Home इस्लामिक महीने Mahe Rajab ki ibadat (माहे रजब में करने वाली इबादत)

Mahe Rajab ki ibadat (माहे रजब में करने वाली इबादत)

Mahe Rajab ki ibadat –नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं कि रजब ( rajab ) के महीने की बडी फ़जीलत है। इस महीने की ईबादत बहुत अफजल है ! नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जब रजब ( rajab ) के महीने का चाँद देखो तो पहले एक मर्तबा यह दुआ पढे !

अल्लाहुम्म बारिक लना फ़ी र-ज-ब व शअबा-न व-बल्लग्ना इला शहरि र-मज़ा-न

Mahe Rajab ki ibadat

नफ़्ल नमाज़ : रजब ( rajab ) महीने की पहली रात में इशा” की नमाज़ के बाद दस रक्अत नमाज़ पाँच सलाम से पढे ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: काफिरुन तीन-तीन मर्तबा और सूर: इख्लास तीन मर्तबा पढे ! अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ पढने वाले को अल्लाह पाक कियामत के दिन शहीदों में शामिल करेगा ! और उसके हजार दर्जे बुलन्द करेगा !

लाइला-ह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू लहुल मुल्कु वलहुल् हम्दु वयुमीतु वहु-व हय्यु न् ला यमूतु बि-यदिहिल् ख़ैरु वहु -व अला कुल्लि शेइन क़दीर+अल्लाहुम्म ला मानि-अ लिमा अअते-त वला मुअति-य लिमा मनअ त वला यन्-फ़अु ज़ल् -जद्दि मिन्-कल् जद्दु

पहली रात को इशा की नमाज़ के बाद चार रकअत नमाज़ दो सलाम से पढे ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इन्शिराह एक बार, सूर: इख़्लास एक बार, सूर: फलक एक बार और सूर: नास एक बार पढे ! जब’दो रक्अत का सलाम फेर दे ! तो कलिम ए तौहीद 33 बार, दुरूद शरीफ 33 बार पढे !

फिर दो रक्अत की निय्यत बांध कर पहली दों रक्अत की तरह ही पढे , फिर बाद सलाम के कलिम ए तौहीद 33 मर्तबा और दुरूद शरीफ 33 मर्तबा पढकर ” अपनी जो भी हाजत हो अल्लाह से माँगे ! अल्लाह ने चाहा तो हर हाजत पूरी होगीं !

माहे रजब में जुमा के दिन करने वाली इबादत

रजब की पहली तारीख को- जुहर की नमाज के बाद दो रक्अत नफ़्ल की पढे ! हर रक्अत मेँ सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 55 मर्तबा पढे ! सलाम के बाद अपने पिछले गुनाहों से तोबा करें ! अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ के पढने वाले के गुनाह माफ हो जायेगे और उसकी मगफिरत हो जायेगी !

रजब ( rajab ) महीने की जुमा की हर रात को इशा की नमाज़ के बाद दो रक्अत नफ़्ल कीं पढे ! पहली रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: ब-क़-र: का आख़री रुकूअ ‘” आ-म-नर्रसूलु ” से “काफ़िरीन तक सात मर्तबा पढे !

फिर दूसरी रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: हश्र की आख़िरी आयतें “हु-वल्लाहुल्लजी” से “हाकीम” तक सात मर्तबा पढे ! फिर सलाम फेरने के बाद अल्लाह से जो भी माँगेगा उसकी वह हाजत पूरी होगी !”हर मुराद के लिये यह अफजल नमाज़ है !

लै-लतुर्रग़ाइब :

यह रात इसी महीने में आती है ! महीना के पहले जुमा की रात का नाम है ! इस रात में मग़रिब की नमाज़ के बाद 12 रक्अत नफ़्ल की छ. सलाम से अदा करें ! हर रक्अत में सूर. फातिहा के बाद सूर: कद्र तीन बार और सूर: इख़्लास 12 मर्तबा पढे ! सलाम फेरने के बाद सत्तर मर्तबा इस दुरूद को पढे !

अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदि निन्नबिय्यिल् उम्मी व-अला आलिही व-सल्लिम्

 

फिर सज्दे में जाकर 70 मर्तबा इसे पढे !

सुब्बूहून् कूद्दू सुन् रब्बुल् मलाइ-कति वर्रूहि “

फिर सर उठाये और नीचे की दुआ को 70 मर्तबा पढे :

रब्बिग फिर वर-हम व-तजा वज अम्मा तअ -लमु इन्न-क अन्तल अज़ीजुल् अ अ ज़मु

फिर दूसरा सज्दा भी इसी तरह करें, फिर जो भी माँगोगे वह कुबूल होगा ! इंशाअल्लाह !

रजब (rajab) महीने के पहले जुमा को ज़ुहर और अस्र के दर्मियान चार रक्अत नमाज़ एक सलाम से पढे ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद आयतल् कुर्सी सात मर्तबा, सूर: इख़्लास पाँच मर्तबा पढे ! फिर सलाम फेरने के बाद 25 मर्तबा यह दुआ पढे !

लाहौ-ल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाहिल् कबीरिल् मुतआलि

फिर 100 मर्तबा यह इस्तिग़फार पढे !

अस्तग़फिरुल्ला-हल्लज़ी लाइला-ह हल्ला हु-व अल हय्युल क़य्यूमु गफ़्फ़ा रुज़्ज़ुनूबि व सत्तारुल् अुयूबि वअतुबु इलैहि

इसके बाद 100 मर्तबा दुब्द शरीफ़ पढकर जो भी दुआ करे, चाहे दीनी हो या दुनियावी, अल्लाह ने चाहा तो ज़रूर कुबूल होगी !

Mahe Rajab Ki 15vi Rat Mein Karne Wali Ibadat

रजब माह की 15वीं रात को बाद नमाज इशा दस रक्अत नमाज़ पॉच सलाम से पढे ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास तीन-तीन मर्तबा पढे ! फिर सलाम के बाद यह दुआ पढे :

लाइला-ह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू लहुल मुल्कु वलहुल् हम्दु यूहयी वयुमीतु वहु-व हय्यु न् ला यमूतु बि-यदिहिल् ख़ैरु वहु -व अला कुल्लि शेइन क़दीर+इला-हव्वाहि-दन् अह-दन्, स-म-दन्, फ़र-दन्, वतरन् लम् यत्तखिजू साहि-ब-तव्वला व-लदा

इस नमाज़ के पढने वाले के गुनाह ऐसे झडेंगे जैसे दरख्त से सूखे पत्ते झड़ जाते हैं !

रजब महीने के किसी जुमा की रात को इशा की नमाज़ के बाद दो रक्अत नफ़्ल की नमाज़ पढे ! दो रक्अत में सूर: फातिहा के बाद आयतल् कुर्सी ग्यारह मर्तबा, सूर: जिल्ज़ाल ग्यारह मर्तबा, सूर: तकासुर ग्यारह मर्तबा पढे ! फिर सलाम फेरने के बाद अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी माँगे ! अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ के पढने वाले के तमाम गुनाह माफ करके उसको बख्श देगा !

Mahe Rajab ki Shabe Meraj (27vi shab) Mein Karne Wali Ibadat

रजब महीने की 27वीं रात को 12 रक्अत नमाज़ तीन सलाम से पढे ! पहली चार रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: कद्र तीन-तीन मर्तबा हर रक्अत में पढे ! और सलाम फेरने के बाद सत्तर मर्तबा यह दुआ पढे

लाइला-ह इल्लल्लाहुल् मलिकुल् हक़्क़ुल् मुबीनु

दूसरी चार रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: नस्र तीन-तीन मर्तबा हर रक्अत में पढे और सलाम फेरने के बाद 70 मर्तबा यह दुआ पढे !

इन्न-क क़वविय्युन्, मुअीनुन्, वाहिदुन् दलीलुन् बिहक़्क़ि इय्या-क नअबुदु वइय्या-क नस्तअीनु

तीसरी चार रक्अत में सूर; फातिहा के बाद सूर: इख़्लास तीन-तीन मर्तबा हर रक्अत में पढे ! इनशाअल्लाह तआला जो हाजत होगी पूरी होगी !

Mahe Rajab ki 27ve Din Karne Wali Ibadat

रजब महीने ( rajab ) की 27 तारीख को जुहर की नमाज़ के बाद चार ॰ रक्अत नफ़्ल एक सलाम से पढे ! पहली रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: कद्र तीन मर्तबा ! दूसरी रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास तीन मर्तबा, तीसरी में सूर: फ-लक तीन मर्तबा, चौथी में सूर: नास तीन मर्तबा पढे ! सलाम फेरने के बाद दरूद शरीफ़ 100 मर्तबा पढे ! यह नमाज़ हर मुराद के लिये बहुत अफ़्ज़ल है !

रजब महीने के आखिर में दस रक्अत पाँच सलाम से पढे ! हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद सूर: काफिरून तीन बार, और सूर: इख़्लास तीन मर्तबा पढे, फिर सलाम फेरने के बाद हाथ उठाकर यह मुबारक दुआ पढे।

लाइला-ह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लहू लहुल मुल्कु वलहुल् हम्दु यूहयी वयुमीतु वहु-व हय्यु न् ला यमूतु बि-यदिहिल् ख़ैरु वहु -व अला कुल्लि शेइन क़दीर+ वसल्लल्लाहु अला सय्यिदिना मुहम्मदिन् वअला आलि हित्ताहिरी-न + वला हौ-ल वला कुव्व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल् अज़ीमि

फिर अपने रब से अपनी हाजत मांगो ! तुम्हारी दुआ कुबूल होगी ! और अल्लाह पाक तुम्हारे ओर दोजख के दर्मियान सत्तर खन्दक (खाई) रुकावट के तिये कर देगा ! हर खाई की चौडाई 500 वर्ष की होगी ! और हर रक्अत के बदले एक हजार रक्अत कासवाब लिखेगा ! यह हदीस जब सलमान रजिं0 ने सुनी तो रोने लगे और इतने सवाब मिलने के शुक्र में सज्दे में गिर पडे !

Rajab Mah Ke Wazife

इस महीने की पहली तारीख से हर नमाज़ के बाद तीन मर्तबा इस दुआ को पढने की बडी फ़जीलत आयी है !

अस्तग़फिरुल्ला–हल अजी-मल्लजी लाइला-ह इल्ला हुवअल् -हय्युल क़य्यूमु + इलैहि तौ-बतु अब्दिन् जालिमिन् ला यम्लि -कू नफू-सहू ज़र्रव्वला नफ़-अन् वला मौ-तन् वला ह-या-तन् वला नुशूरा

इस साह की 15 तारीख को किसी नमाज़ के बाद एक मर्तबा नीचे की दुआ पढनी अफ़्ज़ल है ! इस दुआ के पढने से अल्लाह उसकी तमाम बुराइयों को मिटा कर नेकियों में बदल देगा !

अस्तग़फिरुल्ला-हल्लज़ी लाइला-ह हल्ला हु-व अल हय्युल क़य्यूमु गफ़्फ़ा रुज़्ज़ुनूबि व सत्तारुल् अुयूबि वअतुबु इलैहि

रजब महीने की किसी भी तारीख को जुहर या मग़रिब या इशा की नमाज़ के बाद सूर: कहफ एक मर्तबा, सूर: यासीन एक मर्तबा सूर: हामीम एक मर्तबा, सूर: दुखान एक मर्तबा सूर: मआरिज एक मर्तबा और फिर सूर: इख़्लास एक हजार मर्तबा पढें ! अल्लाह पाक इन सूरतों के पढने वाले पर अपनी खास रहमतें और बर्कतें नाजिल फरमायेगा !

Mahe Rajab Ka Roza

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : रजब महीने के रोजो की बडी फ़जीलत है ! ओर सबसे ज्यादा 27 के रोजे का बड़ा सवाब है ! इस दिन रोजा रखने से क़ब्र के अज़ाब और दोज़ख की आग से महफ़ूज़ (सुरक्षित ) रहेगा !इस माह के एक रोज़े का सवाब और दिन के हज़ार रोज़ो के सवाब के बराबर है !

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