ज़ीक़अदा – Zeeqadaa
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : ज़ीक़अदा ( Zeeqadaa ) का महीना बडों बुजुर्गो वाला महीना है ! और इस माह की इबादत बहुत अफ़ज़ल है !
नफ़्ली नमाज़े :
इस महीना की पहली रात को इशा की नमाज़ के बाद चार रकअत नफ़्ल दो सलाम से पढ़ो ! हर रकअत में सूर:फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 23×23 बार पढे !
फिर सलाम फेरने के बाद अपने गुनाहों से तौबा करके अल्लाह तआला से माफी माँगें ! अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ की बरकत से उसकी बख़्शिश हो जाएगी ! और हशर के दिन उसकी पेशानी सूरज से अधिक रोशन ( चमकदार ) होगी !
Zeeqadaa
ज़ीक़अदा की हर रात को इशा की नमाज़ के बाद दो रक़अत नफ़्ल पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास तीन- तीन बार पढे ! इस नमाज़ के पढने वाले को अल्लाह पाक हर रात उंचे का सवाब अता फ़रमायेगा !
ज़ीक़अदा के महीने में हर जुमा को जुहर की नमाज़ के बाद चार रकअत नफ़्ल दो सलाम से पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर’: इख़्लास 21-21 मर्तबा पढे ! इस नमाज़ के पढने वाले को अल्लाह पाक हज्ज और उमरा का सवाब अता फरमायेगा !
नफ़्ली रोज़े –
इस माह में जो कोई किसी भी दिन’ रोज़ा रखेगा ! तो अल्लाह पाक उस को उमरे का सवाब देगा ! और इस महीना में पीर के दिन जो कोई रोज़ा रखेगा ! तो उसे बेशुमार इबादत का सवाब मिलेगा !
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