मां – बाप की अहमियत –
2. मां बाप की खिदमत का हक़ ‘अदा करने वाले ही जन्नत के हक़दार होंगे ।
3. मां -बाप की नाफ़रमानी करने वाले जहन्नम में तरह-तरह के अज़ाब ‘ पाएंगे ।
4. मां -बाप की दुआओं में औलाद की कामयाबी व तरक़्क़ी है 1
5. मां-बाप को इज्जत व मुहब्बत की नजर से देखना भी इबादत हैँ।
6. मां बाप की नाफ़रमानी गुनाहे कबीरा है ।
7. जो लोग मां बाप की नाफ़रमानी करते हैँ वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहेंगे ।
8. मां-बाप – यह ऐसी दौलत है जो खो जाने पर दोबारा नहीं मिलती । ”
9. कितले नादाँ हैं वह लोग जो मां-बाप की दुआएं लेने के बजाय दूसरे से दुआ की दरख़्वास्त करते हैँ ।
माँ बाप के बारे में क्या कहता है क़ुरआन :-
इस्लाम कहता है,
उनसे सच्चे दिल से मुहब्बत करें।हर वक़्त उन्हें खुश रखने की कोशिश करें ! अपनी कमाई दौलत, माल उनसे न छुपाएँ !
माँ बाप को उनका नाम लेकर न पुकारें ! अल्लाह को खुश करना हो तो अपने , माँ बाप को मुहब्बत भरी निगाह से देखो !
अपने माँ बाप से अच्छा सुलूक करोगे तो तुम्हारी औलाद तुम्हारे साथ अच्छा सुलूक करेंगी !
माँ बाप से अदब से बात करे, डांट डपट करना अदब के खिलाफ है ! दुनिया में पूरी तरह उनका साथ दो।माँ बाप की नाफरमानी से बचो ! क्योंकि माँ बाप की खुशनूदी में अल्लाह की खुशनूदी है !और उनकी नाराज़गी में अल्लाह की नाराज़गी ।
अगर चाहते हो कि खुदा तुम्हारे काम में फायदा दे, तो अपने माँ बाप से रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक बनाए रखे ! अगर उनमे से एक या दोनों वफात पा जाये तो कभी कभी कब्र पर जाया करे,और उनके लिए दुआ करो ! दुआ करो कि ‘ये अल्लाह उनपर वैसा ही रहम करना ! जैसा उन्होंने मेरे बचपन में मेरी परवरिश के वक़्त किया था।
आज हम अपनी इन्हीं मज़हबी बातों से भटक गये है, हम अपने माँ बाप को अहतेराम देने के बजाय हम अपनी दुनियावी ख्वाहिशों के लिए उनसे लड़ते झगड़ते हैं ! मरने के बाद उनके कब्र की जियारत तो बहुत दूर की बात है उनके लिए कोई सद्का खैरात तक नहीं करते !
बुढापे में उनकी ख़िदमात के बजाय अपने दुनिया के फुजूल कामों में लगे रहते है !अल्लाह से मेरी ये दुआ है कि वो हमें इन गुनाहों से बचाए !