Fatiha Ka Tarika – बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम – अस्सलामो अलैयकुम मेरे प्यारे-प्यारे भाइयो और बहनो इस पोस्ट में हमने फातिहा देने का सुन्नी तरीका (fatiha dene ka tarika ) बताया है !
सबसे पहले फातिहा किस तरह पढ़ी जाती है वो जान लीजिए उसके बाद फातिहा देने से या इसाले सवाब से रेलेटेड सारी बाते सारे सवालों के जवाब निचे दिए गए है !
Fatiha Ka Tarika In Hindi
दोस्तों अब में आपको फातिहा देने का मुकम्मल सुन्नी तरीका बताने वाला हु ! लिहाज़ा पोस्ट पूरी पढ़े ! और अपने प्यारो को भी शेयर करे ! ताकि आपको भी सवाब मिले और उनको भी ! जब तक ज़िंदा है सवाब कमालो ! क्या पता कल हमारे लिए कोई फातिहा ख्वानी करे न करें ! पूरी पोस्ट जरूर पढ़े !
फातिहा देने का सुन्नी तरीका – Fatiha Dene Ka Sunni Tarika
सब से पहले वुजू करना है ! वुजू करने के बाद क़िब्ला रुख बैठ कर जिस चीज पर फातिहा (Fatiha ) देनी हो या इसाले सवाब करना हो ! उसको सामने रख ले ! सामने रखना सिर्फ मुबाह और जायज है !
अगर वह चीज ढकी हुई हो तो उसे खोल्दे और लोबान अगरबत्ती सुलगाकर फातिहा ( Fatiha ) की चीजों से दूर रखे ! और निचे बताये तरीके से फातिहा (Fatiha) दे !
सबसे पहले अव्वल व आखिर 11-11 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़े ! फिर क़ुरान की जो भी सूरत आपको याद हो वो पढ़े ! नहीं तो सूरह काफ़िरून 1- बार , सूरह इखलास -3 बार , सूरह फलक़ 1- बार , सूरह नास 1 -बार ,सूरह फातिहा – 1 बार पढ़कर सूरह बक़रह का पहला रुकू पढ़े ! और क़ुरान की कुछ और आयते है जिनके बारे में आगे विस्तार से बताया है ! फिर दुरुद शरीफ पढ़े !
क्या क्या पढ़ना है ! बिस्मिल्लाह शरीफ से दुआ तक फातिहा देने का पूरा तरीका इस तरह है !
फातिहा (इसाले सवाब ) का मुकम्मल सुन्नी तरीका
सबसे पहले दूरुद-शरीफ पढ़े फिर
सूरह काफ़िरून – Surah Kafeerun – (एक बार पढ़े )
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*कुल या अय्युहल काफ़िरून*ला अबदु मा ता अबुदन*वला अन्तुम आबिदु न मा आबुद*वला अना आ बिदुम मा अबत्ततुम*वला अन्तुम आबिदु न मा आ बू दू * ल कुम दिनु कुम व लिय दीन* |
सूरए इख़्लास – Surah Ikhlaas – (तीन बार पढ़े )
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*कुल हुवल्लाहु अहद *अल्लाहुस्समद *लम यलिद व् लम यूलद * वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद* |
सूरए फ़लक़ – Surah Falaq (एक बार पढ़े )
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*कुल अऊजू बि रब्बिल फ़लक़*मिन शर्रि मा खलक *वमिन शर्रि ग़ासिक़ीन इज़ा वकब * व् मिन शर्रिन नफ्फा साति फ़िल उक़द * व् मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद * |
सूरए नास – Surah Naas (एक बार पढ़े )
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*कुल अऊजू बि रब्बिन नासि *मलिकिन नासि *इला हिन्नासि *मिन श र्रि ल वस् वासिल खन्ना सिल्लज़ी युवस विसु फी सुदु रिन्नासी मिनल जिन्नति वन्नास * |
सूरए फ़ातिहा – Surah Fatiha (एक बार पढ़े )
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*अल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन *! अर्रहमा निर्रहीम *! मालिकि यौमिद्दीन *! इय्याका न अ बु दु व इय्याका नस्तईन *! इह दिनस सिरातल मुस्तक़ीमा *! सिरातल लज़ीना अन अम्ता अलै हिम गैरिल मगदूबी अलै हिम वलद्दाल्लीन *(आमीन ) |
सूरए बक़रह – Surah Baqrah
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*अलीफ लाम मीम ज़ालिकल किताबु ला रै बफ़ीह*! हुदल लिल मुत्तकीनल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता व् मिम्मा रज़कनाहुम् युनफिकुन *! वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा उन्ज़िला मिन क़ब्लिक * व बिल आख़िरति हुम् युकिनून *! उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून *! |
व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद *! लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम *! इन् न रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन*! वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन *! मा का ना मुहम्मदुन अबा अ हदिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि व खात मन नबीय्यीन व कानल्लाहु *! बिकुल्लि शैइन अलीमा *! इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *! या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *! |
( जो भी हाजिरीन फातिहा में हाजिर है सभी दुरुद शरीफ पढ़े ) (एक बार पढ़े )
दुरुद शरीफ – Durud Sharif |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व बारिक व सल्लिम *सलातंव व सलामन अलैका या रसूलुल्लाह * सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज़्ज़ति अम्मा यसीफ़ून * व सलामुन अलल मुरसलीन * वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन |
* *
अगर वक़्त की पाबन्दी नहीं हो तो आप दरूद-ए-ताज़ भी पढ़ सकते हो ! दरूद ए ताज़ इस तरह है !
दरूद ए ताज – |
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम् |
अल्लाहूम्म सल्लि अला सय्यिदिना वमौलाना मु-हम्मदिन् साहिबित्ताजि वल् मेअरजि वल् बुराकि वल्अ-लम् 0 दाफिइल् बलाई वल् वबाइ वल कहति वल् मरजि वल अ-लम् 0 इसमुहू मक़तूबुन् मरफ़ूऊन् मशफूऊन् मन्कूशुन् फिल्लौहि वल् क-लम् 0 सय्यिदिल् अ-रबि वल् अ-जम् 0 जिसमुहू मु- कद्दसुन् अत्तरुन मु-तह्हरुन मु -नव्वरुन फ़िल् बैति वल् ह-रम् 0 शम्सिज़्ज़ुहा बदरिद्दुजा सदरिल् उला नूरिल् हुदा कहफिल् वरा मिसबाहिज़्ज़ु-लम् 0 जमीलिश्शि-यम् शफीअिल् उ-मम् 0 साहिबिल् जूदि वल्-करम् 0 वल्लाहु आसिमुहू 0 वजिब्रीलु खादिमुह 0 वलबुराकु मऱकबुह 0 वल् मेअराजु स-फरुहू वसिद-रतुल् मुन् तहा मक़ामुहू 0 वका-ब क़ोसैनि मतलुबुह 0 वल् मतलुबु मक़सूदुहू वल्-मक़सूदु मोज़ुदुह् 0 सय्यिदिल् मुर-सलीन् 0 ख़ातिमिन्नबिय्यी-न शफीअिल् मुज़निबीन् 0 अनीसिल् ग़रीबीन रह-म-तल्लिल् आ-लमीन् 0 रा-हतिल् आशिकीन् 0 मुरादिल् मुशूताक़ीन् 0 शम्सिल् आरिफ़िन 0 सिराजिस्सालिक़ीन 0 मिस्बाहिल् मु-क़र्रबीन् 0 मुहिब्बिल् फु-कराइ वल्-मसाक़ीन् 0 सय्यिदिस्सक़लैनि नबिय्यिल् ह-रमैन् 0 इमामिल् किब-लतैन 0 वसीलतिना फिद्दारैन् 0 साहिबि का-ब कौसेन् 0 मह्रबूबि रब्बिल् मशरिकैनि वल् मग़रिबैनि 0 जद्दिल् ह-सनि वल्हुसैन् 0 मौलाना वमौ-लस्स-क़लैन् 0 अबिल क़ासिमि मुहम्म दिब्नि अब्दिल्लाहि 0 नूरिम्मिन् नूरिल्लाहि 0 या अय्यु -हल् मुशताकू-न बिनूरि जमालिही *बलग़ल उला बे कमालेही*कशफद्दुजा बे जमालेही*हसनत जमिऊ खिसालेही*सल्लु अलैही व आलेही* सल्लू अलैहि वआलिही व अस्हाबिही व-सल्लिमू तसलीमा 0 |
बख़्शने का तरीका (इसाले सवाब का तरीका ) – Fatiha Dene Ka Tarika –
ए अल्लाह मैंने तेरा कलमा पढ़ा ! और जो कुछ यह तबर्रुक हाजिर है ! इसे अपनी बारगाह में कुबूल फरमा ! इसमें जो कुछ गलतियां हो ! अपने फज़्लों करम से माफ फरमा ! और इनका सवाब हम सबके आका वह मौला हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की बारगाह में बतोरे नजराना पेश करते हैं ! कुबूल फरमा !
फिर हुजूर के सदके व तुफैल में जुमलाअंबिया इकराम अलेही मुस्सलाम की आरवाहे तैयिबात को हदयतन तोहफतन पेश फरमा ! फिर हुजूर के सदके में व अंबिया किराम के वसीले से जुमला सहाबए किराम व अजवाज़े मुतअहरात ताबिईन व तबए ताबिईन व जुमला ओलीयाए किराम व बुजुर्गाने दीन रिजवानुउल्लाहि तअला अलेहिम अजमईन की अरवाहे तय्येबात को इसका सवाब अता फरमा !
शदाने कर्बला को इसका सवाब पहुंचा , हज़रत आदम से लेकर अब तक तमाम अम्बिया औलिया नबी रसूल सहाबा अहले बैत तमाम उम्मत वलियो को जो तेरी बारगाहे रेहमत में आ चुके है उनको इसका सवाब आता कर ! फिर इन बुजुर्गाने दीन के वसीले से तमाम मोमिनीन मुमिनात की रूहो को इसका सवाब अता फरमा !
बिल ख़ुसुस . . . . . . . . . . . . . . . . को इसका सवाब अता फरमा !
नोट – बिल ख़ुसुस के बाद जिसके नाम की फातिहा हो उसका नाम ले !
इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *! या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *!
अब फिर से दुरूद शरीफ पढ़े ! और लाइलाहा इलल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह पढ़िए इस तरह फातिहा मुकम्मल हो गयी !
फुरसत हो तो ये भी जरूर पढ़िए –
आईए जान लेते है फातिहा या इसाले सवाब से रेलेटेड और भी कई सारी बाते ! जो आपको जानना जरुरी हे !
मेने गूगल पर कई लोगो के ये सवाल देखे ! तो फिर मेने ये पोस्ट बनायी ! लोगो के सवाल इस तरह थे
- इसाले सवाब किस तरह किया जाता है ?
- फातिहा करने का तरीका क्या है ?
- कब्रिस्तान में फातिहा कैसे पढ़े ?
- कब्र पर फ़तिहा कैसे पढ़े ?
- फातिहा में कौन कौन सी सूरत पढ़ी जाती है ?
- कब्र पर फातिहा पढ़ने की दुआ ?
- मुहर्रम में फातिहा ?
- गौसे पाक की नियाज़ ?
मेरे प्यारे दोस्तों इस पोस्ट में आपको इन्शाहअल्लाह इन सब सवालो के जवाब मिल जायेंगे !
Fatiha Dene Ka Tarika –
मेरे प्यारे अज़ीज़ो घर में कोई भी इवेंट हो , या किसी मरहूम के लिए फातिहा ख्वानी रखी हो फातिहा देने का एक ही तरिका है ! जो इस पोस्ट में मिलेगा !
फातिहा ख्वानी ख़ुशी के मौके पर भी की जाती है ! और ग़म के मौके पर भी की जाती है ! ख़ुशी के मौके पर अल्लाह करीम का शुक्र करने की नियत से की जाती है !
और ग़म के मौके पर सब्र करने की नियत से की जाती है ! दोनों सूरतो में फातिहा देने के बाद अल्लाह से दुआ की जाती है ! की अल्लाह हमें सब्र दे ! खुशिया दे ! और हमारे बड़े बुड़े जो इस दुनिया से जा चुके है ! उनको राहत दे ! उनके दरजात में बुलंदी अता फरमाए !
कई लोगो का ये भी सवाल है की फातिहा में क्या पढ़ा जाता है ?
तो मेरे प्यारो फातिहा का दूसरा नाम इसाले सवाब है ! फातिहा में क़ुरआन की आयते पढ़ी जाती है ! नबीये करीम पर दुरूद ए पाक का नज़राना भेजा जाता है !
दुसरा सवाल है की फातिहा क्यों पढ़ी जाती है ?
तो इसका जवाब ये है की फातिहा ख्वानी जरिये मरहूम को इसाले सवाब किया जाता है ! अब जो मर गया उसने दुनिये में जो अमल किये ! उसका हिसाब किताब मरने के बाद होगा ! , मगर मरहूम के लिए इसाले सवाब करने के लिए जब क़ुरान की आयते पढ़ी जाती है !
नबीये करीम पर दुरुद पढ़ा जाता है ! और मरहूम के लिए दुआ की जाती है ! तो अल्लाह करीम अपने फ़ज़ल से मरहूम को कब्र के अज़ाब से छुटकारा देता है ! और अल्लाह करीम चाहे तो मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमा दे ! मतलब अल्लाह करीम चाहे तो मरहूम के सारे गुनाह मुआफ फ़रमा दे ! और मरहूम को जन्नत आता फ़रमादे !
दोस्तों अब में आपको फातिहा देने का मुकम्मल सुन्नी तरीका बताने वाला हु ! लिहाज़ा पोस्ट पूरी पढ़े ! और अपने प्यारो को भी शेयर करे ! ताकि आपको भी सवाब मिले और उनको भी ! जब तक ज़िंदा है सवाब कमालो ! क्या पता कल हमारे लिए कोई फातिहा ख्वानी करे न करें ! पूरी पोस्ट जरूर पढ़े !
गौसे पाक की न्याज़ की फातिहा देने का तरीका
GhosePak Ki Nyaz Ki Fatiha Dene Ka Tarika – अगर आप हुजूर ग़ौसे पाक की न्याज़ करवा रहे है ! तो फातिहा का तरीका का तो वही रहेगा बस इसले सवाब करते वक़्त बिल ख़ुसूस के बाद हुजूर ग़ौसे पाक का नाम ले !
Mazar Par Fatiha Dene Ka Tarika – अगर किसी मज़ार पर फातिहा दे रहे हो तो बिल ख़ुसूस के बाद साहिबे मज़ार का नाम ले !
Qabr Par Fatiha Dene Ka Tarika – इसी तरह अगर कब्रिस्तान में फातिहा दे रहे है तो बिल ख़ुसूस के बाद साहिबे कबर का नाम ले !
Marhoom Ke Liye Fatiha Dene Ka Tarika – बढे बूढ़ो की फातिहा ख्वानी में बिल ख़ुसूस के बाद बढे बूढ़ो को इसका सवाब अत फ़रमा ! इस तरह से आप फातिहा दे सकते है और अपने बढे बूढ़ो अपने रिश्तेदार अपने दोस्त अपने मां-बाप अपने सभी करीबी मिलने वालो को इसाले सवाब कर सकते हो
अबमें आपको बता देता हु की फातिहा ख्वानी में जो सूरह फातिहा के बाद सूरह पढ़ी जाती है वो क़ुरान की किस-किस सूरह से ली गयी है !
फातिहा ख्वानी में पढ़ी जाने वाली आयतें
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम |
*अलीफ लाम मीम ज़ालिकाल किताबु ला रै बफ़ीह*! हुंदल लिल मुत्तकीनल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता व् मिम्मा रजकनाहुम् युनफिकुन *! वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा उन्ज़िला मिन क़ब्लिक * व बिल आख़िरति हुम् युकिनून *! उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून *! |
व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद *! लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम *! (Ayat- 163) |
सूरह अअराफ की आयत – (सूरह 7 ,आयत – 56 ) , पारा – 8 |
इन् न रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन |
सूरह अम्बिया की आयत – (सूरह 21, आयत- 107) , पारा – 17 |
वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन * |
सूरह अहज़ाब की आयते – (सूरह 33, आयत-40,56) , पारा – 22 |
मा का ना मुहम्मदुन अबा अ हदिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि व खात मन नबीय्यीन व कानल्लाहु *! बिकुल्लि शैइन अलीमा *! (Ayat-40) |
इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *! या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *! (Ayat- 56) |
इन्शाहअल्लाह सवाब की नियत ये भी पढ़े – दुआ ए गंजुल अर्श पढ़ने के बेशुमार फायदे