इस्लाम में दुरुद शरीफ की बहुत फजीलत –
इस्लाम में दुरुद शरीफ ( durud sharif ) की बहुत बड़ी फजीलत है ! कोई भी दुआ,कोई भी वजीफा ! कोई भी इबादत ! दुरुद शरीफ के बिना अधूरी है
दुरुद शरीफ की फजीलत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हो की
जब तक दुरुद ( durud sharif ) नहीं पढ़ी जाती कोई भी दुआ अल्लाह कुबूल नहीं करता
50 से ज्यादा दुरुद शरीफ पढ़िए हिंदी में
DURUD |
अगर घर में कोई भी छोटी या बड़ी चीज जैसे चाबी चश्मा घडी किसी भी तरह की कोई चीज हम कही रख कर भूल गए हो तो तो दुरुद पाक पढ़कर ढूंढिए इंशा अल्लाह वो खोई हुई चीज आपको जल्दी मिल जाएगी
दुरुद पाक के लिए अल्लाह तआला का इर्शाद हे की
इन्नल लाहा मलाय कतऊ युसैलुना अलन्नबी या अय्यो हल लजीना आ मनु सल्लू अलैहि व सल्लिमों तस्लीमा
तर्जुमा
बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दुरुद भेजते है उस गैब बताने वाले [नबी] पर
ए ईमान वालो उन पर दुरुद और खूब सलाम भेजो
जब भी ये आयत दुआ में या फातिहा में पढ़ी जाती हे ! तो हमें उसी वक़्त durud sharif पड़नी चाहिए
कोई भी दुरुद darud sharif जो हमें याद हो
यहाँ हम दुरूदे इब्राहीमी बता रहे है जो सभी दुरूदो से अफजल दुरुद ( durud sharif ) है ! दुरूदे इब्राहीमी को नमाज में भी पढ़ा जाता है ! इसलिए ये दुरुद पाक हम सबको याद होना चाहिए
दुरूदे इब्राहीमी – Durud sharif – durud e ibrahim
अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन कमा सललेता अला सय्येदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यदीना इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद
अल्लाहुम्मा बारिक अला सय्येदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन कमा बारकता अला सय्येदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यदीना इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद
कोई भी दुरुद पढ़िए या जब भी नबीये अकरम आका मोहम्मद सल्ललाहो अलैहि व सल्लम का नाम जुबान पर आये उसके बाद सल्ललाहो अलैहि व सल्लम जरूर पढ़िए
हालांकि आपको कोई दुरुद ( durud sharif ) याद नहीं हो तो इतना कह लेने पर भी आपको दुरुद पाक का सवाब मिल जाएगा
आने वाली पोस्ट में हम और भी बहुत सी दुरुद शरीफ का जिक्र करेंगे और उन दुरुद शरीफ ( durud sharif ) की फजीलत भी बताएँगे