Monday, May 20, 2024
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Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniyan

Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniyan

हदीस शरीफ में है कि कयामत के करीब कि जो छोटी बड़ी निशानियां बयान हुई है ! उनमें खलीफा मेहदी ( imam mehdi ) मुमतजर मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह का जिक्र है ! जिनका ज़ुहुर ( यानि जाहिर होना ) हजरत हसन इब्ने अली रजि अल्लाहु अन्हु की औलाद से होगा !
जैसा कि इमाम अबू दाऊद और दिगर कई अइम्मा हदीस में रिवायत किया है खलीफा मेहदी ( imam mehdi) के बारे में इस कसरत से अहादिस वारिद हुई है कि मानो के एतिबार से वह हद्दे तवातूर तक पहुंची हुई है !
तवातुर उस हदीस को कहते हैं जो तसलसुल से रिवायत की गई है और जिसे सिक़ह रावियों ने रिवायत किया हो !  कयामत के करीब खलीफा मेहदी का नमुदार होना , हदीसे मुबारक में बयान एक अनोखी मिसाल है !
आखरी जमाने में अल्लाह तआला उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के लिए अहले बैत में से एक सैयद ज़ादा तैयार कर देगा !
तो मुहलिकफितनो और खुरेज जंगो में मुसलमानों की कयादत करेगा ! वह खलीफा मेहंदी हसन बिन फातिमा बिनते रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की औलाद में से सादात खानदान का एक नौजवान होगा ! जिसका नाम मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह होगा !
खलीफा राशिद और काइदे मेहंदी (हिदायत याफ़्ता रहनुमा ) होगा ! खलीफा मेहंदी अव्वल ता आखिर सरापा जिहाद और मुजाहिदे आजम होगा ! जिहाद उसका ओढ़ना बिछौना होगा ! जिहाद की बरकत से जुल्मो सितम से भरे हुए पूरे आलम को इंसाफ से भर देगा ! वह सात आठ या नौ साल तक हुकूमत करेगा !
इसी के दौरे खिलाफत में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का नूज़ुल दमिश्क शाम या बैतूल मुकद्दस में होगा ! खलीफा मेहंदी
के दौरे खिलाफत यानी हुकूमत में मुसलमान नाज़ व नेअम से जिंदगी बसर करेंगे !

Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniya

जिसका हम तसव्वुर भी नहीं कर सकते ! अल्लाह तआला एक रात में ही खलीफा की इस्लाह करेगा ! और उसकी पुस्ट पनाही करेगा !
इमाम मेहदी ( imam mehdi) का नमूदार होन एक हक़ीकत है सभी मुसलमान और अहले किताब ईसाई भी इस पैगाम को खुद भी समझना चाहिए और दूसरों को भी समझाना चाहिए की, खलीफा मेहंदी का नमुदार होना यह ऐसी हकीकत है जो होकर रहेगी !
और यह तकदीर के उन हकाईक़ का यकीनी बयान है जो मुस्तकबिल करीब में वुक़ूअ पजीर होंगे ! उस ख़लीफ़ा मेहदी ( imam mehdi) के जरिए अल्लाह को हक को हक़ और बातिल को बातिल तसव्वुर करेगा !
हम खलीफा मेहदी ( imam mehdi) की आमद के इंतजार में ही यह दिन गुजार रहे हैं ! और उस मेहदी ( imam mehdi)के मुंतजीर हैं जिसका जुहूर आर्मा गेडॉन (Arma Gedoon ) की मशहूर मारूफ और जल्द होने वाली हतमी आलमी एटमी जंग के बाद होगा !
क़ुर्बे कयामत से पहले मुसलमानों के खिलाफ सबसे बड़ी खौफनाक जंग होगी ! जिसका इलाका मशरिक़े वस्ता  होगा
मुस्लिम किताबुल फितन में एक हदीस रिवायत की गई है कि इतनी खौफनाक जंग कभी नहीं हुई ! यहां तक कि अगर कोई परिंदा फौजियों के ऊपर से गुजर ना चाहेगा तो वह भी दूसरे किनारे पहुंचने से पहले गिर कर मर जाएगा !
मुसलमानों का इतना खून बहेगा ! 100 में से 99 लोग शहीद हो जाएंगे ! यह जंग महज चार रोज चलेगी और चौथे रोज अल्लाह ताला मुसलमानों को फ़तह करेगा !
Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniya 
आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इस जंग का नाम अलमलहमतुल कुबरा फरमाया है जबकि ईसाई उस जंग को आर्मा गेगोन  कहते हैं इस जंग के बाद खलीफा मेहंदी का जुहूर किस सिम्त होगा !
इस बारे में हदीस की रोशनी में पांच आरा बयान की गई है ! मेहंदी के नमुदार होने की सिम्त का चयन करते वक्त हिजाज ए मुकद्दस की हुदूद मर्कज़ तसव्वुर किया जाए !
हाफिज इब्ने कसीर अपनी किताब में रिवायत करते हैं कि खाना है खानए कअबह के नज़दीक खलीफा मेहदी क्री बैअत से पहले उनकै जुहूर व् नुमुदार होने का मकाम मश्रिक ( खुरासान) होगा।
हाफिज इब्वे कसीऱ ने अपनी किताब अलफितन वल मलाहिम में यह कतई राय पेश की है।’ इमाम क्ररतबी अपनी किताब तज़किरा क्ररतबी में ‘ रिवायत करते हैं’ कि खलीफा मेहदी का जुहूर मग़रिब से होगा ! मदीनह के मगरिब में बुहैरए , अहमर के दूसरी जानिब (काहिरा . मिस्र ) में वाकेअ है।
तीसरी ‘राय नूरुल अबसार कै सफ़हा नम्बर 194 ‘ पर शेख “शल’जी _की हैं । वह रिवायत करते हैं वह खलीफा मेहंदी जिसका इंतिजार किया जा रहा है।
वह मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह है’ ! जो आरिड़ारी ज़माने मैं मदीनह मुनव्वरह से नुमूदार होंगे ! क्योंकि वह अहले मदीनह में से होंगे ! जैसै कि उनके बारे मैं और उनकी निशानियाे”. के बारे में हुजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने पेशगोइ की है ।
जैसा कि इमाम अहमद बिन हँबल की मुसनद अहमद और इमाम अबू दाऊद की किताब में हदीस रिवायत की ‘गई हैं ।

खलीफा मेहदी के ज़ुहुर निशानियां

चौथी रिवायत इमाम बुखारी के उस्ताद नुऐम बिन हम्माद की किताब अलफितन (कजुल अम्माल) मैं है । , हदीस नम्बर 1235 … सफहा नम्बर . 409 मकत्तबए तौहीद काहिरा) हज़रत अरताह रजियल्लाहू अन्हु ने फरमाया जिस यमनी खलीफा कै हांथ पर` .कुंस्तुनतुनिया (बाबे यूरोप) फ़त्ह होगा। .
उसी के हाथों रूम’ (इटली यूरोप ) फ़त्ह होगा ! ओर उसी के ज़माने में ‘दज्जाल जाहिर होगा ! उसी के ज़माने में इसा अलैहिस्सलाम का नुजूल होगा !
वह हाश्मी शख़्स होगा! उसी के हाथों बरें सगीर फ़त्ह होगा। यमन हिजाजे मुक्रद्दस्र कैे जुनूब में वाक़ेअ है । हाफिज इब्ने अब्दुल्लाह के पंजाबी मैं कसीदा अहवाले आखिरत के दो अशआर यमन की गिरआ नामी बस्ती से मेहदी के नुमूदार होने का जिक्र मौजूद” हैं ।
शायद नुऐम बिन ‘हम्माद की मज़कूरा हदीस को कसीदा के उन अशआर को जीनत बनाया गया है 1
नुऐम बिन हम्माद की किताब अलफितन हदीस नम्बर _ 1030 सफ़हा नम्बर 336 पर रिवायत है हज़रत अली इब्ने अबी तालिब ने फरमाया वह खलीफा मेहदी (Imam Mehdi) गंदुमी रंग’ वाला एक कुरैशी नौजवान होगा !
जो मज़बूत और ताकतवर मर्द होगा।
Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniya 
ताऊस से रिवायत हैं कि मेहदी (Imam Mehdi) की अलामत यह है क्रि वह हाकिमों पर सख्त होगा, ! माल व दौलत ख़र्च करने वाला सखी होगा !  ओर मसाकीन पर बहुत रहम करने वाला होगा।
किताबे फितन की हदीस नम्बर 821 सफहा , नम्बरं 272 पर है। हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि मकामे बैदा (जुलहुलैफ़) पर एक लश्कर का (ज़लज़ला से ) ज़मीन में धंसना मेहंदी के  ज़हूर की अलामत है ! (मक्रामै बैदा मदीनह से बाहर मक्कह  की राह पर एक मैदान का नाम है ) ‘ .
पाचवी राय अइम्मा अहलै . तशय्योअ. ( शीआ हज़रात) का है ! अबू जाफर ने फ़रमाया, खुरासान से कूफा सियाह झंडे उतरेंगे । जब मेहंदी का जुहूऱ होगा तो उसकी बैअत लेने का पैगाम भेजा जाएगा।
अमीरुल मौमिनीनं’ हज़रत अली रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया :-
( imam mehdi) मेहदी के जुहूर की दस निशानियां हैं ।

Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki 10 Nishaniya

1.  कूफा कै गली कूचो मे झंडों का लहराना,
2.  मस्जिद का मुअत्तल (बंद) होना,
3.  खुरासान मे ज़मीन का धंसना,
4.  शहाबे ‘साकिब .( पत्थरो ) का आसमान से गिरना,
5.  दमदार सितारे का जाहिर होना,
6.  सितारो का इक्तिरान और मिलना,
7.  हर्ज और मर्ज,
8.  क़त्ल व ग़ारत
9.  लूट मार
10. गारत गरी
इन ‘निशानियों में से एक दूसरी तक अजीब ‘ व ग़रीब वाकेआत का _ रूनुमा हाेना
यह निशानियां जब मुकम्मल हो जाएंगी तो`हमारा कायम मकाम मेहदी ( imam mehdi) कूफ़ा मे क्रयाम करेगा ।
पहली चार आरा के बारे में अहले ¸ सुन्नत वल जमाअत के जुम्हूर उलमा ‘ का इत्तीफाक है। जब कि अहले तशय्योअ का मेहंदी के बारे मे अपना ‘ नुकतए नज़र है ।
जैसा कि वह इमाम , हसन असकरी के बेटे मुहम्मद को इमामे गायब मुनतज़र क्ररार देते हैं। जो उनके मुताबिक पांच साल की उम्र मे सामरा ,इराक़ 2 60 हिज़री से  इमाम गायब हैं।
कूफा इराक़ हिज़ाज़े मुक्रद्दस्र के शुमाल में वाक़ेअ है।
Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniya 
प्रोफेसर अमीन मुहम्मद जमाल जामिया “अजहर अहले सुन्नत वल जमाअत के अक़ीदा जुहूरे मेहंदी के वारे में राय देते है’ कि जिस तऱह मेंहदी ( imam mehdi) की सिफात और निशानियो के बारे मैं वाजेह अहादीस वारिद हुई है’ उसी तरह रसूल अल्लाह सल्लस्लाहौ अलैहैं वसल्लम की वाजेह हदीस उनके नुमूदाऱ होने की जगह का तअय्युन कर देती
मगर अल्लाह तआला की एक खास हिकमत के तहत यही बेहतर था कि उनके नुमूदार होने की जगह और उनकी मक़्क़ाह रवानगी के मकाम को खुफिया रखा जाए ताकि कयामगाह दुश्मनों से महफूज रहै !
ख्वाह यह क्यामगाह मश्रिक्र में या मग़रिब में या जुनूब मैं या हिजाज़े  मुक्रद्दस मे हौ ! उनकी रवानगी के मकाम को इसलिए मख़फी (छिपाकर ) रखा गया है ताकि दुश्मन मक्र के तीर उन पर बरसा कर और जामे गज़ब उन पर उंडेल कर उन्हे’ नुक़सान न पहुंचा सकें।
गालिबन यही वह हिकमत है जिसके” तहत खलीफा मेहदी रवानगी के मकाम को हम से मख़फी रखा गया है । खलीफा मेहदी (khalifa imam mehdi)के नमूदार होने की यकीनी अलामत यह है कि कअबह शरीफ के करीब  उनके हाथ पर मुश्रिक्रीन के खिलाफ़ जिहाद लड़ने के लिए बैअत होगी ।
रुक्न  और मकामे इब्राहीम के दर्मियान उनके हाथ पर जिहादे अकबर की बेअत करें । वह जिनके पास न कोई कुव्वत होगी न कोई  तादाद न कोई साज़ व सामान !
Imam Mehdi Ke Zuhoor Ki Nishaniya 
खलीफा मेहदी ( imam mehdi) खानए कअबह की ‘ पनाह लेंगे ! मुश्रिक्र अक़वाम  एक लश्कर उनसे लड़ने के  लिए भेजेंगी ! ताकि उनका खात्मा कर दिया जाए ! यहाँ तक कि मदीने से थोडी दूर मक़ामे  बैदा (जुलहूलैफा) ” पर लश्कर ज़मीन मैं धंस जाएगा।
ज़लज़ला की वजह से ज़मीन फंट कर उनके खिलाफ़ लश्कर को निगल जाएगी ! एक दो आदमी पंहुचेंगे ! वह लोगो’ को ज़मीन धंसने के वाकेआ ’की खबर देंगे ! उस वक़्त  सबको मालूम हो जाएगा !
बैतुल्लाह’ का यह पनाह गुजीं ही खलीफा मेहंदी है ! खलीफा मेहदी ( imam mehdi) ऐसी शख्सियत् ” होगी ! जिसके एहतिराम और दिफाअ क्री खातिर अल्लाह तआला उनकी दुश्मन फौज को ज़मीन दोज़ कर देगा !
यह वाकेआ देखकर लाेग गिरोहों और जमाअतों की शक्ल में उनकी वैअत करेंगे ! शाम कै अबदाल सालिहीन और इराक के औलिया और नेक लोगों क्री जमाआतें उनके पास आकर उनके हाथ पर खिलाफ़त और जिहाद की बैअत करेंगी !
सब मुसलमानों पर उनकी बैअत वाजिब होगी ! पस जुहूरे मेहदी (zuhoore mehdi) की यक्रीनी अलामत यह है कि जो फौज उनके खिलाफ लड़ने के लिए भेजी जाएगी वह ज़लज़ला की वज़ह से ज़मीन में धंस जाएगी।
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