Khwab Ki Tabeer In Hindi – khwabon Ki Tabir
ख्वाब और इसकी हक़ीक़त-Khwab Or Iski Haqiqat
जब हम दिन भर की मेहनत से फारिग होकर ! अपने थके हुए दिल-ओ दिमाग को सुकून देने के लिए ! सुख की नींद सोते हैं ! तो कोई पुर असरार ताकत हमें एक ऐसी नई दुनिया में पहुॅंचा देती है !जो हम ने अपनी जाहिरी आँखों से कभी न देखी और न देख सकते हैं।(Khwab Ki Tabeer )
ये नई दुनिया ब-लिह़ाजे़ माहौल हमारी दुनिया से मिलती जुलती भी है ! और इस से बिल्कुल मुख़्तलिफ़ भी है। इस के बसने वाले आम इन्सान भी नहीं ! और वो अजीब-ओ गरीब हस्तीयाॅ भी नहीं जिनका जिक्र हम ने सिर्फ कहानियों में पढ़ा और सुना है।
इस दुनिया में हमारी मुलाकात अपने अज़ीजों और दोस्तों से भी होती है। और उन लोगों से भी जिनकी शक्ल हमने कभी नहीं देखी थी। यहाॅ पहुॅचकर हम से आम इन्सानी हरकतें भी सरजद होती है। और वो हरकतें भी जो इन्सानी ताक़त से बाला तर है।
मसलन हवा में उड़ना, समुन्द्र को एक छलांग में पार कर लेना। सूरज को दामन में छुपा लेना वगैरा वगैरा ! ये हैरत अंगेज़ ख़्वाबों की दुनिया है। औरत हो या मर्द, बूढ़ा हो या बच्चा ! अधेड़ हो या जवान सभी इस दुनिया की सैर करते हैं। कोई इस दुनिया के पुर असरार मनाज़िर की तस्वीर पूरी तफ़सील से खींचता है।
किसी के हाफ़िजे़ पर बेदार होने के बाद ! सिर्फ़ उसके धुंदले धुंदले नुकूश बाक़ी रह जाते हैं। इस दुनिया के अब्ज नज़्ज़ारे इस क़दरमुअस्सर और बा मअ्नी होते हैं ! कि उनकी याद सारी ज़िन्दगी हमारे दिलं से ज़ाएल नहीं होती और बअ्ज मनाज़िर हमारे दिलं से ज़ाएल नहीं होती !
और बअ्ज़ मनाज़िर ऐसे बे मअ़्नी और अ़जीब से होते हैं कि हम ख़्वाबे राह़त से बेदार हो कर मुस्कुराते हैं और जल्द ही उसे भूल जाते है।
हम ख़्वाब क्यों देखते हैं ? Hum Khwab Kyu Dekhte Hai ?
हम ख़्वाब क्यों देखते हैं ? ये एक सवाल है ! जो अब तक पूरी तरह़ ह़ल नहीं हो सका। अ़वाम से लेकर ख़्वास और जोहला से लेकर अ़ोलमा तक ने ! इस सवाल पर अपनी फ़हम इ़ल्मी व इस्तेताअ़त के़ मुताबिक़ गौर किया । इस मौज़ूअ़ पर इल्मी ज़ावियए नज़र से ! मुतअदद किताबें लिखी गई हैं।
हमारी बड़ी बूढ़ीयों का दिलचस्प साइन्टिफ़िक इन्किशाफ़ ये है कि ! इन्सान के क़ालिब में दो क़िस्म की रूहें़ होती हैं। एक मक़ामी दूसरी सैलानी। मक़ामी रूह़ जिन्दगी के सीलानी रूह़ जब इन्सान सो जाते हैं ! तो उसके क़ल्ब से निकलकर चहार दांग अ़ालम की सैर करती है।
अ़ाम तौर से यही देखा गया है ! कि इन्सान दिन में जो बात ज़्यादा सोचता है ! तो ख़्वाब में बहुत़ ही कम नज़र आती है। एक यूरोपियन माहिरे नफ़िस्यात ने लिखा है कि- ‘‘ख़्वाब बिल उ़मूम अचानक नज़र आता है और ज़्यादा त़र वही मनाज़िर हमारे सामने आते हें ! जिनका हमें ज़्यादा ख़याल न हो। उसकी वजय ये है ! कि आलमे बेदारी में जब किसी ख़ास मौज़ूअ़ या शख़्स के मुतअ़्ल्लिक ज़्यादा सोचता है !
तो दिमाग़ा उस एक तसव्वुर से थक जाता है और अ़ालमे बेदारी में तह़तुश शऊ़र दिमाग़ को अपनी सरगरमियों के लिए किसी नए मौज़ूअ़ या शख़्स की जरूरत होती है।’’ फ्राइड ने अपने तज़रूबात क़लमबंद करते हुए लिख़ा है-
‘‘ मैं मुसलसल छः माह तक एक ख़ास ख़याल दिन भर दिमाग़ में काएम रखता था। और हर वक्त उके मुतअ्ल्लिक सोचता रहता था। सोते वक़्त भी अपने मख़्सूस तसव्वुर को इस क्ष़्वाहिश के साथ काएम रखता था ! कि उसे ख़्वाब में मुश्किल से देख सकूंॅ। लेकिन छः माह की तवील मुद्दत में अपने काएमकर्दा तसव्वुर को ! मैं ने कभी ख्वाब में नहीं देखा।’’
ख़्वाब की मज़हबी हैसियत-khwab Ki Mazhabi Haisiyat
दुनिया के सभी मुतमद्दन म़ज़ाहिब ने ख़्वाब की हक़ीक़त व अहमियत को तस्लीम किया है। तौरेत और इन्जील में नबियों के ख्वाबों और मुकाशिफों का जिक्र है। कुरआन मजीद का ज़िक्र तफ़सील के साथ मौजूद है। कुरआने जमीद से ये भी मालूम होता है ! कि
खुदावदे करीम ने हजरते यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को तअ्बीरे ख़्वाब का इल्म अता फरमाया था। जब वो क़ैद ख़ाने में थे ! तो उनके साथी कै़दियों ने अपने ख़्वाबों की तअ्बीर ( Khwab Ki Tabeer ) हज़रते यूसुफ अलैहिस्सलाम से पूछी थी ! और आपके तअ़्बीर दी थी। बाद में शाहे मिस्र ने जब एक ख़्वाब देखा ! और उसे मालूम हुआ कि हज़रते यूसुफ अलैहिस्सलाम को इल्में तअ़बीरे ख़्वाब पर उ़बूर है ! तो उसने हज़रते यूसुफ़ अलैहिस्सलाम से अपने ख़्वाब की तअ्बीर हासिल की थी।
फ़तेह मक्का का ख़्वाब – Fateh Macca Ka Khwab
कुरआने मजीद से मालूम होता है कि हुजूर सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अ़लैहि वसल्लम को रूयाए सादिका के ज़रीअें एक साल पेश्तर फ़तेह़ मक्का का इल्म हो गया था। चुनान्चे सुरए फ़तह के चैथे रूकूअ में उल्लाह तअ़ाला का इर्शीद है। ‘‘अल्लाह तअ़ाला ने अपने रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का ख़्वाब बिल्कुल सच्चा कर दिखाया। ख़्वाब ये था कि मुसलमान इन्शा अल्लाह तआला अपने सरों कों मुडाए और बाल कतरवाए हुए (एहराम के लिबास में) दाखि़ले मस्जिदुल हराम होगें। और उन्हें किसी मुख़लिफ का ख़ौफ न होगा।’’
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का ये मुबारक ख़्वाब एक साल ही के बाद पूरा हो गया। और मुसलमानों ने मक्का मुअज़्जमा में फातिहाना शान से दाखि़ल होकर शिर्क-ो कुफ्ऱ का नाम-ो निशान मिटा दिया।
हिजरत के मुतअ्ल्लिक़ ख़्वाब Hizrat Ke Mutallik Khwab
हज़रते अबू मूसा अशअ़री रदियल्लाहु अन्हु से मुत्तफ़िक़ अ़लैह रिवायति है ! कि हुजूर सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तअ़ाला अ़लैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया ! कि मैने ख़्वाब Khwab में देखा कि मक्का से एक ऐसे मुल्क की तरफ़ हिजरत करता हूं ! जहाॅ खजूर के दरख़्त हैं। मुझे ख्याल हुआ कि इस सर जमीन का नाम यमामा या हिज्र है। बाद में मालूम हुआ कि वो मदीना था। मैं ने ख़्वाब में ये भी देखा था ! कि मैं ने अपनी तलवार को हरकत दी तो उसका सिरा टूट गया। इसकी तअ्बीर जंगे उहुद के दिन मुसलमानों की मुसीबत से ज़ाहिर हुई। फिर मैंने तलवार को दोबारा ह़रकत दी तो वो जैसी पहले थी उससे अच्छी हो गई।
इस ख़्वाब की तअ़बीर ( Khwab Ki Tabeer ) वो है कि अल्लाह तआला ने मुसलमानों को फतेह दी ! और उनकी जमीअत कर दी। इसी तरह अहादीस में हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के कई रूयाए सादिका दर्ज है। वाकिअए करबला के मुतअ्ल्लिक भी ! हुजूर सरवरे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ख्वाब के जरीअें जो कुछ मालूम हुआ था ! उसका जिक्र किताबों में दर्ज है।
हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम लोगों के ख़्वाब सुनते थे
हजरते समरा बिन जन्दब रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है ! कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अपने सहाबियों से अकसर दर्याफ्त फरमाते थे ! कि ‘‘ तुम में किसी ने क्या कोई ख़्वाब देखा है’’? जिस शख्स से अल्लाह तआला को कुछ बयान कराना मंजूर होता !
वो अपना ख्वाब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अहैहि वसल्लम की खिदमत में पेश करता। खुजैमा बिन साबित के फरजन्द अपने वालिद अबू खुमैजा रदियल्लाजु अन्हु से रिवायत करते हैं ! कि उन्होंने एक मरतबा ख़्वाब देखा कि मैं हुजूर सरवरे कौनैन सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम की पेशानीए मुबारक पर सज्दा कर रहा हूंॅ। (Khwab Ki Tabeer )
उन्होने जब बारगाहे रिसालत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम में अर्ज की ! तो हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम लेट गए और फरमाया ! कि तुम अपने ख्वाब Khwab को सच्चा कर लो चुनान्चे खुजैमा ने हुजूर सल्लल्लाहु तअ़ाला अलैहि वसल्लम की पेशानी मुबारक पर सज्दा कर लिया।
ख़्वाब के ज़रीअें तस्दीके ईमान – Khwabon Ke Jariye Imaan
उम्मुल मुमिनीन ह़ज़रते आएशा सिद्दीक रदियल्लाजु अन्हा से रिवायत है !(Khwab Ki Tabeer) कि एक दिन लोगों ने उम्मुल मुमिनीन ह़ज़रते खदीजतुल कुुबरा रदियल्लाहु अन्हा के चचेरे भाई वरका बिन नौफल का हाल पूछा। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के
जवाब देने से पेशतर हजरते उम्मुल मुमिनीन खदीजतुल कुबरा रदियल्लाहु अन्हा ने हुजुर सल्लल्लाहु तआजा अलैहि वसल्लम से कहा ! कि वरका बिन नौफ़ल ने बेशक आपकी तस्दीक की थी लेकिन आपके नुबूव्वत का एअ्लाने करने से पेशतर उनका इन्तिकाल हो गया।
हुजूर सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया ! मैंने ख़्वाब में वरक़ा बिन नौफ़ल को सफे़द कपड़े पहले देखा है। अगर वो जहन्नमी होते तो उसके अलावा उनका लिबास कुछ और होता।
ख़्वाब नुबूव्वत का छयालीसवाॅ हिस्सा है-Khwab Nabbuwat Ka Chiyaliswa Hissa Hai
हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इर्शाद है ! कि मोमिन का ख़्वाब नुबूव्वत का छयालीसवाॅ हिस्सा है। हजरते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है ! कि जब जमाना कियामत के नज़्दीक होगा मोमिन का ख़्वाब हरगिज झूठा न होगा।
हजरते अनस रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है ! कि हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु तअ़ाला अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! कि अच्छा ख़्वाब नुबूव्वत का छयालीसवाॅ हिस्सा है।
ख़ुशख़बरी देने वाले ख़्वाब- Khush Khabri Dene Wale Khwab
हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु कहते हैं ! कि फ़रमाया हुजूर सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने नुबूव्वत के ! असरात में अब सिर्फ खुशखबरी देने वाले ख़्वाब बाकी रहे गए है। लोगों ने पूछा या रसूलल्लाह! खुशख़बरी देने वाले ख्वाब क्या होते है। इर्शाद फ़रमाया अच्छे ख़्वाब।
बुरे ख़्वाब बयान न करो-Bure Khwab Bayaan Na Karo
हजरते जाबिर रदियल्लाहु अनहु फरमाते हैं कि एक शख़्स ने हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में अर्ज किया मैंने ख़्वाब देखा है ! कि मेरा सर क़लम हो गया है। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया। शैतान जिस वक्त ख़्वाब में तुम लोगों से खेले उसे बयान नहीं करना चाहिए।
बुरे ख़्वाब के असर से बचने का तरीका-Bure Khwab Ke Asar Se Bachne Ka Tarika
हजरते अबू क़तादा रदियल्लाहु अन्हु से मुत्तफ़िक़ अलैह रिवायत है ! कि अच्छा ख़्वाब खुदा की तरफ से होता है ! और बुरा ख़्वाब शैतान की तरफ़ से। तुम में से जब कोई बुरा ख़्वाब Khwab देखे! तो उस ख़्याब की बुराई और शैतान की बुराई से खुदा की पनाह माॅगे ! और तीन दफ़अ थुकथुकारे ख़्वाब किसी से बयान न करें। फिर ये ख़्याब उसे कुछ नुक़सान नहीं पहॅुचा सकेगा। सही मुस्लिम शरीफ में हज़रते जाबिर रदियल्लाहु अन्हु से
इस तरह रिवायत है कि रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया ! कि जिस वक्त तुम में से कोई शख़्स ऐसा ख़्वाब देखे ! जो उसे बुरा मालूम हो तो तीन दफ़अ़ बाॅए तरफ थुकथुकारे ! और तीन दफअ शैतान की बुराई से खुदा की पनाह माॅगे ! और करवट बदल दें।
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