jumma mubarak
अबू हुरैरह रजियल्लाहू अन्हु से मारवी है कि हुजूरे अकरम ,सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि अफजल तरीन ‘दिन’ जिस पर’ आफ़ताब निकला हो वह जुमे का दिन Jumma Mubarak है ।
इस दिन में आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया गया । इसी ” दिन आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत में दाखिल किया गया। इसी 3 दिन में आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से दुनिया में भेजा गया “और कयामत जुमे के दिन ही कायम होगी !
सिहाहे सित्तह की कुतुबे हदीस में से सही मुस्लिम शरीफ़ भी निहायत मुस्तदत और मशहूर किताब है ।
इसमे इमाम मुस्लिम ने हजरत अबू हुरैरह रजियल्लाहु अन्हु को यह हदीस नक्ल फ़रमाई है
जिस में मुख़तलिफ़ जिहतो से यौमे जुमा ( यौम मतलब दिन ) को अफ़ज़लुल अय्याम ( दिनों मे से अफ़ज़ल दिन ) करार ‘ दिया _गंया _ है ‘
ईस दिन का नाम ही यह बतला रहा, है’ कि, यह शुक्र व इबादत के लिए इज़माअ का दिन है ! कि अल्लाह तआला ने कुरआने हक़ीम में इसी नाम की एक सूरत ऩाज़िल फ़रमाई है । यानी सूरए जुमा ।
दूसरी हदीस में’ इस दिन का सय्यदुल अय्याम (दिनों के सरदार) भी कहा गया है । दरअस्ल दुनिया की ‘हर कौम व मिल्लत मैं हफ़्ते मे” से कोई सा एक दिन बाकी ” दिनो” मैं अफजल और मुक़द्दस हाेता’ है ।
jumma mubarak
उस दिन को खुसूसी और कोमी दिन समझा “जाता हैं और इसमें पूरी क़ोम अपने अपने ‘ “मुक़ाम पर जमा होकर अल्लाह की ‘बन्दगी और इबादत करती है ।
चुनांचे यहूद ने जुमा ( jumma mubarak ) और इतवार के दर्मियान दिन यानी हफ़्ता काे अफ़ज़लुल, ‘ अय्याम और इजतिमाई इबादत का ’ दिन करार दिया हैं ।
यह क़ौम हफ़्ते के दिन इबादत के लिए अपने इबादत खानों में जमा होती है और कोम ने हफ़्ते के दिन को अफ़ज़लुल, ‘ अय्याम ‘ क़रार देने की बुनियाद यह तज़वीज़ की ! कि हक तआला “ने” पूरी काएनात को छः दिन मैं मुकम्मल फ़रमाया !
जिस की तसरीह क़ुरआने करीम में मौजूद है । तख़्लीक़े काएनात का काम इतवार काे शुरू हूआ और जुमे “काे तख़्लीक़े काएनात की तकमील हूई । सातवा दिन “जो जुमे के बाद है _ वह ख्याली रहा ! लिहाजा जो दिन अल्लाह ने ख़ाली रखा वही अफ़ज़ल व खुसूसी इबादत का दिन है।
मसीही अक़वाम ने इतवार ‘के दिन काे अफ़ज़लुल, ‘ अय्याम और इजतिमाई इबादत का दिन करार दिया। और वजहें फ़ज़ीलत यह तजवीज की कि ‘इतवार की दिन तख़्लीक़े काएनात -की इब्तिदा का दिन हैं।
इसी दिन की बदौलत आसमान व ज़मीन वज़ूद मे आए ! और इंसानों काे भी “वुजूद” मिला। ‘ लिहाजा तशक्कुर इबादत का दिन वह होना चाहिए _ जिस रोज़ तख़्लीक़े काएनात -की इब्तिदा हूई है और वह इतवार हैं ।
jumma mubarak
हदीस में आता है कि अल्लाह की तरफ से .हफ़्ते के सात दिनो’ में से किसी दिन को अफ़ज़लुल अय्याम मुन्तख़ब करने का इख्तियार दिया गया “था । लेकिन यहूद ने यौमुस्र . सब्त और नसारा ने इतवार को मुन्तख़ब करके गलती की है
हक़ीक़ी रब्त और मुनासबत यह है कि इजतिमाई इबादत के लिए वह दिन मुक़र्रर हाेना चाहिए जिस दिन अल्लाह ने इबादत गुजार मख्लूक़ और शुक्र गुजार हस्ती को पैदा किया हें ! और वह जुमा हैं ।
जिसमे’ अल्लाह तआला ने हज़रते आदम अलैहिस्सलाम काे पैदा फ़रमाया ! ‘चुनांचे हुजूरे अकरम ,सल्ललाहो अलैहि व सल्लम के पास सही इन्तिख्याब पर ‘जुमें का दिन इस्लाम में मैं सय्यदुल अय्याम और अफ़ज़लुल अय्याम करार “पाया !
और इस्लाम में यह दिन ( jumma mubarak ) इबादत का दिन है ! फिर दुनिया में हऱ मिल्लत ब कौम जिस तरह सन व साल को शुमार करने के लिए “किसी एक महीने को शुमार को ब्रुनियाद बना लेती है ! उसी तऱह हफ़्ते के सात दिनो’ का शुमार `उस दिन से करती हैं
जाे उसके नज़दीक अफ़ज़लुल अय्याम ‘है । इसी बुनियाद पर मुस्लिम’ कौमों ने हफ़्तों और महीनो” के शुमार के लिए यौमे जुमा को मदार और मेहवर बना लिया ! और अब ‘किसी माह के शुमार के लिए ए यू कहा जाने लगा कि फुलां माह का यह पहला जुमा है और फुला माह का यह दूसरा जुमा हैं ! फुलां माह का यह आखिरी जुमा है
दिनों का सरदार जुम्मा का दिन
हफ्ते में जुम्मा ( jumma mubarak ) के दिन को दिनों का सरदार कहा जाता है ! अल्लाह ने इसे मुसलमानों के लिए ईद का दिन बनाया है ! जुमा और जुम्मा की नमाज के बारे में अल्लाह पाक ने फरमाया इमान वालों जुम्मा के दिन जब तुम्हें जुम्मा की नमाज के लिए बुलाया जाए !
अजान पढ़ी जाए ! तो अल्लाह की याद जुमा की नमाज़ के लिए चल पड़ो ! और अपना कारोबार बंद कर दो तुम्हारे लिए यही बेहतर है ! अगर तुम जानो जब नमाज अदा कर ली जाए ! तो फिर जमीन में फेल जाओ और अल्लाह का फजल ( रोजी ) तलाश करो ! और अल्लाह को खूब खूब याद करते रहो ! ताकि तुम्हें कामयाबी मिले ! जुमा की अजान होने से पहले ही पूरी तैयारी करके मस्जिद पहुंचना चाहिए
फरिश्ते मस्जिद के दरबार पर खड़े होकर नमाज के लिए आने वालों के नाम लिखते रहते हैं !और खुद बाकी अजान होते ही अपने दफ्तर बंद करके खुत्बा सुनने लगते हैं ! अजान के वक्त और उसके बाद नमाज से पहले खरीद-फरोख्त करना जायज नहीं है ! अल्लाह का यही हुक्म है !जो आदमी अजान हो जाने के बाद भी धंधे में लगा रहता है ! उसकी कमाई की बरकत खत्म हो जाती है !
जुमा ( jumma mubarak ) के बारे में 1 दिन अल्लाह के प्यारे रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने सहाबा से फरमाया ! लोगो सुनो मेरे पास हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम आए ! और बताया जन्नत में एक बड़ा मैदान है ! जिसकी मिट्टी मुश्क है ! जुम्मा के दिन अल्लाह पाक अपना जलवा अता फरमाता है !
जन्नतीओ को उस मैदान में जमा होने का हुक्म दिया जाता है ! तो वह अपने अपने ठिकानों से सज धज कर वहां जमा होते हैं ! फिर एक हवा चलती है ! जो मुश्क की खुशबू चारों तरफ बिखेर देती है ! फिर परदे उठा दिए जाते हैं !
jumma mubarak
अल्लाह अपनी रहमत की बारिश फरमाते हुए फरमाता है ! जो मांगना ! चाहो मांग लो जन्नती कहते हैं ! मौला तूने तो हमें सब कुछ अता फरमा दिया है ! अब क्या मांगू तूने जो वादा फरमाया था ! सब पूरा फरमा दिया है ! हां तू हमें अपने करम से अपनी रजा अता फरमा ! हमेशा हमसे राजी रहे ! जवाब मिलता है बन्दों मैं तुमस राजी हूं ! अगर राजी ना होता ! तो इतनी सारी नेमतें ना देता !
इस बशारत के बाद सब वापस अपने ठिकानों के लिए चल पड़ेंगे ! और दूसरे जुमा का इंतज़ार करते रहेंगे ! ताकि दीदारे इलाही की सआदत नसीब हो सके !
अल्लाह पाक हमें जुमा ( jumma mubarak ) का एहतेराम करने ! और वक़्त पर नमाज़ अदा करने की तौफीक बख़्शे ! और अपने नेक बन्दों में शामिल फ़रमा ले !
*जुमा ( jumma mubarak ) के दिन दुनिया बनाई गई !
#जुम्मा के दिन आदम अलैहिस्सलाम को मिट्टी से निकाला गया !
*जुम्मा के दिन यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली के पेट से निकाला गया !
#जुम्मा के दिन इस्लाम की पहली जंग हुई !
*जुम्मा के दिन मक्का फतह हुआ !
#जुम्मा ( jumma mubarak ) के दिन हजरत इमाम हुसैन रजि अल्लाह तआला अन्हु शहीद हुए !
*जुमा के दिन मूसा अलैहिस्सलाम की कौम को फिरौन के जुल्म से निजात मिली !
#जुमा के दिन ईसा अलैहिस्सलाम दुनिया में तशरीफ़ लाए !
*जुमा ( jumma mubarak ) के दिन ही कयामत होगी !