शबे क़द्र की नमाज़ का तरीका
आप सभी को शबे क़द्र की बहुत बहुत मुबारक-बाद ! इस पोस्ट में जानेंगे आप शबे क़द्र की नमाज़ का तरीका ( shab e qadr ki namaz ) Ya lailatul qadr ki namaz ka tarika . !
जैसा की आप सब जानते है की शबे क़द्र रमजान मुबारक की 27 वी रात को मनाई जाती है ! मतलब जब 26 रोज़ा मुकम्मल हो जाए ! तब 26 रोज़े की इफ्तार से लेकर सुबह सेहरी के वक़्त तक शबे क़द्र Ya lailatul qadr होती है !
इस मुबारक रात की बहुत ही फ़ज़ीलत है ! शबे क़द्र में मुसलमान जागकर अल्लाह सुब्हान तआला की इबादत करते है ! और अपने गुनाहो की मुआफी मांगते है
- A-21 Ramzan – Shab-e-Qadr
- B-23 Ramzan – Shab-e-Qadr
- C-25 Ramzan – Shab-e-Qadr
- D-27 Ramzan – Shab-e-Qadr
- E-29 Ramzan – Shab-e-Qadr
शबे क़द्र की फ़जीलत
शबे क़द्र की फ़जीलत और अज़मत अल्लाहु अकबर कौन बयान कर सकता है ! इसकी बहतरी व बरतरी का तो क़ुरआने करीम ख़ुत्बा पढ़ रहा है ! सूरए क़द्र पढिये और इसकी अज़मतों का एतिराफ़ कीजिये ।
शबे क़द्र की नवाफ़िल – Shab e qadr ki nafl namaz
बडे खुश नसीब हैं वह मुसलमान जो शबे क़द्र जैसी फ़जीलत व अज़मत वाली रात पाएं ! और उसकी क़द्र जान कर नमाज़ो तिलावत ज़िक्रो नवाफ़िल, और दुरूदो सलाम में मसरूफ़ रहें ! और शबे बेदारी ( शबे बेदारी मतलब रात भर जागना ) करें ! इसलिये खुदा तौफीक़ दे तो शबे क़द्र की नमाज़ ( shab e qadr ki namaz ) जरूर पढ़नी चाहिए
( 1 ) शबे क़द्र में चार रकअत नफ़्ल एक सलाम से पढे हर रकअत में सूरए फातिहा क्रे बाद सूरए क़द्र ( इन्ना अन्जलना ) तीन मरतबा और सूरए इखलास ( कुल हुवल्लाह शरीफ़ ) पचास बार पढे ! नमाज़ से फारिग होने के बाद एक बार ये तस्बीह पढे फिर दुआ मांगे
सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
तम्बीह: हर नमाज़ नफ़्ल में हर दो रकअत पर क़अदा करना फ़र्ज़ है इस लिये जब क़अदे में बैठें
तो अत्तहिय्यात के साथ दुरूद शरीफ़ और दुआ पढे !
फिर तीसरी रकअत के लिये खडे हों
तो पहले सना पढे फिर सूरए फातिहा से शुरू करें, इस बात का हमेशा खयाल रखें ! आम तौर पर लोग इससे गाफिल हैं ! निचे जाकर पढ़े निचे पूरा तरीका बताया है ( full explain for shab e qadr Prayer in hindi )
(2 ) दो रकअत नफ़्ल अदा करें, दोनों रकअत में सूरए फातिहा के बाद सूरए क़द्र एक बार और कुल हुवल्लाहु
बीस बार पढे ! नमाज़ के बाद फिर कुल हुवल्लाह पाँच सौ मर्तबा और
अस्तग़फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्लि ज़मबिंव व अतु बु इलैहि 0
सौ मरतबा और दुरूद शरीफ़ सौ मरतबा पढ कर दुआ मांगे
(3) दो-दो रकअत की नियत से सौ रक्अत नफ़्ल अदा करे ! हर रकअत में सूरए फातिहा के बाद एक बार सूरए क़द्र और तीन बार कुल हुवल्लाह शरीफ पढे ! और हर दो रकअत पर सलाम के बाद दुरूद शरीफ़ दस बार पढे !
शबे क़द्र में पढ़ने वाली दुआ – shab e qadr ki dua
(4) वह दुआ जिसको सरवरे आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा
सिद्दीका रजियल्लाहो तआला अन्हा को शबे क़द्र में विर्द करने के लिये तालीम फरमाई ! इसे खूब पढे !
दुआ यह है –
अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ़वा फ़अफु अन्नी या ग़फूर 0
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ऊपर जो बताया है अब उसी को विस्तार के साथ बताने की कोशिश की है
full explain for shab e qadr Prayer in hindi
01. शबे क़द्र की नमाज़ की नियत – shab e qadr ki namaz ki niyat
नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ शबे क़द्र की नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मौजूदा , मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
shab e qadr ki namaz ka tarika Ya lailatul qadr ki namaz ka tarika
नियत करके अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बांध लेना है ! फिर सना पढ़ना है !
सना के अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !
फिर सूरए फातिहा के बाद
सूरए क़द्र तीन मर्तबा
और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पचास मर्तबा पढे !
दूसरी रकअत में भी सूरए फातिहा के बाद सूरए क़द्र तीन मर्तबा
और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पचास मर्तबा पढे !
दो रकअत पूरी होने के बाद – क़अदा ऊला में तशह्हुद पढे ! और दुरूद व दुआ पढ कर खडे हो जाए !
फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे, यानी की तीसरी रकअत में पहले
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका* पढ़े !
फिर सूरह फातिहा पढ़े ! उसके बाद जैसे पहली दो रकअत नमाज़ अदा
की उसी तरह बची हुई दो रकअत अदा करेंगे !
इसी तरह से 4 चारो रकअत में सूरए फातिहा के बाद सूरए क़द्र तीन मर्तबा
और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पचास मर्तबा पढेंगे !
फिर एक बार ये तस्बीह पढ़े
सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
और अल्लाह से रो-रोकर दुआ कीजिये ! नबीये करीम मुहम्मद सल्ललाहो अलैहि व सल्लम के सदके में अल्लाह सबकी जायज़ दुआ क़ुबूल अता फरमाए आमीन !
QURAN-SURAH AL-QADR IN ARABIC
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِنْ أَلْفِ شَهْرٍ
تَنَزَّلُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِمْ مِنْ كُلِّ أَمْرٍ
سَلَامٌ هِيَ حَتَّى مَطْلَعِ الْفَجْرِ
सूरह क़द्र – soorah qadr in hindi
इन्ना अन्ज़लना फ़ी लैलतिल क़दरि वमा अद्राका मा लैलतिल क़द्र 0
लैलतिल क़दरि ख़ैरुम मं अलफ़ि शहर 0
तनज़्ज़लुल मलाइकतु वर्रूह 0
फ़ीहा बि इज़नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अमरिन सलाम 0
हिया हत्ता मतलइल फ़ज़्र 0
QURAN-SURAH AL-QADR IN ENGLISH
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
Innaa anzalnaahu fee lailatil qadr
Wa maa adraaka ma lailatul qadr
Lailatul qadri khairum min alfee shahr
Tanaz zalul malaa-ikatu war roohu feeha bi izni-rab bihim min kulli amr
Salaamun hiya hattaa mat la’il fajr
सूरए इख़्लास – Surah Ikhlaas
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ * ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ * وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
*कुल हुवल्लाहु अहद *अल्लाहुस्समद *
लम यलिद व् लम यूलद *वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद*
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
Qul huwal laahu ahad.Allah hus-samad.
Lam yalid wa lam yoolad.Wa lam yakul-lahu kufuwan ahad.
02. शबे क़द्र की 2 रकअत नफ़्ल नमाज़ की नियत – shab e qadr ki namaz ki niyat
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ शबे क़द्र की नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मौजूदा , मुँह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
shab e qadr ki namaz ka tarika
नियत करके अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बांध लेना है ! फिर सना पढ़ना है !
सना के अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !
फिर सूरए फातिहा के बाद
सूरए क़द्र एक मर्तबा
और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ (सूरह इखलास ) बीस मर्तबा पढे !
नमाज़ के बाद फिर कुल हुवल्लाह (सूरह इखलास )
*कुल हुवल्लाहु अहद *अल्लाहुस्समद *
लम यलिद व् लम यूलद *वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद*
पाँच सौ मर्तबा और
अस्तग़फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्लि ज़मबिंव व अतु बु इलैहि 0 सौ मरतबा
और दुरूद शरीफ़ जो भी दरूद शरीफ आपको याद हो वो
सौ मरतबा पढ कर दुआ मांगे
(3) ऊपर बताई है इसी तरह से दो-दो रकअत की नियत से सौ रक्अत नफ़्ल अदा करे ! हर रकअत में सूरए फातिहा के बाद एक बार सूरए क़द्र और तीन बार कुल हुवल्लाह शरीफ पढे ! और हर दो रकअत पर सलाम के बाद दुरूद शरीफ़ दस बार पढे ! जो भी दरूद शरीफ आपको याद हो वो !
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शबे क़द्र में पढ़ने वाली दुआ – shab e qadr ki dua
(4) वह दुआ जिसको सरवरे आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा
सिद्दीका रजियल्लाहो तआला अन्हा को शबे क़द्र में विर्द करने के लिये तालीम फरमाई ! इसे खूब पढे !
दुआ यह है –
अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ़वा फ़अफु अन्नी या ग़फूर 0
अल्लाह सुब्हान तआला से दुआ है की शबे क़द्र के सदके में हम सबकी जायज दुआ क़ुबूल अता फरमाए ! आमीन ! या रब्बुल आलमीन !