Ghar Par Eid-Ul-Adha Ki Namaz Ka Tarika
अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो इस पोस्ट में हमने बताया है की अगर मजबूरन आपको ईद उल अज़हा नमाज़ (Eid Ul Adha Ki Namaz ) मस्जिद में पढ़ने का मौका नहीं मिले ! जैसा की फिलहाल इस वक़्त कई शहरो में लॉकडाउन लगा हुआ है ! तो कारण से आपको मज़बूरी में ईद की नमाज़ पढ़ने ईदगाह नहीं जा सकते तो आप क्या करोगे ? घर पर ईद की नमाज़ ( Ghar Par Eid Ki Namaz ) कैसे अदा करोगे ?
वैसे तो सारी डिटेल हमने पहले की पोस्ट में बता दी है लेकिन आप नहीं पढ़ पाए हो तो ये पोस्ट पूरी पढ़े ! सारे नियम कायदे शर्ते ईद उल फ़ित्र के वक़्त जो थे वही रहेंगे !
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ईद उल फ़ित्र और ईद उल अज़हा की नमाज़ (Eid Ul Adha Ki Namaz) में वक़्त का और नियत का अंतर होता है बाकि सभी शर्ते एक जैसी है
अगर ईद के दिन भी लॉकडाउन रहा तो नमाज़-ए- ईद ( Namaz-e-Eid ) आप पर माफ है,नमाज़ -ए- ईद पढ़ने का मौका ना मिलने की वजह से आप गुनाहगार नहीं होंगे,
मस्लके आला हज़रत – Ghar Par Eid Ki Namaz Ka Tarika
घर में घर की छत पर या किसी बड़े हाल वगैरह में ईद की जमात नहीं हो सकती
इसलिए कम से कम ईद के दिन आप अपने घर में चार रकात चाश्त की नफ़्ल नमाज़ पढ़ें ! और उस का तरीक़ा वही है जो चार रकात सुन्नत पढ़ने का तरीक़ा है !
यानी जिस तरह आप ज़ुहर असर और ईशा से पहले चार रकात सुन्नत पढ़ते हैं ! उसी तरह से इस नमाज़ को भी पढ़ें, और सलाम फेरने के बाद तस्बीह पढ़ें ! उसके बाद आप अपने हिसाब से दुआ मांगे जिस तरह आप और दिनों में मांगते हैं
चार रकअत नमाज़े चाश्त नफ़्ल की नीयत
नीयत की मैंने चार रकअत नमाज़े चाश्त नफ़्ल की वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
इसके बाद जैसे दूसरी नमाज़े पढ़ते है वैसे पढ़ना है ! तीसरी रकअत फिर से सना शुरू करना है
नमाज़े चाश्त की पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – चाश्त की नमाज़ का सही तरीका
यह नमाज़ तन्हा तन्हा पढ़ें क्योंकि तन्हा पढ़ना ही सब से बेहतर है ! शरीअत को यही पसंद है।
कम से कम जब शहर की किसी एक मस्जिद में ईद की नमाज़ हो जाए ! तब आप यह नमाज़ पढें उस से पहले नहीं।
हमारे अहले सुन्नत के मुफ्तीयान ए किराम व ओलमा की तरफ से यही बताया गया है। इस पर ही अमल करें
मस्जिद या ईद गाह में नमाज़ पढ़ने का मौका ना मिलने की वजह से ज़्यादा मायूस होने की ज़रूरत नहीं है ! हमारा रब बहुत मेहरबान है
Ghar Par Eid-Ul-Adha Ki Namaz Ka Tarika
रब्बुल आलमीन हमें उतना ही सवाब अता फ़रमाएगा जितना पिछले और सालों में ईद की नमाज़ ईदगाह या मस्जिद में पढ़ने पर मिलता था !
क्योंकि हदीस से यह बात साबित है कि किसी नेक काम की नीयत अगर दिल में हो ! मगर किसी मजबूरी की वजह से आदमी ना कर पाए ! तो उसे उस काम को ना करने के बावजूद भी पूरा सवाब मिलता है।
( बुखारी शरीफ, जिल्द: 2, पेज: 637 )
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