SHAB E MERAJ KI NAMAZ KA TARIKA
हुजूरे अकरम नूरे मुजस्सम सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के
बेशुमार मोजिजात और फ़जाइलो” कमालात में मेअरज शरीफ़ (meraj sharif ) का मौजिजा इन्तिहाई खुसूसियत का हामिल है ! और चूँकि इस मोजिज़े में और कई मोजिजे मौजूद हैं, इसलिये इसे{ Shab e meraj } जामिउल मोजिजात कहना बिल्कुल सही होगा ।
रजब की 27 वीं रात वह मुबारक रात है ! जिसमें अल्लाह ने अपने प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद’ मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को अपनी मुलाकात के लिए बुलाया और अपने दीदार से नवाजा ।
चुनांचे इस रात आप हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम के साथ मक्का शरीफ़ से बयतुल मुक़द्दस पहुंचे !
जहां सारे नबी व रसूल आप का इस्तेकबाल करने के लिए इन्तजार फरमा रहे थे ।
आप ने उन सब को दो रकात नमाज़ पढाई, ! फिर वहां से आसमानों की तरफ़ बढे ! यहां तक कि सातों आसमानों को पार करते हुए ! अर्श पर पहुंचे ! और फिर वहां से अकेले ही आगे ला मकां पहुँचे’! ओर अपनी आखों से अपने रब का दीदार फरमा कर ! उसी रात इस शान से पांच वक़्त की नमाजों का तोहफा लेकर मक्क़ा शरीफ़ वापस तशरीफ़ लाए ! कि
ज़ंज़ीर भी हिलती रही , बिस्तर भी रहा गर्म
MAHE RAJAB KI IBADAT
अल्लाह के रसूल फ़रमाते है ! जो आदमी रजब की पहली, 15 वीं ओर 27 तारीख़ को गुस्ल करेगा, अल्लाह पाक उसे गुनाहों से पाक फरमा देगा । इस महीने में रोजा रखने की भी बडी फ़जीलत है । 26,27 तारीख़ का रोज़ा बहुत मशहूर है ! जिसे लक्खी, हज़ारी रोज़ा कहा जाता है ।
27 वीं रजब का रोज़ा रखने वाले को जन्नत की नहर से शर्बत पिलाया जाएगा ! जो शहद से ज्यादा मीठा, बर्फ से. ज्यादा ठंडा और दूध से ज्यादा सफेद होगा !
इस ऱात में नफ़्ल नमाजें पढना बड़े सवाब का काम है ।
MAHE RAMZAN 2020 TIME TABLE
नवाफिले शबे मेअराज SHAB E MERAJ KI NAFL NAMAZ KA TARIKA
रजब की एक रात जिक्रो अज़कार और आमाले सालिहा में मशगूल
रह क़र गुजारने वाले के नामए आमाल में सौ बरस की नेकियाँ लिखी
जाती हैं ओर वह सत्ताइस रजब मेअराज की रात {Shab e meraj} है ! (हदीस)
( 1 ) जो कोई शख्स शबे मेअराज {Shab e meraj} में बारह रकअत नफ़्ल चार-चार की नियत से अदा करे !
क़अदा ऊला में तशह्हुद पढे ! और दुरूद व दुआ पढ कर खडा हो जाए ! फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे,
इस तरह बारह रकअत पूरी करे ! फिर नमाज़ से फारिग़ होकर एक सौ मरतबा यह तस्वीह पढे
* सुब्हाहानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर *
और एक सौ मरतबा दुआए ईस्तिगफार पढे !
* अस्तिग़फिरुल्लाहा रब्बी मिनकुल्लि ज़म्बिव व अतुबू इलैहि *
ओंर सौ मरतबा दुरूद शरीफ़ पढ़ कर दीनी व दुनियवी अच्छे कामों
के लिये जो दुआ मांगेगा परवर-दिगारे आलम उसकी दुआ कुबूल
फ़रमाएगा ।
{ इंशाअल्लाहु तआला }
हां सुबह रोजा ज़रूर रखे कि उस दिन की भी बडी फ़जीलत है ।
सबसे पहले उसी दिन जिब्रील अमीन बही लेकर हाजिरे दरबारे नबी
सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हुए
इसीलिये जो इस दिन रोजा रखेगा, उसको साठ महीनो के
रोज़ा का सबाब मिलेगा
अलबत्ता आगे या पीछे एक रोज़ा और रख लेना चाहिये ताकि
यह तन्हा न रहे, क्योंकि नफ़्ल रोजा तन्हा रखना मकरू ह है ।
( 2 ) जिसने शबे मेअराज बारह रकअत नफ़्ल अदा की
,बाद मे सात बार सूरए फातिहा और चार बार यह तस्वीह
* सुब्हाहानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर *
पढी ! उसकी दु आ अगर नेक व जाईज है तो जरूर कुबूल होगी
{ इंशाअल्लाहु तआला }
नवाफिले शबे मेअराज SHAB E MERAJ KI NAMAZ
1. 2-2 रकात की नियत से 12 रकात नफ़्ल पढे । हर रकात में अलहम्दो …..के बाद 5 बार क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें । नमाज़ के बाद 100 बार तीसरा कलमा, 100 बार अस्तग़फार और 100 बार दुरूद शरीफ़ पढकर जो दुआ मांगें, इन्शाअल्लाह कबूल होगी ।
2. 2-2 रकात की नियत से 6 रकात नफ़्ल पढे । हर रकात में अलहम्दो …..के बाद 5 बार क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें ।
नमाज़ के बाद 100 बार दुरूद शरीफ़ पढे । इस की बरकत से हजारों गुनाहं माफ़ होंगे ! और दीन व दुनिया की ज़रुरतें पूरी होंगी ।
3. 2. रकात नफ़्ल पढे । हर रकात में अलहम्दो …..के बाद 27 बार क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें । फिर अत्तहीँयात के बाद 27 बार दुरूदे इब्राहीमी पढें ।
सलाम फेरने के बाद उसका हदिया सरकार की बारगाह में पेश करके फ़ेज़ हासिल करें ।
4. 2 रकात नफ़्ल पढें ! हर रकात में अलहम्दो …..के बाद तीन बार सूरए काफिरून और क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें । नमाज़ के बाद एक बार चौथा कलमा पढ़कर दुरूद शरीफ़ पढ़ें ! और सवाब हासिल करें !