Fatiha Dene Ka Tarika – बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम – अस्सलामो अलैयकुम मेरे प्यारे-प्यारे भाइयो और बहनो इस पोस्ट में हमने फातिहा देने का सुन्नी तरीका (fatiha dene ka tarika ) बताया है ! मेने गूगल पर कई लोगो के ये सवाल देखे ! तो फिर मेने ये पोस्ट बनायी ! लोगो के सवाल इस तरह थे
- इसाले सवाब किस तरह किया जाता है ?
- फातिहा करने का तरीका क्या है ?
- कब्रिस्तान में फातिहा कैसे पढ़े ?
- कब्र पर फ़तिहा कैसे पढ़े ?
- फातिहा में कौन कौन सी सूरत पढ़ी जाती है ?
- कब्र पर फातिहा पढ़ने की दुआ ?
मेरे प्यारे दोस्तों इस पोस्ट में आपको इन्शाहअल्लाह इन सब सवालो के जवाब मिल जायेंगे !
Fatiha Dene Ka Tarika –
मेरे प्यारे अज़ीज़ो घर में कोई भी इवेंट हो , या किसी मरहूम के लिए फातिहा ख्वानी रखी हो फातिहा देने का एक ही तरिका है ! जो इस पोस्ट में मिलेगा !
फातिहा ख्वानी ख़ुशी के मौके पर भी की जाती है ! और ग़म के मौके पर भी की जाती है ! ख़ुशी के मौके पर अल्लाह करीम का शुक्र करने की नियत से की जाती है !
और ग़म के मौके पर सब्र करने की नियत से की जाती है ! दोनों सूरतो में फातिहा देने के बाद अल्लाह से दुआ की जाती है ! की अल्लाह हमें सब्र दे ! खुशिया दे ! और हमारे बड़े बुड़े जो इस दुनिया से जा चुके है ! उनको राहत दे ! उनके दरजात में बुलंदी अता फरमाए !
कई लोगो का ये भी सवाल है की फातिहा में क्या पढ़ा जाता है ?
तो मेरे प्यारो फातिहा का दूसरा नाम इसाले सवाब है ! फातिहा में क़ुरआन की आयते पढ़ी जाती है ! नबीये करीम पर दुरूद ए पाक का नज़राना भेजा जाता है !
दुसरा सवाल है की फातिहा क्यों पढ़ी जाती है ?
तो इसका जवाब ये है की फातिहा ख्वानी जरिये मरहूम को इसाले सवाब किया जाता है ! अब जो मर गया उसने दुनिये में जो अमल किये ! उसका हिसाब किताब मरने के बाद होगा ! , मगर मरहूम के लिए इसाले सवाब करने के लिए जब क़ुरान की आयते पढ़ी जाती है !
नबीये करीम पर दुरुद पढ़ा जाता है ! और मरहूम के लिए दुआ की जाती है ! तो अल्लाह करीम अपने फ़ज़ल से मरहूम को कब्र के अज़ाब से छुटकारा देता है ! और अल्लाह करीम चाहे तो मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमा दे ! मतलब अल्लाह करीम चाहे तो मरहूम के सारे गुनाह मुआफ फ़रमा दे ! और मरहूम को जन्नत आता फ़रमादे !
दोस्तों अब में आपको फातिहा देने का मुकम्मल सुन्नी तरीका बताने वाला हु ! लिहाज़ा पोस्ट पूरी पढ़े ! और अपने प्यारो को भी शेयर करे ! ताकि आपको भी सवाब मिले और उनको भी ! जब तक ज़िंदा है सवाब कमालो ! क्या पता कल हमारे लिए कोई फातिहा ख्वानी करे न करें ! पूरी पोस्ट जरूर पढ़े !
फातिहा देने का सुन्नी तरीका – Fatiha Dene Ka Sunni Tarika
सब से पहले वुजू करना है ! वुजू करने के बाद क़िब्ला रुख बैठ कर जिस चीज पर फातिहा (Fatiha ) देनी हो या इसाले सवाब करना हो ! उसको सामने रख ले ! सामने रखना सिर्फ मुबाह और जायज है !
अगर वह चीज ढकी हुई हो तो उसे खोल्दे और लोबान अगरबत्ती सुलगाकर फातिहा ( Fatiha ) की चीजों से दूर रखे ! और निचे बताये तरीके से फातिहा (Fatiha) दे !
सबसे पहले अव्वल व आखिर 11-11 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़े ! फिर क़ुरान की जो भी सूरत आपको याद हो वो पढ़े ! नहीं तो सूरह काफ़िरून 1- बार , सूरह इखलास -3 बार , सूरह फलक़ 1- बार , सूरह नास 1 -बार ,सूरह फातिहा – 1 बार पढ़कर सूरह बक़रह का पहला रुकू पढ़े ! और क़ुरान की कुछ और आयते है जिनके बारे में आगे विस्तार से बताया है ! फिर दुरुद शरीफ पढ़े !
क्या क्या पढ़ना है ! बिस्मिल्लाह शरीफ से दुआ तक फातिहा देने का पूरा तरीका इस तरह है !
Fatiha Dene Ka Tarika
सबसे पहले दूरुद-शरीफ पढ़े फिर
सूरह काफ़िरून – Surah Kafeerun
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
*कुल या अय्युहल काफ़िरून*ला अबदु मा ता अबुदन*वला अन्तुम आबिदु न मा आबुद*वला अना आ बिदुम मा अबत्ततुम*वला अन्तुम आबिदु न मा आ बू दू * ल कुम दिनु कुम व लिय दीन*
सूरए इख़्लास – Surah Ikhlaas
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
*कुल हुवल्लाहु अहद *अल्लाहुस्समद *लम यलिद व् लम यूलद * वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद*
(तीन बार पढ़े )
सूरए फ़लक़ – Surah Falaq
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
*कुल अऊजू बि रब्बिल फ़लक़*मिन शर्रि मा खलक *वमिन शर्रि ग़ासिक़ीन इज़ा वकब * व् मिन शर्रिन नफ्फा साति फ़िल उक़द * व् मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद * (एक बार पढ़े )
सूरए नास – Surah Naas
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
*कुल अऊजू बि रब्बिन नासि *मलिकिन नासि *इला हिन्नासि *मिन श र्रि ल वस् वासिल खन्ना सिल्लज़ी युवस विसु फी सुदु रिन्नासी मिनल जिन्नति वन्नास * (एक बार पढ़े )
सूरए फ़ातिहा – Surah Fatiha
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
सूरए फ़ातिहा – Surah Fatiha
सूरए बक़रह – Surah Baqrah
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
दुरुद शरीफ – Durud Sharif
* अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व बारिक व सल्लिम *सलातंव व सलामन अलैका या रसूलुल्लाह * सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज़्ज़ति अम्मा यसीफ़ून * व सलामुन अलल मुरसलीन * वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन *
अगर वक़्त की पाबन्दी नहीं हो तो आप दरूद-ए-ताज़ भी पढ़ सकते हो ! दरूद ए ताज़ इस तरह है !
दरूद ए ताज –
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम्
अल्लाहूम्म सल्लि अला सय्यिदिना वमौलाना मु-हम्मदिन् साहिबित्ताजि वल् मेअरजि वल् बुराकि वल्अ-लम् 0 दाफिइल् बलाई वल् वबाइ वल कहति वल् मरजि वल अ-लम् 0
इसमुहू मक़तूबुन् मरफ़ूऊन् मशफूऊन् मन्कूशुन् फिल्लौहि वल् क-लम् 0 सय्यिदिल् अ-रबि वल् अ-जम् 0 जिसमुहू मु- कद्दसुन् अत्तरुन मु-तह्हरुन मु -नव्वरुन फ़िल् बैति वल् ह-रम् 0
शम्सिज़्ज़ुहा बदरिद्दुजा सदरिल् उला नूरिल् हुदा कहफिल् वरा मिसबाहिज़्ज़ु-लम् 0 जमीलिश्शि-यम् शफीअिल् उ-मम् 0 साहिबिल् जूदि वल्-करम् 0
वल्लाहु आसिमुहू 0 वजिब्रीलु खादिमुह 0 वलबुराकु मऱकबुह 0 वल् मेअराजु स-फरुहू वसिद-रतुल् मुन् तहा मक़ामुहू 0 वका-ब क़ोसैनि मतलुबुह 0 वल् मतलुबु मक़सूदुहू वल्-मक़सूदु मोज़ुदुह् 0
सय्यिदिल् मुर-सलीन् 0 ख़ातिमिन्नबिय्यी-न शफीअिल् मुज़निबीन् 0 अनीसिल् ग़रीबीन रह-म-तल्लिल् आ-लमीन् 0 रा-हतिल् आशिकीन् 0 मुरादिल् मुशूताक़ीन् 0 शम्सिल् आरिफ़िन 0 सिराजिस्सालिक़ीन 0
मिस्बाहिल् मु-क़र्रबीन् 0 मुहिब्बिल् फु-कराइ वल्-मसाक़ीन् 0 सय्यिदिस्सक़लैनि नबिय्यिल् ह-रमैन् 0 इमामिल् किब-लतैन 0 वसीलतिना फिद्दारैन् 0 साहिबि का-ब कौसेन् 0 मह्रबूबि रब्बिल् मशरिकैनि वल् मग़रिबैनि 0 जद्दिल् ह-सनि वल्हुसैन् 0 मौलाना वमौ-लस्स-क़लैन् 0
अबिल क़ासिमि मुहम्म दिब्नि अब्दिल्लाहि 0 नूरिम्मिन् नूरिल्लाहि 0 या अय्यु -हल् मुशताकू-न बिनूरि जमालिही
*बलग़ल उला बे कमालेही*कशफद्दुजा बे जमालेही*हसनत जमिऊ खिसालेही*सल्लु अलैही व आलेही*
सल्लू अलैहि वआलिही व अस्हाबिही व-सल्लिमू तसलीमा 0
बख़्शने का तरीका (इसाले सवाब का तरीका ) – Fatiha Dene Ka Tarika –
ए अल्लाह मैंने तेरा कलमा पढ़ा ! और जो कुछ यह तबर्रुक हाजिर है ! इसे अपनी बारगाह में कुबूल फरमा ! इसमें जो कुछ गलतियां हो ! अपने फज़्लों करम से माफ फरमा ! और इनका सवाब हम सबके आका वह मौला हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की बारगाह में बतोरे नजराना पेश करते हैं ! कुबूल फरमा !
फिर हुजूर के सदके व तुफैल में जुमलाअंबिया इकराम अलेही मुस्सलाम की आरवाहे तैयिबात को हदयतन तोहफतन पेश फरमा ! फिर हुजूर के सदके में व अंबिया किराम के वसीले से जुमला सहाबए किराम व अजवाज़े मुतअहरात ताबिईन व तबए ताबिईन व जुमला ओलीयाए किराम व बुजुर्गाने दीन रिजवानुउल्लाहि तअला अलेहिम अजमईन की अरवाहे तय्येबात को इसका सवाब अता फरमा !
शदाने कर्बला को इसका सवाब पहुंचा , हज़रत आदम से लेकर अब तक तमाम अम्बिया औलिया नबी रसूल सहाबा अहले बैत तमाम उम्मत वलियो को जो तेरी बारगाहे रेहमत में आ चुके है उनको इसका सवाब आता कर ! फिर इन बुजुर्गाने दीन के वसीले से तमाम मोमिनीन मुमिनात की रूहो को इसका सवाब अता फरमा !
बिल ख़ुसुस . . . . . . . . . . . . . . . . को इसका सवाब अता फरमा !
नोट – बिल ख़ुसुस के बाद जिसके नाम की फातिहा हो उसका नाम ले !
गौसे पाक की न्याज़ की फातिहा देने का तरीका
सूरह बक़रह की आयते –
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
- सूरह अअराफ की आयत – (सूरह 7 ,आयत – 56 ) , पारा – 8
- इन् न रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन
- सूरह अम्बिया की आयत – (सूरह 21, आयत- 107) , पारा – 17
- वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन *
- सूरह अहज़ाब की आयते – (सूरह 33, आयत-40,56) , पारा – 22
मा का ना मुहम्मदुन अबा अ हदिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि व खात मन नबीय्यीन व कानल्लाहु *! बिकुल्लि शैइन अलीमा *! (Ayat-40)
इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *! या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *! (Ayat- 56)
इन्शाहअल्लाह सवाब की नियत ये भी पढ़े – दुरूदे सआदत-6 लाख दुरूदे पाक का सवाब
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