Monday, May 20, 2024
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Garib Nawaz Life Story – गरीब नवाज़ का जीवन परिचय –

हजरत ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैही जीवन परिचय (Khwaja-Garib-Nawaz-LIfe-Story)

जिस किसी को भी हिन्दुस्तान के राजा ! हजरत ख्वाजा गरीब नवाज़ Garib Nawaz के बारे में जानना है ! की वो कितनी बड़ी शख्सियत है! तो इस पोस्ट को जरूर अव्वल से आखिर तक पढ़े!थोडा बड़ा जरूर है पर इसको पढ़ कर ईमान ताजा हो जाएगा!

हजरत ख़्वाज़ा गरीब नवाज़ (Khwaja-Garib-Nawaz )  की विलादत शरीफ 

हजरत ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैही
अलक़ाब-ख्वाजा गरीब नवाज ’ अता.ऐ.रसूल ’सल्ललाहो अलैहि वसल्लम

कहा जाता है कि – आपकी विलादत संजर जो मुल्क ईरान के इसफहान शहर में ( खुरासान के करीब में है,) में 530 हिजरी {1141} में हुई
आपके वालिद का नाम ख्वाजा सैय्यद गयासुद्दीन बिन अहमद हसन रहमतुल्लाह अलैहि  है जो  हुसैनी सादात है

और वालिदा का नाम बीबी उम्मुल वरा [ बीवी माहेनूर] बिन्ते हजरत सैय्यद दाऊद रहमतुल्लाह अलैहि है जो की हसनी सादात है 8 बरस की उम्र में आपके वालिद का इंतेक़ाल हो गया और 15 बरस की उम्र में आपकी वालिदा का इंतेक़ाल हो गया

हजरत ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैही – इल्मे दीन 

 544 हिजरी में एक बार आप अपने फलो के बगीचे में काम कर रहे थे! तब हजरत इब्राहिम कंदोजी नाम के एक दरवेश वहाँ आये ! और बेठे आपने उनको अपने बगीचे में से अंगूर का गुच्छा पेश किया और उन्होंने उसे खाया ! फिर मेहमान नवाजी से खुश होकर अपने थैले में कुछ निकाला ! फिर उसको चबाकर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन को खाने के लिए दिया !

आपने खुशी के साथ उसको खाया ! तो उनके फैजो बरकात से आपके लिए इल्मो हिकमत के दरवाजे खुल गए ! OR आप ने अपना सब कुछ बेच दिया ! और उस रकम को गरीबो और मोहताजो को खैरात कर दिया ! फिर आप समरकंद और बुखारा की तरफ इल्मे दीन सिखने के लिए रवाना हो गए

*544 से 550 हिजरी तक आप वहाँ हजरत मौलाना हिसामुद्दीन और हजरत मौलाना शरफुद्दीन के पास इल्मे दीन सीखते रहे
550 हिजरी में आपकी मुलाकात हुजूर गौसे आजम रदियल्लाहो तआला अन्हु से हुई !
आप एक कामिल पीर तलाश रहे थे ! की आपने ख्वाज़ा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलैहि के बारे में सुना
552 हिजरी में आप उनके पास गए और उनके मुरीद हुए और इबादतें इलाही और खिदमते मुर्शिद करते रहे

Khwaja-Garib-Nawaz  और ख़िलाफ़त 

* एक बार ख्वाज़ा उस्मान हारूनी ने आपसे कहा के मोईनुद्दीन नीचे देखो क्या दिखता है
आपने नीचे देखकर कहा की में जमीन के अंदर देख सकता हूं
मुर्शिद ने फिर कहा की अब ऊपर देखो, क्या दिखता है आपने ऊपर देखकर कहा की में आसमान के अंदर देख सकता, मुर्शिद ने फिर फरमाया की में तुम्हे इससे भी आगे पहुँचाना चाहता हूं ,

फिर 22 साल मुर्शिद की खिदमत में गुजारने के बाद एक दिन मुर्शिद ने फिर बुलाकर अपनी दो उंगलिया आप की दोनों आँखों के बीच में रखी और फिर फरमाया मोईनुद्दीन नीचे देखो क्या दिखता है
आपने नीचे देखकर कहा में तहतुस्सरा तक देख सकता हूं यानी 7 तबक जमीन के नीचे तक  फिर मुर्शिद ने कहा  ऊपर देखो क्या दिखाई देता है
आपने ऊपर देखकर कहा की मै अर्शे आज़म तक देख सकता हूं
ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने खुश होकर आपको खिलाफत अता फरमाई !

Khwaja-Garib-Nawaz और अलक़ाब-ख्वाजा गरीब नवाज

* एक बार आपके मुर्शिद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह अलैहि ने अपने सब मुरीदो को जमा करके कहा के मेने तुम्हे जो इल्म सिखाया है उससे कुछ करामात पेश करो, सब मुरीदो ने बारी बारी करामात से कोई चीज़  पेश की किसी ने सोना किसी ने चांदी किसी ने हीरे जवाहरात तो किसी ने दीनारों दिरहम पेश किये

ख्वाजा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े पेश किये
सब मुरीद आप पर हंसने लगे इतने में दरवाजे पर एक साइल ने आवाज़ दी के में कई दिनों से भूखा हूं मुझे खाने के लिए कुछ दे दो सब ने अपनी अपनी चीज़े उसको देनी चाही मगर उस साइल ने कहा के में इस सोने चांदी हीरे जवाहरात दीनारों दिरहम का क्या करुँ

मुझे तो खाने के लिए कुछ दे दो फिर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े उस साइल को दे दिए उसने उसे लेकर आपको बहुत सारी दुआऐं दी
इसके बाद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने फरमाया के ऐ मोईनुद्दीन तुम गरीब नवाज़ हो

(Khwaja-Garib-Nawaz-Hajj-Mubarak ) ख्वाजा गरीब नवाज़ का हज मुबारक 

* 555 हिजरी में शेख जियाउद्दीन अबू नजीब अब्दुल कादिर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैहि से मुलाकात हुई
* 563 हिजरी में ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने आपको जुब्बा मुबारक अता किया और अपने साथ हज को लेकर गए, जब बैतुल्लाह शरीफ़ में हाजिर हुए तो आपके पीरों मुर्शीद ने आपका हाथ पकड़ कर दुआ की

“ऐ खुदावंद ! में अपने मोईनुद्दीन के लिए तुझसे 3 चीजो का तलबगार हूं ! गैब से आवाज़ आई – ऐ उसमान ! मोईनुद्दीन के लिए जो कुछ तलब करोगे दिया जाएगा ! ये हुक्म पाकर आपने अर्ज़ किया ऐ खुदावंद तू मेरे मोईनुद्दीन को कुबूल फरमा !

इरशादे बारी हुआ हमने कुबूल किया फिर अर्ज़ किया मेरे मोईनुद्दीन को मुझसे ज्यादा शोहरत अता फरमा ! इरशादे बारी हुआ हमने कुबूल किया
फिर अर्ज़ किया मेरे मोईनुद्दीन में अपने जलवे और अपने हबीब सल्ललाहो अलैहि वसल्लम की शान पैदा फरमा! इरशादे बारी हुआ की ये दुआ भी मेने कुबूल की!

{ आखिर वक़्त में इस दुआ का इस तरह जहूर  हुआ कि आपके विसाल के बाद आपकी पेशानी मुबारक पर अरबी में लिखा हुआ था . हाजा हबीबुल्लाह वमा ता फी हुबिल्लाह
जिसका तर्जुमा ये हैं कि – ये अल्लाह का हबीब है और इसका विसाल अल्लाह की मोहब्बत में हुआ }
इसके बाद जब मदीना शरीफ पहुंचे और हुजूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम को सलाम पेश किया – अस्सलातो  वस्स्लामो अलैका या रसूलल्लाह
तो रोजा ऐ मुबारक से जवाब आया वालेकुम अस्सलाम या कुतबुल मशाइखे बहरो बर  [और तुम पर भी सलामती हो ऐ जमीन और समुन्दर के बुजुर्गो के कुतुब]

*580 हिजरी में गौसे आज़म रदियल्लाहो तआला अन्हो से दोबारा  मुलाकात हुई
*582 हिजरी में इस्फ़हान में ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी को मुरीद बनाया और
*585 हिजरी में समरकंद में उनको खिलाफत अता फरमाई
   

Khwaja-Garib-Nawaz-Hindustan Kese Aaye  

* 585 हिजरी में आप ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी के साथ हरमैन शरीफ़ेन गए तो सरकारे मदीना हुजूर सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने ख्वाब में तशरीफ़ लाकर फरमाया के ऐ मोईनुद्दीन तुम दीन के मददगार हो तुम अब हिन्दुस्तान जाओ और वहाँ जाहिलियत को दूर करके लोगो को दीन ऐ इस्लाम का सही रास्ता दिखाओ

* रास्ते में बहुत सारे सूफी औलिया से फैज़ो बरकात हासिल करते हुवे और हजारो लोगो को अपना फैज अता करते और दीन की सही राह दिखाते हुए  आप हिदुस्तान में लाहौर में कुछ अरसे के लिए रुके और फिर वहाँ से  587 हिजरी ;1190 में 52 बरस की उम्र में राजपुताना [राजस्थान, के इलाके अजमेर में पहुंचे जहाँ पृथ्वीराज चौहान की हुकूमत थी ]

ख्वाजा की करामात ( चमत्कार )  (Khwaja-Garib-Nawaz-Mojize  )

एक बार आप अपने साथियो के साथ एक दरख्त के नीचे बैठे थे, इतने में राजा के सिपाहियों ने आकर कहा के तुम सब यहाँ से खड़े हो जाओ

 ये जगह राजा के ऊँटो के बैठने की जगह है आप ने फरमाया की ये ऊंट दूसरी कोई जगह पर भी तो बैठ सकते है  तो सिपाहियों ने कहा के नहीं ये ऊंट रोजाना यही पर बैठते है
तो आप वहाँ से खड़े हो गए और फरमाया के ठीक है अब ये ऊंट यही पर बैठेंगे और आप दूर चले गए!

फिर कुछ वक़्त के बाद सिपाहियों ने ऊँटो को खड़ा करने की कोशिश की तो वो ऊंट वहाँ से खड़े ना हुवे बहुत कोशिश करने के बाद नाकाम होकर वो सब राजा के दरबार में हाज़िर हुवे और सारा किस्सा बयान किया! तो उस राजा ने कहा की तुम उस फकीर के पास जाओ और उससे माफ़ी मांगो!
वो सिपाही आपको तलाश करते हुवे वहाँ पहुंचे और माफ़ी मांगी आपने फरमाया की जाओ तुम्हारे ऊँट खड़े हो गए है सिपाहियों ने जब जाकर देखा तो ऊंट अपनी जगह से खड़े हो गए थे

* इसके बाद आपने बहुत सारी करामते दिखाई जिसमे आना सागर को अपने कांसे में समा लेना और अजयपाल जादूगर के फेंके गए पत्थर को आसमान में ही रोक देना और उसको मुसलमान बनाना मशहूर है!

आपने अपने रूहानी फैज़ और करामात से हिन्दुस्तान में इस्लाम की बुनियाद मजबूत की.और बुलन्दी और वक़ार अता फरमाया

एक मरी हुई गाय जिन्दा हो गयी   (Khwaja-Garib-Nawaz-Mojize  )

* एक बार आप आना सागर की तरफ से गुजर रहे थे की आपने एक औरत के रोने की आवाज़ सुनी पहचानने पर पता चला की वो औरत बहुत गरीब थी और उसकी गाय मर गई थी आप उसके साथ उस गाय के पास गए और अल्लाह से दुआ की तो वो मरी हुई गाय जिन्दा हो गई ये देखकर वो औरत आप के कदमो में गिर गई

ख्वाजा गरीब नवाज़ की किताबे  (Books-Of-Khwaja-Garib-Nawaz- )

* 589 हिजरी में शाहबुद्दीन गौरी आप के मुरीद बने 611 हिजरी में आप देहली तशरीफ़ ले गए आप 7 वीं सदी के मुजद्दिद भी है आपने बहुत सारी किताबे भी लिखी है जिस में 
अनीसुल अरवाह Anis-ul-Arwah  और 
दलाइलुल आरेफीन Dalai-Lul-Aarefeen मशहूर है

फरमाने ख्वाजा गरीब नवाज़ ( Farman-E-Khwaja-Garib-Nawaz )

*आप फरमाते है
1. किसी का दिल ना दुखाओ , हो सकता है की वो आंसू तुम्हारी सजा बन जाए
2.दुखियो  की मदद करना और उनकी फरियाद सुनना अफजल इबादत है!
3.झूटी कसम खाने से घर में से बरकत चली जाती है इसलिए हमेशा सच बात कहा करो

ख्वाजा गरीब नवाज़ का खानदान  ( Family-Of-Khwaja-Garib-Nawaz )

 

*आपकी 2 बीबियां है और 3 बेटे और 1 बेटी है!
बीबी अमातुल्लाह से निकाह 590 हिजरी में हुआ आपके बतन से

1 खवाजा फकरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैहि
2 ख्वाजा हिसामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैहि
3 बीबी हाफीजा जमाल रहमतुल्लाह अलेहिया हुवे
बीबी असमतुल्लाह से निकाह  620 हिजरी में हुआ और आपके बतन से हजरत खवाजा जियाउद्दीन अबू सईद रहमतुल्लाह अलैहि हुए

ख्वाजा गरीब नवाज़ का सिलसिला  ( Khwaja-Garib-Nawaz-ka-silsila  )

आप ख्वाजा उसमाने हारुनी के मुरीद और खलीफा है,और आप से हिन्दुस्तान में चिश्तिया सिलसिला जारी है
आपके बहुत सारे मुरीदो ने हिन्दुस्तान में दीने इस्लाम की इशाअत का काम जारी रखा !
आप के 2 खलीफा मशहूर है

1 हजरत ख्वाज़ा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैहि -देहली
2 हजरत ख्वाज़ा हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैहि-नागौर
इसके अलावा आपके सिलसिले [खलीफा के खलीफा ] में बहुत सारे औलिया अल्लाह मशहूर है
1. हजरत ख्वाज़ा फरीदुद्दीन गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैहि
[पाक पट्टन पाकिस्तान ]
2 हजरत ख्वाज़ा अलाउद्दीन साबिर कलियरी रहमतुल्लाह अलैहि
3 हजरत ख्वाज़ा शम्सुद्दीन तुर्क रहमतुल्लाह अलैहि पानीपती
4 हजरत ख्वाज़ा निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैहि [देहली]
5 हजरत ख्वाज़ा नसीरुद्दीन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैहि
 6 हजरत अमीर खुसरो [देहली]
7 हजरत बुरहानुद्दीन गरीब खुलदाबाद ;महाराष्ट्रद्धए
8 हजरत जलालुद्दीन [फतेहबाद ;महाराष्ट्र]
9 हजरत मोहम्मद हुसैनी गेसू दराज बंदा नवाज
रहमतुल्लाह अलैहि गुलबर्गा [कर्नाटक]
10 हजरत सैय्यद अहमद बड़े पा लांसर [हैदराबाद]
11 हजरत सिराजुद्दीन अकी सिराज ;आइना ऐ हिन्दद्ध रहमतुल्लाह अलैहि [गौड़, वेस्ट बंगाल]
12हजरत शाह नियाज अहमद रहमतुल्लाह अलैहि [बरेली]
13 हजरत मखदूम अशरफ सिमनानी रहमतुल्लाह अलैहि [किछौछा]

ख्वाजा गरीब नवाज़ का विसाल  ( Khwaja-Garib-Nawaz-ka-Visal  )

    
*आपका विसाल 6 रजब 633 हिजरी [मार्च 16.1236 ] को 97 बरस की उम्र में हुआ!
आपका मजार अजमेर [राजस्थान] में है विसाल के बाद भी आपका फैज़ और करामात जारी है आपके मज़ार पर हाज़िर होने वालो और आप के वसीले से दुआ मांगने वालो को अल्लाह तआला हर नेक जायज मुराद अता फरमाता है!

ख्वाजा गरीब नवाज की करामात का एक मशहुर किस्सा  ( Khwaja-Garib-Nawaz-ki-karaamat  )
वैसे तो हजरत ख्वाजा गरीब नवाज़ करामात के कई किस्से है जिस में ये किस्सा बहुत मशहूर है की
* एक बार बादशाह औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैहि ख्वाज़ा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैहि के मज़ार की जियारत के लिए अजमेर आये!
अजमेर पहुँच कर औरंगजेब ने कहा के मानता हूं की ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैहि अल्लाह के वली है मगर में जब मज़ार पर उनको सलाम पेश करू तो मुझे जवाब मिलना चाहिये वरना में मज़ार को तोड़ दूंगा !
आप जब मज़ार पर पहुंचे तो वहाँ एक अँधा शख्स बैठकर इल्तेजा कर रहा था औरंगजेब ने उससे पूछा के ऐ शख्स क्या मामला है!
उस अंधे शख्स ने जवाब दिया की में बहुत अरसे से ख्वाज़ा के वसीले से दुआ कर रहा हूं की मेरी आँखों की बिनाई (आँखों ली रौशनी ) आ जाए 
Khwaja-Garib-Nawaz-ki-karaamat
लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ ! तब औरंगजेब ने उससे कहा की मज़ार पर सलाम कर के आता हूं अगर तब तक तुझे आँख की रौशनी नहीं मिली तो तलवार से तेरी गर्दन काट दूंगा !
*वो अँधा शख्स परेशान हो गया की अब तो आँख के साथ साथ जान पर बन आई है !  फिर उसने और जोर शोर से तड़प कर ख्वाज़ा गरीब नवाज़ के वसीले से दुआ की !
जब औरंगजेब ने ख्वाजा गरीब नवाज़ को सलाम पेश किया तो उसका जवाब नहीं मिलाए दोबारा सलाम किया तो जवाब नहीं मिला! फिर जब तीसरी मर्तबा सलाम किया तो मज़ार के अंदर सलाम का जवाब मिला !
फिर ख्वाज़ा गरीब नवाज ने कहा की ऐ औरंगजेब आइन्दा से फिर कभी ऐसी जिद मत करना तुम्हारी जिद की वज़ह से उस अंधे शख्स की आँखों की रौशनी लाने के लिए में अर्शे इलाही पर गया था और इसलिए सलाम का जवाब देने में थोड़ी देर हो गई !
 

* हमसे जहां तक बन सका हमसे सरकार गरीब नवाज़ की जिंदगी पर रौशनी डालने की कोशिश की है और आप तक इसको पहुँचाने की कोशिश की है,आखिर में बस यही कहूँगा की अल्लाह हमारी इस कोशिश को अपनी बारगाह में मंजूर फरमाये

अल्लाह तआला रसूल सल्ललाहो अलैहि वसल्लम के सदके में और ख्वाज़ा गरीब नवाज़ अता ऐ रसूल के सदके में हम सबको पक्का और सच्चा आशिके रसूल बनाये और सबके ईमान की हिफाजत फरमाये और सबको दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फरमाये
आमीन !  

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