हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अरफा यानि 9 ज़िल्हज्ज का रोज़ा यानी अरफ़ा का रोज़ा ( Arfa Ka Roza ) अगले व पिछले 1 साल के गुनाहों का कफ्फारा है
बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफह 137
अरफ़े का रोज़ा ( Arfa Ka Roza ) नफ्ल रोज़ा है ! तो अगर किसी का कभी का कोई भी रोज़ा रमज़ान का बाकी हो ! तो बजाये नफ्ल नियत करने के वो रमज़ान के क़ज़ा रोज़े की नियत करले तो
इंशाअल्लाह उसका एक रोज़ा अदा भी हो जायेगा और अरफे की भी फज़ीलत पायेगा*
अरफ़े की रात नमाज़ का तरीका –
अरफ़े की शब् 2 रकअत नफ़्ल अदा करना चाहिए ! इसकी बहुत ही बड़ी फ़ज़ीलत है !
अरफे की रात, 2 रकात नमाज़ नफ्ल की नियत
नियत की मेने 2 रकअत नमाज़ नफ़्ल की , वास्ते अल्लाह तआला के मुँह मेरा या रुख मेरा काबे शरीफ की तरफ अल्लाह-हुकबर
पहली में सूरह फातिहा के बाद 100 बार आयतल कुर्सी और
दूसरी में 100 बार सूरह इखलास पढ़े
फिर अल्लाह तआला से रो-रोकर अपने बुजुर्गो की मग़फ़िरत के लिए दुआ मांगे ! इंशा अल्लाह हर मोमिन मोमिनट की दुआ कुबूल हो ! आमीन या रब्बुल आलमीन
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