Saturday, May 11, 2024
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shab e barat ki namaz ka tarika hindi mein

shab e barat ki namaz – शबे बरात की नफ़्ल नमाज़ का तरीका

अगर आप भी शबे बरात की नफ़्ल नमाज़ का तरीका ( shab e barat ki namaz ) जानना चाहते है तो फिर  आप ये पोस्ट पूरी पढ़िए ! माहे शाबान की पंद्रहवी शब् को शबे बरात ( Shab e barat) मनाई जाती है ! शबे बरात ( Shab e barat ) बहुत ही अफजल रात है ! शबे बरात ( Shab e barat ) की पूरी रात इबादत में गुजारी जाती है ! और 

इस रात में जो भी आने वाला साल होता है ! उसकी पुरी डिटेल लोहे मेहफ़ूज़ पर लिख दी जाती है ! शबे बरात में हमें ज्यादा से ज्यादा इबादत करके अल्लाह से हमारे गुनाहो की मुआफी मांगनी चाहिए !

और अल्लाह अज्जवाजल से रो-रोकर दुआ मांगनी चाहिए ! बेशक वही है रिज़्क़ देने वाला ! जिंदगी और मौत देने वाला !  और सभी की सुनने वाला ! 

शबे बरात में कोशिश कीजिये छह रकअत नमाज़ नफ़्ल मग़रिब के बाद भी पढ़ ली जाए ! और बाकी नमाज़ तो ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ना ही चाहिए ! हमने मग़रिब और ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ने वाली नफ़्ल नमाज़ो का तरिका निचे बताया है 

निचे हमने शबे बारात की नमाज़ का तरीका बताया है ! कोशिश की है आसान लफ्ज़ो में बताने की ! फिर भी टाइपिंग वगैरह में गलती हो जाए तो मुआफ़ करे !

शबे बरात में मग़रिब की नमाज़ के बाद पढ़ने वाली नफ़्ल नमाज़ का तरीका – shab e barat ki nafl namaz

सबसे पहले आप मगरिब की नमाज़ मुकम्मल कर लीजिए !

मग़रिब की नमाज़ मस्जिद में अदा की हो या घर पर ! नमाज़ अदा होने के बाद तस्बीह

और दुआ से फ़ारिग़ होकर 6 रकअत नमाज़ नफ़्ल 2×2 की नियत से अदा कीजिए

पहली 2 रकअत नमाज़ शुरू करने से पहले यह दुआ कीजिए

या अल्लाह इन दो रकआतो की बरकत से मेरी उम्र में बरकत अता फरमा

शबे बरात की 2 रकअत नमाज़ नफ़्ल की नियत 

नियत की मैंने दो रकअत शबे बरात की नफ़्ल नमाज की खास वास्ते अल्लाह तआला के

मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर

शबे बरात की 2 रकअत नमाज़ नफ़्ल का तरीका

अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बाँध लीजिये ! फिर आप ओर नमाज़ में नफ़्ल अदा करते है

उसी तरह से नफ़्ल नमाज़ अदा कीजिये ! नमाज़ मुकम्मल होने बाद

21 मर्तबा सूरह इखलास और एक मर्तबा सूरह यासीन की तिलावत कीजिये

अगर आप दो जने साथ में नमाज पढ़ते हैं ! 21 मर्तबा सूरह इखलास (कुल्हुवल्लाहु शरीफ ) के बाद

जब सूरह यासीन पढ़ने की बारी आये !

तो दोनों में से कोई भी एक सूरह यासीन की तिलावत बुलंद आवाज में कर सकता है !

और दूसरा उस आवाज को सूरह यासीन की तिलावत को बिल्कुल खामोशी के साथ सुने

दूसरा अपनी जुबान से कुछ भी लफ़्ज़ अदा ना करें सिर्फ और सिर्फ सूरह यासीन सुने

इंशा अल्लाह शबे बरात मैं सवाब का अंबार लग जाएगा !

shab e barat ki namaz ka tarika 

शबे बरात की दूसरी 2 रकअत नमाज नफ़्ल अदा करने से पहले अल्लाह से ये दुआ कीजिए

या अल्लाह इन दो रकअत की बरकत से बलाओ से मेरी हिफाजत फरमा !

इसके बाद पूरी दो रकअत नमाज़ पहली दो रकअत की तरह ही मुकम्मल करेंगे !

और फिर से 21 मर्तबा सूरह इखलास और एक मर्तबा सूरह यासीन की तिलावत करेंगे !

shab e barat ki namaz ka tarika 

तीसरी 2 रकअत नमाज शुरू करने से पहले यह दुआ कीजिए

या अल्लाह इन दो रकआतो की बरकत से मुझे सिर्फ अपना मोहताज रख

और गैरों की मोहताजी से बचा

इसके बाद पूरी दो रकअत नमाज़ पहली और दूसरी दो रकअत की तरह ही मुकम्मल करेंगे !

और फिर से 21 मर्तबा सूरह इखलास और एक मर्तबा सूरह यासीन की तिलावत करेंगे !

शबे बरात की नमाज़ का तरीका बाद नमाज़े ईशा 

सबसे पहले ग़ुस्ल कीजिये बाद ग़ुस्ल के तहियतुल वुजू कीजिये ! फिर दो रकअत नमाज़ तहिय्यतु वुज़ु पढे !

हर रकअत मे सूरए फातिहा के बाद आयतल कुर्सी एक बार और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ तीन बार पढे !

नोट – किसी मज़बूरी के कारन ग़ुस्ल ना करपाए तो कोई बात नहीं ! कोशिश यही करनी चाहिए ग़ुस्ल किया जाए 

शबे बरात की 2 रकअत नमाज़ नफ़्ल तहियतुल वुजू की नियत 

नियत की मैंने दो रकअत तहियतुल वुजू की नफ़्ल नमाज की खास वास्ते अल्लाह तआला के

वक्त मौजूदा मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर

तहियतुल वुजू की नमाज़ का तरीका tahyitul wuju ki namaz 

नियत करके अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बांध लेना है ! फिर सना पढ़ना है !

सना के अल्फाज़ इस तरह है

*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !

फिर सूरए फातिहा के बाद आयतल कुर्सी एक बार और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ तीन बार पढे !

इसके बाद रुकू कीजिये फिर सजदे और फिर खड़े होकर हाथ बांधकर फिर से सूरए फातिहा के बाद

आयतल कुर्सी एक बार और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ तीन बार पढे !

01. बारह रकअत नफ्ल 4×4 नियत से अदा करे । पहली चार रकअत नमाज़ इस तरह  पढ़े  

shab e barat ki 4 rakat namaz ki niyat 

नियत की मैंने चार रकअत शबे बरात की नफ़्ल नमाज की खास वास्ते अल्लाह तआला के

मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर

shab e barat ki 4 rakat namaz ka tarika

har rak”at mein surah fatiha ke baad surah ikhlaas 10 martbaa 

नियत करके अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बांध लेना है ! फिर सना पढ़ना है !

सना के अल्फाज़ इस तरह है

*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !

फिर चारो रक्आतो में सूरए फातिहा के बाद

और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ दस मर्तबा पढे !

दो रकअत पूरी होने के बाद

क़अदा ऊला में तशह्हुद पढे ! और दुरूद व दुआ पढ कर खडे हो जाए !

फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे,  फिर सूरह फातिहा उसके बाद जैसे पहली दो रकअत नमाज़ अदा

की उसी तरह बची हुई दो रकअत अदा करेंगे !

इसी तरह से 4×4 की नियत से आठ रकअत नमाज़ ओर मुकम्मल कीजिये

नोट – हर रकअत में 10 मर्तबा सूरह इखलास यानी कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पूरी सूरह  पढ़नी है !

नमाज़ से फारिग हो कर तीसरा कलिमा दस बार और चौथा कलिमा दस बार और दरुद शरीफ सो मर्तबा पढे ।

Mahe Ramzan Ki 27 Shab Ki Namaz

तीसरा कलिमा तम्जीद

“सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला-ह
इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-व-त
इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम”

तर्जुमा-3rd Kalime iN Hindi

अल्लाह की जात पाक है और तमाम तारीफें अल्लाह
ही के लिए है और अल्लाह के सिवा कोई ईबादत के लायक
नहीं. और अल्लाह सबसे बड़ा है और  उसकी मदद के बगैर किसी
में न तो ताकत है न कुव्वत है वह अज़मत और बुजुर्गीवाला है.

चौथा कलिमा तौहीद

“ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू
लहुल मुल्क व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु व
हु-व हय्युल-ला यमूतु अ-ब-दन अ-ब-दा
जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर
व हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर”

तर्जुमा-4rth Kalime iN Hindi

अल्लाह के सिवा कोई  इबादत के लायक नहीं ,
वह एक है, उसका कोई (शरीक )साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है. और
सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है. वही जिंदगी देता है और वही मौत देता है.
और वोह जिन्दा है, उसे हरगिज़ कभी मौत नहीं आएगी. वोह बड़े
जलाल और बुजुर्गी वाला है. अल्लाह के हाथ में हर तरह कि भलाई है
और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है.

दुरूदे इब्राहीमी

अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन 

कमा सललेता  अला सय्येदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यदीना इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद 

अल्लाहुम्मा बारिक अला सय्येदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन 

कमा बारकता  अला सय्येदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यदीना इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद 

या कोई भी दुरुद पढ़िए जो भी आपको याद हो !

जब भी नबीये अकरम आका मोहम्मद सल्ललाहो अलैहि व सल्लम का

नाम जुबान पर आये उसके बाद सल्ललाहो अलैहि व सल्लम जरूर पढ़िए

हालांकि आपको कोई दुरुद याद नहीं हो तो इतना ( सल्ललाहो अलैहि व सल्लम )

कह लेने पर भी आपको दुरुद पाक का सवाब मिल जाएगा

 

02 . फिर उसके बाद आठ रकअत नमाज़ नफ्ल दो सलाम (यानी चार -चार रकअत की नियत से ) से पढे  

shab e barat ki namaz ka tarika 

नियत- 

नियत की मैंने चार रकअत नफ़्ल नमाज़ शबे बरात की खास वास्ते अल्लाह तआला के 

वक्त मौजूदा मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर

shab e barat ki namaz ka tarika 4 rakaat nifl 

नियत करके अल्लाह हू अकबर कहकर हाथ बांध लेना है ! फिर सना पढ़ना है !

सना के अल्फाज़ इस तरह है

*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े !

फिर चारो रक्आतो में सूरए फातिहा के बाद इन्ना अन्ज़लना हु एक बार

और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पच्चीस बार पढे !

दो रकअत पूरी होने के बाद

क़अदा ऊला में तशह्हुद पढे ! और दुरूद व दुआ पढ कर खडा हो जाए !

फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे, उसके बाद जैसे पहली दो रकअत नमाज़ अदा

की उसी तरह बची हुई दो रकअत अदा करेंगे !

इसी तरह से चार रकअत नफ़्ल फिर से करेंगे उसके बाद दुआए निस्फ़ शाबान पढ़ेंगे !

इसके बाद आप चाहे तो

3.  दो-दो रकअत करके सौ रकअत नफ़्ल पढे ! इसकी, बडी फ़जीलत है, 

(सूरए फातिहा के बाद जो सूरत याद हो पढे )

हदीस मे आया है कि जो शख्स इस रात में सौ रकअत नफ्ल अदा करेगा

तो अल्लाह तआला सौ फरिश्ते उसके लिये मुक़र्रर फरमा देगा ।

उनमें से तीस फरिश्ते उसको जन्नत की खुशखबरी सुनाते रहेंगे,

तीस फरिश्ते जहन्नम से बैख़ोफ़ी की बशारत देते रहे’गे !

तीस फरिश्ते बला व आफ़त को दफा करते रहेंगे

और दस फरिश्ते उस शख्स को शैतान के फितनो से महफूज रखगे 1

शबे बरात में ज्यादा से ज्यादा इबादत कीजिये मोबाइल तो हम रोज चलाते है टीवी तो हम रोज देखते है

एक रात इबादत में गुजारिये फिर देखिये दिल को कितना सुकून मिलता है !

सुरमा लगाने का तरीका 

शबे बरात में सूरमा लगाना बहुत अफजल है ! सूरमा इस तरह से लगाए की

सीधी (दायी) आँख में 3 मर्तबा सुरमे की सली फेरिये

और बायीं आँख ( left iye ) में दो मर्तबा सुरमे की सली से सुरमा लगाइये !

सुरमा लगाते वक्त सुरमा लगाने की दुआ जरूर पढ़िए !

Dua Ke Liye Yaha Click Kare

दुआए निस्फ़ शाबान – 

बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम 

अलाहुम्मा या जल मन्नि  वला यमुत्रु अलैहि 0  या जलजलालि वल इकराम 0 

या जत्तोलि वल इनआम 0 ला इलाहा इला अन्ता ज़हरल्लाजीन 0  

वजारल मुस्तजिरीन व अमानल खाइफीन 0 

अल्लाहुम्मा इन कुन्ता कतब तनी इन्दका फी उम्मिल किताबि शकीय्यन 

औ महरूमन ओं मतरुदन औ मुक़त्तरन अलय्या फिरिज्क़ 0 

फ़म्हु अल्लाहुम्मा बि फ़दलिका शकावती व हिरमानी व तर्दी वक तितारि रिज़्क़ी 0 

व सबितनी इन्दका फी उम्मिल किताबि सईदम मरजूकम मुवफ्फक़ल लिलखैरात 0 

फ इन्नका कुल्ता व कौलुकल हक़्क़  फी क़िताबिकल मुन्जल 0 

अला लिसानि नबीय्यिकल मुरसल 0 यम्हुल्लाहु मा यशाउ वयूस्बितु व इन्दहू उम्मुल किताब 0 

इलाही बीतजल्लि यिल अअज़म 0 

फी लैलतिन्निस्फे मिन शहरि शअबानुल मुक़र्रमल्लती  युफ़ रकु फीहा कुल्लु  अमरिन हकीमिंव व युबरम 0

अन तकशिफा अन्ना मिनल बलाइ वल बलवाई मा नअलमु वमाला नअलम वमा अन्ता बिही अअलम 0 

इन्नका अन्तल अअज़्ज़ुल अकरम 0 

वसल्ललाहो तआला अला सय्यिदिना मुहम्मदिव व अला आलिही व सहबिहीँ व सल्लम 0 

वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल  आलमीन 0  

Dua Ki Image Ke Liye Click Kare

Tarjuma Dua E Nisf Shaban 

अल्लाह  के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला

ऐ अल्लाह ! ऐ एहसान करने वाले कि जिस पर एहसान नहीं किया जाता !

#ऐ बडी शानो शौकत वाले ! ऐ फ़ज़्लो इनाम वाले ! तेरे सिवा कोई मा’बूद नहीं ।

तू परेशान हालों का मददगार, पनाह मांगने वालों को

पनाह और खौफजदो क्रो अमान देने वाला है । ऐ अल्लाह

अगर तू अपने यहां उम्मुल किताब (लौहे महफूज) में मुझे शकी (बद बख्त), ‘ महरूम, धुत्कारा हुवा

और रिज़्क़ में तंगी दिया हुवा लिख चुका हो तो ऐ अल्लाह

अपने फ़ज़्लसे मेरी बद बख्ती, महरूमी, जिल्लत और .रिज़्क़ की तंगी को मिटा दे !

और अपने पास उम्मुल किताब में मुझे खुश बख्त रिज़्क़ दिया हुवा

और भलाइयों क्री तौफीक दिया हुवा सब्त (तहरीर) फरमा दे ।

कि तूने ही तेरी नाज़िल की हुई किताब में तेरे ही भेजे हुए नबी

की ज़बान पर फ़रमाया और तेरा (येह) फ़रमाना हक है

कि, ‘ ‘ अल्लाह जो चाहे मिटाता है और साबित करता (लिखता)  है

और अस्ल लिखा हुवा उसी के पास है ।”: खुदाया अल्लाह  !

तजल्लिये आ’ज़म के वसीले से जो निस्फे शा’बानुल मुकर्रम की रात में है

कि जिस मेँ बांट. दिया जाता है जो हिकमत वाला काम और अटल कर दिया जाता है ।

(या अल्लाह !) मुसीबतों और रन्जिशों को हम से दूर फरमा

कि जिन्हें हम जानते और नहीं भी जानते जब कि रहू इन्हें सब से जियादा जानने चाला है ।

बेशक तू सब से बढ़ कर अजीज़ ओंर इज्जत वाला है ।

अल्लाह तआला हमारे सरदार मुहम्मद सल्ललहो अलैहि वसल्लम ‘ पर और आप

मुहम्मद सल्ललहो अलैहि वसल्लम   के आलो असहाब  रज़ियल्लाहु तआला अन्हु पर दरूदो सलाम भेजे ।

सब खूबियां सब जहानों के पालने वाले अल्लाह अज्जवजल  के लिये हैं ।

क़ब्र पर मोम बत्तियां जलाना कैसा है ?

शबे बराअत में इस्लामी भाइयों का कब्रिस्तान जाना सुन्नत है

(इस्लामी बहनों क्रो शरअन इजाज़त नहीं) क़ब्रो पर मोम बत्तियां नहीं जला सकते

हां अगर तिलावत वगैरा करना हो और अगर अँधेरा ज्यादा हो तो ज़रूरतन

उजाला हासिल करने के लिये क़ब्र से हट कर मोमबत्ती जला सकते हैँ ।

वैसे आज के दौर में सब के पास मोबाईल रहते है और उसमे टार्च भी रहती है

तो उसका उपयोग भी कर सकते है उजाले के लिए !

इसी तरह हाजिरीन को खुशबू पहुंचाने की निय्यत से क़ब्र से हट का अगरबत्तियां जलाने में हरज नहीं ।

मजाराते औलिया ‘पर चादर चढाना और इस के पास चराग़ जलाना जाइज है

 कि इस तरह लोग मु-तवज्जैह होते और उन के दिलों में अज़मत पैदा होती

और वोह हाजिर हो कर इक्तिसाबे फैज करते हैं ।

अगर औलिया औरा अवाम की क़ब्रे  यक्सां रखी जाएं तो बहुत सारे दीनी

फवाइद खत्म हो का रह जाए ।

आतश बाजी करना कैसा है ?

अक्सोस ! आतश बाजी की नापाक रस्म अब मुसलमानों में जोर पकड़ती जा रही है!

मुसलमानों का करोडो रूपिया हर ,साल आतश बाजी की नज़्र हो जाता है ।

और आए दिन येह खबरें _ आती है कि फुलां जगह आतश बाजी से इतने घर जल गए

और इतने आदमी झुलस कर मर गए वगैरा वगैरा ।

इस में जान का ख़त्रा, माल ‘ क्री बरबादी और मकान में आग लगने का अन्देशा है,

फिर येह काम ” अल्लाह की ना फ़रमानी भी है । हज़रते मुफ़्ती  अहमद यार खान  फ़रमाते हैं, ” ‘

आतशजाजी बनाना, बेचना, खरीदना और ख़रीदवाना चलाना और चलवाना सब हराम है

( इस्लामी जिंदगी साफा 78 )

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3 COMMENTS

  1. Beshak har ek namaz padhne ke tarike par apne roshni dali
    h, lekin agar jo ayete ane hindi me likhi hai wo ayete arabi me bhi hoto to masha allah kya kahme them apke.
    Fir bhi kul milakar achha hai.
    allah apki jayez tamannaye qubool kare aur apki magfirat farmaye.
    Ameen.

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