़बह किया ! उनके पर उखाडे और उन सबका कीमा करके ओर आपस में मिला जुलाकर इस मजमूए के कई हिस्से किये !
एक-एक हिस्सा एक एक पहाड पर रख दिया ! और सर सबके अपने पास महफूज रखे !’ फिर आपने उनसे फ़रमाया: चले आओं ! आपके फरमाते ही वह आज़ा उडे ! हर-हर जानवर के आज़ा अलग-अलग होकर अपनी तरकीब से जमा हुए !
और परिन्दे की शक्ल बनकर अपने पांव से दौडते हुए हाजिर हुए ! अपने अपने सरों से मिलकर पहले की तरह मुकम्मल होकर उड गये !
( कुरआन करीम पारा 3 रुकू 3 खजाइनुल इरफान सफा 66 )
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सबक : Hazrat Ibraheem Alaihissalam Or Char Parinde
खुदा तआला बडी कुदरत व ताकत का मालिक है ! कोई डूब कर मर जाये ! और उसे मछलियां खा जायें या जलकर मरे ओंर राख हो जाये ! या किसी को दरिन्दे परिन्दे और दरियाई जानवर थोडा-थोडा खा जायें ! और उसक आजा बिखर जायें ।
खुदाए बरतर व तवाना फिर भी उसे जमा फरमाकर जरूर जिन्दा फ़रमायेगा ! बारगाहे खुदा तआला की हाजरी से उसे फरार नहीं ! यह भी मालूम हुआ कि मुर्दे सुनते हैं ! वरना खुदा अपने खलील से यह न फ़रमाता कि उन मुर्दा और कीमा शुदा परिन्दो को बुला !
हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बहुक़्मे इलाही उन मुर्दा परिन्दो को बुलाया और वह मुर्दा परिन्दे आपकी आवाज़ क्यूँ सुनकर दौड पडे ! यह परिन्दौ की समाअत (सुनना) है ! जो अल्लाह वाले है ‘उनकी समाअत (सुनना) का आलम क्या होगा ?
यह भी मालूम हुआ कि उन परिन्दो को जिन्दा तो खुदा ही ने किया लेकिन यह जिन्दगी तुम्हें मिली इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बुलाने और उनके लब हिलाने से ! गोया किसी अल्लाह वाले के लब हिल जायें तो खुदा काम कर देता है ।
इसीलिये मुसलमान अल्लाह वालों के पास जाते हैं ! ताकि उनकी मुबारक और कुबूल होने वाली दुआओं से अल्लाह हमारा काम कर दे !