Saturday, May 18, 2024
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khwaja garib nawaz Ki Karamat – ख़्वाजा ग़रीब नवाज़

हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह की चन्द करामतें – khwaja garib nawaz Ki Karamat

अजमेर शरीफ ( Ajmer Sharif ) पहुंचकर आपने एक दरख्त के नीचे बैठना चाहा तो कुछ सिपाही ने मना किया कि यहां पर राजा के ऊंट बैठते हैं ! लिहाज़ा आप यहां नहीं बैठ सकते !

सरकार ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) ने फरमाया कि ठीक है ! तुम्हारे राजा के ऊंट ही यहां बैठेंगे ! ऊंट बैठ तो गए ! मगर जब उनको उठाया गया ! तो उठने को तैयार ना होते थे ! गर्ज़ कि उनको मारा भी गया ! फिर भी वो अपनी जगह से ना उठे ! गोया कि वो ज़मीन से चिपक से गए थे,

सिपाही पृथ्वी राज के पास ये अरीज़ा लेकर गए ! और सारा वाक़िया कह सुनाया ! तो वो बोला कि ज़रूर ये उस फक़ीर के साथ की गयी बद आमाली का सिला है ! सो उन्हें ढूंढो और उनसे माफी मांगो !

सिपाही गरीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) की बारगाह में हाज़िर होकर माफी के तलबगार हुए ! तो आपने उन्हें माफ कर दिया ! अब जब वो वापस आकर देखते हैं ! तो सबके सब ऊंट अपनी जगह से खड़े हो चुके हैं !

khwaja garib nawaz Ki Karamat

आपके अखलाक़े करीमाना को देखकर और आपकी बातों को सुनकर हज़ारों हज़ार का झुण्ड कल्मा पढ़कर मुसलमान होने लगे ! तो घबराकर सिपाहियों ने आप पर पानी बन्द करने का हुक्म दिया !

और सोचा कि जब पानी ही ना मिलेगा ! तो ये यहां से चले जायेंगे ! ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) ने अपने मुरीद को आना सागर पर भेजा ! और कहा कि एक कासे में पानी भर लाओ !

जब ये मुरीद आना सागर पर पहुंचे और कासे में पानी भरा तो खुदा की ऐसी क़ुदरत हुई कि पूरे तालाब का पानी एक कटोरे में समा गया ! इधर तालाब तो खुश्क हो गया !  मगर सरकार की बारगाह में पानी की कोई कमी ना थी ! जब पानी ना मिला ! तो अजमेर में कोहराम मच गया कि आनन फानन में तालाब कैसे सूख गया !

लोग परेशान और बेचैन हो गए ! जब राजा को ये खबर मिली ! तो फिर से उसने अपने सिपाहियों को सरकार गरीब नवाज़ की बारगाह में भेजा ! और मिन्नत समाजत की ! कि अगर पानी ना मिला ! तो लोग प्यासे मर जायेंगे ! रहम दिली तो अल्लाह वालों का खास्सा है ! सो वो कासे का पानी फिर से तालाब में डलवा दिया ! और पूरा तालाब फिर पानी से भर गया !

तमाम पुजारियों के सरदार का नाम शादी देव था जब इसने अपने बुतखानो में वीरानी देखी तो भड़क गया और गरीब नवाज़ की बारगाह में गुस्से से हाज़िर हुआ मगर ज्यों ही ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) ने उस पर नज़र डाली फौरन कांपने लगा और गिरकर माफी मांगी और इस्लाम क़ुबूल कर लिया उसका इस्लामी नाम सअद रखा गया

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 हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह की चन्द करामतें

जब 80-90000 लोग मुसलमान हो गए ! तो राजा पृथ्वी राज घबरा गया ! और सरकार ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) को रोकने के लिए अपने गुरु और हिंदुस्तान के सबसे बड़े जादूगर अजय पाल को बुलाकर ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) के सारे हाल से वाक़िफ कराया !

अजय पाल ने इसको बड़े ही हल्के में लिया ! और राजा को यक़ीन दिलाया कि वो बहुत जल्द उनको उनके साथियों के साथ अजमेर से निकाल देगा ! अजय पाल अपने साथियों के साथ उड़ने वाले शेरों पर सवार होकर हाथियों और अजदहों के साथ सरकार ग़रीब नवाज़ के दरबार में पहुंच गया !

सरकार ने एक हल्का खींचा और सबसे फरमा दिया कि कोई भी इससे बाहर ना निकले ! पहले उसने अज़हदों को भेजा मगर ज्यों ही खत से मस हुआ जलकर खाक हो गया ! फिर आग की बारिश करने लगा ! मगर वो आग वापस लौटकर खुद उनको ही जलाने लगी !

जब अजय पाल ने ये माजरा देखा तो सोचा कि उड़कर आप पर हमला करे तो वो हवा में उड़ने लगा ! आपने उसे उड़ता देखा ! तो अपनी नालैन को उतार कर उसकी तरफ फेंका ! अब ये नालैन जाकर अजय पाल के सर पर बरसने लगी ! और मारते मारते बुरा हाल कर दिया !

अजय पाल उनकी सदाक़त को समझ गया ! और फौरन क़दमो में गिरकर माफी मांगी ! सरकार ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ने माफ भी कर दिया ! और उन्हें विलायत की मंजिल भी तय करा दी ! उनका इस्लामी नाम अब्दुल्लाह रखा गया !

उन्होंने अर्ज़ की कि हुज़ूर मुझे हयाते अब्दी अता फरमाई जाये ! आप मुस्कुराकर फरमाते हैं तेरी ये तमन्ना भी पूरी हुई ! कहा जाता है कि अब्दुल्लाह अब भी ज़िंदा हैं ! और उन्हें अब्दुल्लाह बियाबानी के नाम से पुकारा जाता है और वो भटकों को रास्ता बताते हैं !

 हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह की चन्द करामतें

सरकार गरीब नवाज़ ने इसके बाद पृथ्वी राज को भी इस्लाम की दावत पेश की ! पर उसने क़ुबूल ना किया ! और आप के मुरीदों पर जुल्मों सितम करने लगा ! आपने उससे अपने मुरीदों पर ज़ुल्म ना करने की शिफारिश भी की !

मगर वो नहीं माना तो आपने जलाल में आकर फरमाया कि “हमने पिथौरा को जिंदा गिरफ्तार करके लश्करे इस्लाम के हवाले कर दिया ! उसके बाद आपने शहाब उद्दीन गोरी को ख्वाब में बशारत दी ! और उसे फतह का मुज़्दह सुनाया,

शहाब उद्दीन गोरी पहले ही शिकश्त की वजह से बेचैन था ! उसने एक लश्करे जर्रार को तरतीब दिया ! और हिंदुस्तान पर हमले के लिए निकल पड़ा ! वहां पहुंचकर उसने पृथ्वी राज को अपनी इताअत करने का मशवरा दिया !

मगर वो अपनी फौज पर घमंड करता रहा ! और 150 राजाओं की फौज को लेकर जिसमें 3000 हाथी सवार 300000 घुड़ सवार और बेशुमार पैदल सिपाही शामिल थे ! जंग पर आमादा हुआ ! शहाब उद्दीन ने अपनी 100000 की फौज को 4 हिस्सों में बांट दिया था ! और एक हिस्सा ही जंग करता 3 हिस्से आराम ! जब वो थक जाता तो दूसरा हिस्सा आगे आता ! और पहले वाला आराम करता !

उसकी ये अक़्ल मंदी बहुत काम आई ! उधर पृत्वी राज की फौज दिन भर लड़कर थक चुकी थी ! शाम होने को थी एक तारो ताज़ा लश्कर जब उन पर आ पड़ा ! तो किसी में उनसे लड़ने की ताब ना थी खांडे राव समेत बहुत से राजा मारे गए ! और पृथ्वी राज गिरफ्तार हुआ !

khwaja garib nawaz Ki Karamat

ये जंग 589 हिजरी बा मुताबिक़ 1193 ईसवी में लड़ी गयी ! पृथ्वी राज ने भागना चाहा ! मगर वो भी आखिर मारा गया ! सूरज डूब चुका था ! अचानक उसके कानो में कहीं से अज़ान की आवाज़ आयी ! वो हैरान रह गया कि इस कुफ्रिस्तान में अज़ान कैसे !

उसे बताया गया कि एक फक़ीर यहां कुछ दिनों से मुक़ीम है ! वो ही अज़ान देकर नमाज़ पढ़ा करते हैं ! वो वहां पहुंचा वुज़ु करके जमात खड़ी थी ! सो शामिल हो गया !

नमाज़ खत्म होने के बाद जैसे ही उसने सरकार ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) रहमतुल्लाह अलैह के चेहरे को देखा ! तो जान लिया कि यही वो ख्वाब वाले बुज़ुर्ग हैं ! जिन्होंने उसे फतह की बशारत दी थी ! आपके क़दमो में गिर गया ! और देर तक रोता रहा !

सरकार ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ ( khwaja garib nawaz ) ने उसे उठाकर अपने सीने से लगाया ! उनकी ख्वाहिश पर उन्हें अपने सिलसिले में बैयत किया ! और फिर रुखसत किया ! शहाब उद्दीन गोरी दिल्ली में अपना नायब क़ुतुब उद्दीन ऐबक को बनाकर वापस लौट गया !

तारीखुल औलिया,सफह 85–95

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