Nabi Ki Viladat Ka Kissa नबी की विलादत का किस्सा
तशरीफ़ आवरी
हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम की जब विलादत शरीफ हुई ! उस वक़्त हुजूर के दादाजान हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु अन्हु काबा शरीफ की दीवार की तामीर मैं मशगूल थे ! (nabi ki viladat ka kissa) हुजूर के दादाजान फरमाते है !
की मैं काबा शरीफ का तवाफ़ कर रहा था ! की अचानक काबा शरीफ चारो तरफ झुकता नज़र आया और फिर मक़ामे इब्राहिम में सजदा में गिर गया ! और उसमे से तकबीर और तहलील की आवाज़ आने लगी फिर वह सीधा खड़ा हो गया इससे आवाज़ आयी !
सब तारीफ़ उस अल्लाह के लिए है ! जिसने मुझे मुहामद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के साथ मख़सूस फ़रमाया
फिर अरकाने काबा आपस में एक दूसरे पर सलाम भेजने लगे हज़रत अब्दुल मुत्तलिब फरमाते है ! की मै बाबे सफा से बाहर निकला तो ज़मीं की हर चीज़ मुझे तकबीर व तहलील में मशगूल नज़र आयी ! मै उनकी आवाज़ सुन रहा था फिर यह आवाज़ सुनी की
Nabi Ki Viladat Ka Kissa
तुम्हारे पास रसूल सल्ललाहु अलैहि व सल्लम तशरीफ़ ले आये है ! फिर मैंने बुतो को देखा तो वह औंधे मुँह गिरे हुए नज़र आये ! मैं अपनी आँखे मलने लगा की यह जो कुछ देख रहा हु ! आलमे बेदारी में है ! या आलमे ग़ैब में देख रहा हु जब घर पहुंचा तो घर के इर्द गिर्द अजीब व ग़रीब नूरानी परिंदे उड़ते देखे ! और घर से मुश्क व अम्बर के हुल्ले उठते हुए नज़र आये ! मैंने दरवाजा खटखटाया तो आमिना रज़ियल्लाहु अन्हु खुद निकली और दरवाजा खोला !
मैंने देखा की आमिना के चेहरे पर कोई ज़ोफ वगैरह का असर नहीं था ! हां उसकी पेशानी पर जो नूर चमकता नज़र आया करता था वह नज़र ना आया !
मेने पूछा आमिना पेशानी का वह नूर कहा है ? तो बोली मेरे हां एक बच्चा पैदा हुआ है जिसकी विलादत के बाद हातिफ से मुझे आवाज़ सुनाई दी है कि इसका नाम मुहम्मद रखना ( सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ) इसलिए कि इसका आसमानो पर नाम महमूद है ! और तौरात में मवीद , जबूर में हादी, इंजील में अहमद और क़ुरआन में ताहा यासीन और मुहम्मद है !
हज़रत अब्दुल मुत्तलिब आमिना से फरमाते है ! की चलो मुझे ,मेरा प्यारा बच्चा दिखाओ चुनाचे जब में आगे बड़ा तो एक अज़ीम शख्स तलवार खींचे रास्ते में खड़ा नज़र आया ! जिसने आगे बड़ने से रोका अब्दुल मुत्तलिब डर गए ! पूछा कि तुम कौन हो ? क्यों रोकते हो ? वह बोला इस मुक़द्दस मौलूद की जब तक सारे फ़रिश्ते ज्यारत नहीं कर लेंगे किसी को आगे जाने की इजाज़त नहीं ! मैं इसी काम के लिए यहाँ मौजूद है
( ज़ामिउल मोजिज़ात सफा 76 )
सबक-Nabi Ki Viladat Ka Kissa
हमारे हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम काबा का भी काबा है काबा शरीफ की सारी इज़्ज़ते हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ही के सदके मेँ है यह भी मालुम हुआ की हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम की तशरीफ़ आवरी की ख़ुशी सारी कायनात ने मनाई !
किसी ने तकबीर व् तहलील के नारे बुलंद करके और किसी ने (बुतो ने ) औंधे मुँह गिरकर मुँह छिपाकर ! यह भी मालुम हुआ की बच्चा पैदा होने पर इसका नाम उसके माँ बांप या भाई बहन रखते है या रिश्तेदार रखते है मगर हमारे हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम का मुबारक नाम खुद खुदा
तआला ने रखा है
Eid E Milad |
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