Thursday, May 16, 2024
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DUA KI AHMIYAT / इस्लाम मे दुआ की अहमियत

इस्लाम मे दुआ DUA की अहमियत 

अगर किस्मत कोई चीज बदल सकती हे तो वो सिर्फ दुआ DUA (Prayer) ही है इस्लाम में दुआ को भी इबादत की तरह ही माना गया है कहा जाता है की रो रोकर दुआ करने वाले की दुआ अल्लाह हमेशा कुबूल करता है और जो DUA  दुआ जिंदगी में कुबूल नहीं होती उसका सिला मरने के बाद दिया जाता हे इसलिए हमेशा अल्लाह से दुआ करते रहना चाहिए
अब जानिए क्यों है?
इस्लाम मे दुआ की अहमियत 

दुआ के वारे में अल्लाह तआला फरमाता है 

मैं दुआ मांगने वाले की दुआ DUA कुबूल करता हूं जब वह मुझे पुकारे 
अल्लाह तआला के नजदीक कोई चीज दुआ से बुजुर्गत्तर नहीं 
अल्लाह तआला से जो दुआ नहीं करता उस पर अल्लाह तआला गजबनाक होता है 
दुआ से आजिज ना हो कि कोई शख्स दुआ के साथ हलाक ना होगा 

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दुआ DUA दुश्मन से निजात देती है 

रीज्क़ बढ़ाती है बला उतरने नहीं देती है 
दुआ मुसलमानों का हथियार है और दिन का सुतून और आसमान और जमीन का नूर है 
दुआ इबादत का मग्ज है दुआ सलाहे मोमिन है दुआ इबादत भी है 
तो अल्लाह का जिक्र कीजिए और कसरत से दुआ कीजिए
बेशक अल्लाह बेहतर सिला देने वाला हैं।




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