मुहर्रम के दिनों में खिचड़ा पकाना और शरबत पिलाना
मुहर्रम के दिनों में खिचड़ा ( Khichda ) पकाना और शरबत ( Sharbat Banana ) बनाना और उस पर फातिहा लगाकर लोगो को पिलाना केसा है आईये हदीस की रौशनी में जानते है इन्ही सवालों के जवाब
हज़रत सअद बिन उबादा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि वो सरकारे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुए और अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! मेरी मां का ईंतेकाल हो गया है, तो उनकें लिए कौनसा सदका अफ्लाल है?
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया पानी बहतरीन सदका है ! तो हुजूर के इरशाद के मुताबिक हज़रत सअद ने कुआ खुदवाया और अपनी मां की तरफ मंसूब करते हुए कहा !
ये कुआ सअद की मां के लिए है ( यानी उसका सवाब उनकी रुह को मिले) !
इस हदीस शरीफ से ये साफ तौर पर साबित हुआ कि हजरत इमाम हुसैन और दिगर शौहदए कर्बला रदियल्लाहु तआला अन्हुम को सवाब पहुंचाने की गर्ज से सबील लगाना और खिचडा वगेरह पकाना फिर ये कहना कि ये खिचड़ा और सबील इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की है शरअन इसमें कोई खराबी नहीँ।
जैसा कि जलीलुलकद्र सहाबी हज़रत सअद रदियल्लाहु तआला अन्हु ने कुआ खुदवाने के बाद फरमाया ये कुआ सअद की मां के लिए है ।
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Muharram Ke Dino Mein Khichda Pakana Or Sharbat Pilana
और हज़रत शाह अब्दुल अजीज़ मोहद्दीसे दहलवी रहमतुल्लाहि तआला अलैंहि तहरीर फरमाते है ! जो हज़रात खाना पर या खिचड़ा ( Khichda ) वगैरह पकाकर हसनैन करीमैन को नियाज़ करें ! उस पर फातिहा, कुल और दरुद शरीफ पढ़े तो वह खाना तबर्रुक हो जाता है ! और उसका खाना बहुत अदृछा है ।
और इरशाद फरमाते हैं अगर मलिदा और चावलों की खीर किसी बुजुर्ग की फातिहा के लिए ईसाले सवाब की नियत से पुकार कर खिलाए तो कोई हर्ज नहीं, जाइज़ है !
फिर चंद सत्र बाद फरमाते हैं ! अगर फातिहा किसी बुजुर्ग के नाम किया गया ! तो मालदारों को भी उस में से खाना जाइज़ है !
अलबत्ता ताजिया का चढा हुआ खाना ! और मिठाई वगैरह नहीं खानी चाहिए ! आला हज़रत इमाम अहमद रजा बरेलवी अलैहिर्रहमलुवर्रिदयान तहरीर फरमाते हैं हज़रत इमाम के नाम की नियाज़ खानी चाहिए ! और ताजिया का चढा हुआ खाना ना चाहिए !
फिर दो सत्र बाद तहरीर फरमाते हैं ! ताजिया पर चढाने से हज़रत इमाम रदियल्लाहु तआला अन्हु की नियाज़ नही हो जाती ! और अगर नियाज़ देकर चढाए या चढा कर नियाज़ दिलाए तो उसके खाने से अहतराज ( बचना) चाहिए ।