- नाम अब्दुल क़ादिर ( सय्यदना शैख अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु )
- आपका लक़ब मोहिउद्दीन (दीन को ज़िंदा करने वाला)
- आपके वालिद अबु सालेह मूसा ( जंगी दोस्त )
- आपकी वालिदा उम्मुल खैर फातिमा
- आपकी विलादत 1/9/470 हिजरी,जीलान
- आपका विसाल 11/4/561 हिजरी,बग़दाद
- आपकी बीवियां 4
- आपकी औलाद 49
- आपका महज़ब हम्बली
- आप पैदाईशी वली हैं
- आप हसनी हुसैनी सय्यद हैं
- आपकी विलादत के वक़्त आप की वालिदा की उम्र 60 साल थी
- आप बचपन में माहे रमज़ान मुबारक में दिन भर दूध नहीं पीते थे
- आपकी तक़रीर में 60000 से 70000 का मजमा हो जाता था
- आपके बदन पर कभी मक्खी नहीं बैठी
- आपने 1 ही वक़्त में 70 लोगों के यहां ईफ्तार किया
- तमाम उम्मत का इज्माअ है कि आप ग़ौसे आज़म हैं
- आप फरमाते हैं कि मेरी नज़र हमेशा लौहे महफूज़ पर लगी रहती है
- आप फरमाते हैं कि मुरीद को हर हाल में अपने पीर की तरफ ही रुजू करना चाहिये ! अगर चे वो करामत से खाली भी हुआ तो क्या हुआ मैं तो खाली नहीं हूं ! उसके तवस्सुल से मैं उसे अता करूंगा ! आपसे बेशुमार करामते ज़ाहिर है
तारीखुल औलिया,सफह 24-54
अलमलफूज़,हिस्सा 3,सफह 56
फतावा रज़वियह,जिल्द 9,पेज 129
आप हुज़ूर ग़ौसे पाक की बचपन की कुछ करामतें –
1. जब आप मां के पेट में ही थे तो एक साइल ने आकर सदा लगाई ! उस बदबख्त ने जब देखा कि औरत अकेली है ! तो अंदर घुसा चला आया !उसी वक़्त ग़ैब से एक शेर नमूदार हुआ ! और उस खबीस को चीर-फाड़ कर गायब हो गया
महफिले औलिया,सफह 211
2. जिस साल आप पैदा हुए तो पूरे जीलान में 1100 बच्चे पैदा हुए और सब लड़के ही थे और सब के सब अल्लाह के वली हुए
हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 59
3. जब आपकी दूध पीने की उम्र थी तो अक्सर आप दाई की गोद से गायब हो जाते ! और फिर कुछ देर बाद आ भी जाया करते !
जब आप कुछ बड़े हुए तो एक दिन आपकी दाई ने पूछा कि बेटा अब्दुल क़ादिर ये बताओ जब तुम छोटे थे तो अक्सर मेरी गोद से गायब हो जाते थे !
आखिर तुम जाते कहां थे,तो हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं ! कि दाई मां मैं आपसे खेलने की गर्ज़ से सूरज के पीछे छिप जाता था जब आप मुझे ढूंढती और ना पातीं तो फिर मैं खुद ही आ जाया करता !
तो वो फरमातीं हैं कि क्या अब भी आपका वही हाल है तब हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि नहीं नहीं वो तो मेरे बचपन और कमज़ोरी का आलम था ! अब तो हाल ये है कि उस जैसे हज़ारों सूरज अगर मुझमे समा जायें तो कोई ढूंढ़ने वाला उन्हें ढूंढ़ नहीं सकता कि कहां खो गये
हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 211
सय्यदना शैख अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
4. जब आप 4 साल के हुए तो आपकी वालिदा माजिदा ने बिस्मिल्लाह ख्वानी के लिए आपको मक़तब में भेजा जहां आपके उस्ताद ने फरमाया कि बेटा पढ़ो बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम तो आपने बिस्मिल्लाह से जो पढ़ना शुरू किया तो पूरे 18 पारा पढ़कर सुना दिये
उस्ताद ने हैरत से पूछा कि बेटा ये आपने कब और कहां से सीखा तो हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मेरी मां 18 पारों की हाफिज़ा हैं जिसे वो अक्सर विर्द किया करती हैं ! तो मैंने उनके पेट में रहते हुए सब सुनकर याद कर लिए
शाने ग़ौसे आज़म,सफह 15
रमजान का चांद –
एक मर्तबा रमजान शेरीफ़ के चांद के बारे में कुछ इख़्तिलाफ़ पैदा हो गया ! बाज लोग कहते थे कि चांद हो गया बाज़ कहते थे नहीं हुआ !
हुजूर गोसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु की वालिदा ने इरशाद फ़रमाया कि मेरा यह बच्चा ( हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ) जब से पैदा हुआ है ! रमजान शरीफ़ के दिनों में सारा दिन दूध नहीं पीता !
आज भी चूंकि अब्दुल कादिर (रजियल्लाहु अन्हु) ने दूध नहीं पिया ! इसलिये रात को वाक़ई चांद हो गया है ! चुनांचे फिर तहक़ीक़ करने पर यही साबित हुआ कि चांद हो गया !
( बहजलुल असरार, सफा 76 )