Monday, April 29, 2024
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ज़िलहिज्जा – इस्लामिक कैलेंडर का 12 वां महीना ज़िलहिज्जा में करने वाली इबादत

हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है कि अल्लाह पाक ने इस ज़िल्‌ हिज्जा ( zilhajj) के महीने को बडी फज़ीलत और बुजुर्गी वाला महीना फ़रमाया है ! क्योंकि इस माह के दस दिन बहुत ही बर्कत के हैं ! ओर उन दिनों की ईबादत का बहूत बड़ा सवाब है !

आप सल्लल्लाहु अलेैहि वसल्लम ने फ़रमाया : उन दस दिनों में तीन दिन यानी आठ ज़िल्‌ हिज्जा ( 8-zilhajj) ( यौमे अ-रफ़ात ) नो ज़िल्‌ हिज्जा ( 9-zilhajj ) (यौमे नहर) और दस ज़िल्‌ हिज्जा ( 10-zilhajj )(ये तीन दिन तमाम दिनों से ज़्यादा मुबारक हैं ! और इनमें की गयी ईबादत का बेशुमार सवाब हे !

नफ्ली नमाजें : Zilhajj Ke Mahine Mein Karne Wali Ibadat

इस माह की पहली रात को इशा की नमाज़ के बाद चार रकअत नफ़्ल दो सलाम से पढ़े ! हर रकअत में सूरः फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 25-25 मर्तबा पढ़े ! अल्लाह पाक इस नमाज़ के पढ़ने वाले को बेशुमार सवाब अता फ़मायेगा !

इस माह की पहली रात से दसवीं रात तक रोजाना इशा की , नमाज़ के बाद दो रकअत पढे ! हर रकअत में सूरः फातिहा के बाद सूर: कौसर और सूरः इख़्लास तीन तीन मर्तबा  पढ़े ! इस नमाज़ की बुजुर्गी के सबब अल्लाह पाक उसके आमाल नामे (कर्मपत्र) में बेशुमार नेकियां लिखेगा ! और बेशुमार बुराइयों को मिटा देगा !

इस माह की पहली रात से दसवीं रात तक रोजाना. इशा की नमाज के बाद दो रक्अत नफ्ल पढ़े ! पहली रकअत  में सूर: फातिहा के बाद आयतल्‌ कुर्सी एक बार ओर सूरः इख़्लास 15 बार !

दूसरी रकअत  में सूर: फातिहा के बाद सूर: ब-क्रः का आखिरी रुकूअ एक बार और सूरः: इख़्लास बराबर भी होंग। तब भी अल्लाह पाक उसके गुनाहों को माफ फरमा देगा ! इन्शाअल्लाह !

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ज़िलहिज्जा – इस्लामिक कैलेंडर का 12 वां महीना ज़िलहिज्जा में करने वाली इबादत

ज़िलहिज्जा ( zilhajj ) की दूसरी रात में इशा की नमाज़ के बाद चार रकअत नफ्ल दो सलाम से पढ़े ! हर रकअत  में सूर: फातिहा के बाद आयतल कुर्सी तीन बार ओर सूर: इख़्लास तीन बार, सूर: फ-लक . तीन बार और सूर: नास तीन बार पढ़े ! फिर सलाम फेरने के बाद दुरूद शरीफ पढ़े ! और हाथ उठाकर नीचे की यह दुआ पढ़े :

सुबूहा-न ज़िल्‌ ईज़्ज़ति वल्‌ जबरुति सुबहा-न ज़िल्‌ कुद-रति वल्‌ म-लकूति सुबहा-न जिल्‌ हय्यिल्लजी ला यमूतु लाइला-ह इल्लल्लाहु हु-व युहयी वयुमीतु वहु-व हय्युन्‌ ला यमूत, सुबहा-नलल्‍लाहि . रब्बिल ईबादि वलबिलादि वल्‌-हमदु लिल्लाहि कसी-रन्‌ तय्यि-बन्‌ मुबा-र-कन्‌ अला कुल्लि हालिन, अल्लाहु अकबरू कसी-रन्‌ रब्बना जल्‍ल जलालुहू वकुदरतुहू बिकुल्लि सकानिन्‌ 

इस दुआ के बाद 11 मर्तबा दुरूद शरीफ पढ़कर अल्लाह पाक से जो भी माँगे उसकी दुआ क़ुबूल होगी ! इन्शाअल्लाह !

इस माह ( zilhajj )  की पहली जुमेरात की रात को इशा की नमाज़ के बाद दो रक्अत नमाज़ पढ़े ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: कौसर एक बार और सूर: इख़्लास एक बार पढ़े ! सच्चे दिल से इस नमाज़ का पढ़ने वाला अपनी जिन्दगी ही में अपना ठिकाना जन्नत में देख लेगा  ! इनशाअल्लाह !

इस माह ( zilhajj )  के पहले जुमे को जुहर की नमाज़ के बाद छ: रक्अत नफ़्ल तीन सलाम से पढ़े ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर:इख़्लास 15-15. बार पढ़े ! फिर सलाम फेरने के बाद नीचे की दुआ पढ़े :.

ला इला-ह इल्लल्लाहुल्‌ मलिकुल्‌ हक़्क़ुल्‌ मुबीनु 

अव्वल आखिर में 11 -11 मर्तबा दुरूद पाक पढ़कर नमाज़ के क़ुबूल होने के लिये अल्लाह पाक से दुआ माँगे ! अल्लाह पाक अपनी कुदरत से इस नमाज़ के पढ़ने वाले के गुनाह को माफ फरमा देगा ! और जन्नत में दाखिल कर देगा !

वजीफे : Zilhajj Ka Wazifa

इस माह की पहली तारीख से छ: तारीख तक फज़र या जुहर की नमाज़ के बाद नीचे की दुआ को 100 बार पढ़े :

लाइला-ह इल्लल्लाह वह-दहू लाशरी-क लहू लहुल्‌ मुलकु वलहुल्‌ हम्‌दु यहुयी वयुमीतु वहु-व हय्युन्‌ लायमूतु बि-यदि-हिल्‌ ख़ैरू वहुव अला कुल्लि शैइन्‌ क़दीर्‌ + 

इस माह ( zilhajj )  की दूसरी ओर सातवीं तारीख़ को फज़्र या ज़ुहर की नमाज़ के बाद नीचे की दुआ 100 मर्तबा पढ़े :

अश-हदु अल्लाइला-ह इल्लल्लाहु वह-दहू ला लाशरी-क लहू इला-हव्वाहि-दन अ-ह-दन्‌, स-म-दन्‌, फर्‌-दन्‌ वित्‌-रन्‌ व-लम्‌ यत्ताखिज साहि-बव्वला व-लदा +

इस माह की तीसरी ओर आठवीं तारीख को ज़ुहर या फ़ज़्र की नमाज़ के बाद नीचे की दुआ को 100 मर्तबा पढ़ें :

अश्‌-हदु अल्लाइला-ह इल्लल्लाहु वह-दहू लाशरी-क लहू अ-ह-दन्‌, स-म-दन्‌, लम्‌ यलिद्‌ व-लम यू-लद्‌ व-लम्‌ यकुल्लहू कुफ़ु-वन्‌ अ-हद्‌ + 

इस माह ( zilhajj )  की चोथी ओर नवीं तारीख को फज़्र या ज़ुहर की नमाज़ के बाद 100 मर्तबा नीचे की दुआ को पढ़ें

श्‌-हदु अल्लाइला-ह इल्लल्लाहु वह-दहू लाशरी-क लहू लहुल्‌ मुलकु वलहुल्‌ -हमदु युहयी वयुमीतु बि-यदिहिल्‌ खेरु वहु-व अल कूल्लि शैेइन्‌ क़दीर + 

Zilhajj Ke Mahine Mein Karne Wali Ibadat

पहली से दस तारीख तक रोजाना वुजू के साथ किसी भी समय सूर: फज़्र का पढ़ना बहुत अफ्जल हे !

नबी करीम सल्लल्लाहु अलेहि वसलल्‍लम ने फरमाया :!  जो कोई शख्स इन मुबारक दिनों की बर्कत को ध्यान में रखकर सूर: फज की तिलावत करेगा ! तो अल्लाह पाक कियामत के दिन उसको बख्श देगा ! और उसके लिये उस दिन कोई खोफ और डर न होगा !

इस माह ( zilhajj ) के शुरू के दस दिन सूर: ज़ुहा ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ने की बड़ी फजीलत है ! आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अल्लाह पाक इस सूरत के पढ़ने वाले को जहन्नम की आग से महफूज़ रखेगा !

ईदुल अजहा के दिन किसी समय वुजू करके क़ुरआन मजीद की कम से कम 100 आयतों की तिलावत करे ! तो अल्लाह पाक उसे जन्नत में बेशुमार नेमतें अता फ्रमायेगा ! इनशाअल्लाह तआला !

नफ़्ली रोज़े : Zilhajj Ke Roze

इस माह की पहली तारीख़ से नौ तारीख़ तक के रोज़ो की बड़ी फजीलत हैं ! सब से अधिक 7,8,9 तारीख के रोज़ो की फ्जीलत है ! अल्लाह पाक इन रोज़ो के बदले बहुत अधिक सवाब अता करता है !

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