ramjan roja itikaf taraweeh dua namaz calendar image
अस्सालमो अलयकुम प्यारे प्यारे भाईयो और बहनो सबसे पहले माहे रमजान ( ramjan ) की बहुत बहुत मुबारकबाद
अगर आप रमजान ( ramjan ) रोज़ा ( roja ) एतिकाफ ( itikaf ) तरावीह taraweeh दुआ dua नमाज़ namaz रमजान कैलेंडर calendar image और रमजान ( ramjan ) से releted सभी जानकारी चाहते है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़िए !
सबसे पहले हम रमजान के एतिकाफ के वारे में बताते है
रमजान का एतिकाफ ( ramjan ka itikaf )
माहे रमज़ान (Ramjan) की एक खास इबादत एतेकाफ़ ( itikaf ) है ! अल्लाह के प्यारे रसूल फ़रमाते है ~ जिसने रमज़ान में दस दिन का एतेकाफ़ ( itikaf ) कर लिया तो ऐसा है जैसे दो हज औंर उमरे किए
हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रदियल्लाहो अल्हो का बयान है ! एक बार सरकार ने एक से 20 रमज़ान (Ramjan) तक एतेकाफ़ फ़रमा ने के बाद
फरमाया मैंने शबे कद्र की तलाश में रमज़ान के पहले 10 दिनो में एतेकाफ़ किया ! फिर दूसरे अशरे का एतेकाफ़ किया ! फिर मुझें बताया गया कि शबे कद्र तो आखिरी अशरे में है ! इसलिए तुम में से जो एतेकाफ़ करना चाहे कर ले ।
मिशकात
इस के बाद सरकार हर साल रमजान (Ramjan) के आखिरी अशरे का एतेकाफ़ फ़रमाने लगे ! आप को देख कर
उम्महातुल मोमिनीन भी एतेकाफ़ करने लगी ! उन का यह तरीका सरकार के पर्दा फ़रमाने क बाद भी जारी रहा
हदीस शरीफ़ में है ! जो आदमी ईमान की हालत मे सच्चे दिल से, सवाब की नियत से रमज़ान मे एतेकाफ़ करेगा ! उसके आमाल नामे में हजार साल की इबादत का सवाब लिखा जाएगा !
एतेकाफ़ की नियत- ( ramjan itikaf ki niyat )
नियत यूं करे में अल्लाह की रजा के लिए रमज़ान के आखिरी अशरे का एतेकाफ़ ( itikaf ) करने की नियत करता हूं ।
इसके अलावा आप जब भी मस्जिद में जाएं तो दाखिल होते वक्त दुआ के बाद एतेकाफ़ की नियत ( itikaf ki niyat ) कर ले,
आप जब तक वहां रहेंगे, ज़िक्र व तिलावत करेंगे, आप को एतेकाफ़ का सवाब मिलेगा ! रमज़ान में अक्सर मस्जिदों मे इफ्तारी का इन्तेजाम होता है । याद रहे मस्जिद मे खाने पीने, सोने की इजाज़त नहीं । इसलिए इफ्तार के लिए मस्जिद जाए तो एतेकाफ़ की नियत ( itikaf ki niyat ) कर लिया करे !
और कुछ ज़िक्र व तिलावत , तस्बीह वगैरा पढ़ लिया करें । इतना करने के बाद आप के लिए मस्जिद में रोज़ा ( roja ) खोलना खाना पीना हलाल हो जाएगा । अल्लाह ऐसी तौफीक दे । आमीन
RAMJAN MEIN PADHNE WALI DUA
रमज़ान ( Ramjan ) का पहला अशरा रहमत का है ! लिहाजा पहले रोजे से दसवे रोजे तक इस दुआ को कसरत से पढ़ें !
*अल्लाहुम्मर-हमना या अर हमर-राहिमीन*
रमज़ान ( Ramjan ) का दूसरा अशरा मग्फिरत का है ! लिहाजा ग्यारहवै रोज़े से बीसवे रोज़े तक यह दुआ बार-बार पड़े !
*अल्लाहुम्मग़ फ़िर-लना ज़ुनू बना या रब्बल-आलमीन*
रमज़ान मुबारक ( Ramjan ) का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का है ! लिहाजा इक्कीसवे रोज आखरी रोजे तक यह दुआ बार-बार पड़े !
*अल्लाहुम्मा किना अज़ाबन्नारि व अद खिलनल-जन्न-त अ म-अल अबरारि या अज़ीजु या गफ्फ़ार *
सहरी के वक्त यह दुआ पढ़े
*या वासीअल फदलि व या वासीअल मग़फि-रति इग्फिर-लना*
रमजान ( Ramjan ) शरीफ में कसरत से चलते फिरते यह दुआ पढ़े !
*ला इला-ह इलल्लाहु अल्लाहुम्मा नस-तग़-फिरुका व नस-अलु-कल जन्न-त व नउज़ुबि-क मिनन्नार *
शबे कद्र में यह दुआ ज्यादा से ज्यादा पढ़े !
*अल्लाहुम्मा इन्न-क अफुव्वुन तुहिब्बुल-अफ-व फ़अ-फ़ु अन्ना या करीम*
रोज़ा की नियतः- ROJA RAKHNE KI NIYAT
नियत की मैंने आज के रोज़ा की
बिसौमि गदिन नवयतु मिन शहरे रमज़ान
BISOUMI GHADIN NAWAYTU MIN SHAHRE RAMZAN
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इफ्तार की दुआ- ROJA KHOLNE KI DUA
अल्लाहुम्मा इन्नी ल-क सुम्तु व बि-क आमनतु
व अलै-क तवक्कलतु व अला रिजि़्कक़ा अफ्तरतु फ़तक़ब्बल मिन्नी
ALLAHUMMA INNI LA-KA-SUMTU WA BI-KA AAMANTU WA ALAI-K TAWAKKALTU WA ALA RIZKIKA AFTARTU FATAKABBAL MINNI
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