Home गौसे आज़म हुज़ूर ग़ौसे पाक की कुछ करामतें

हुज़ूर ग़ौसे पाक की कुछ करामतें

karamate gause azam:-आप हुज़ूर ग़ौसे पाक की बचपन की कुछ करामतें – 

1. जब आप मां के पेट में ही थे तो एक साइल ने आकर सदा लगाई ! उस बदबख्त ने जब देखा कि औरत अकेली है ! तो अंदर घुसा चला आया !उसी वक़्त ग़ैब से एक शेर नमूदार हुआ ! और उस खबीस को  चीर-फाड़ कर गायब हो गया

महफिले औलिया,सफह 211

2. जिस साल आप पैदा हुए तो पूरे जीलान में 1100 बच्चे पैदा हुए और सब लड़के ही थे और सब के सब अल्लाह के वली हुए

हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 59

3. जब आपकी दूध पीने की उम्र थी तो अक्सर आप दाई की गोद से गायब हो जाते ! और फिर कुछ देर बाद आ भी जाया करते !

जब आप कुछ बड़े हुए तो एक दिन आपकी दाई ने पूछा कि बेटा अब्दुल क़ादिर ये बताओ जब तुम छोटे थे तो अक्सर मेरी गोद से गायब हो जाते थे !

आखिर तुम जाते कहां थे,तो हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं ! कि दाई मां मैं आपसे खेलने की गर्ज़ से सूरज के पीछे छिप जाता था जब आप मुझे ढूंढती और ना पातीं तो फिर मैं खुद ही आ जाया करता !

तो वो फरमातीं हैं कि क्या अब भी आपका वही हाल है तब हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि नहीं नहीं वो तो मेरे बचपन और कमज़ोरी का आलम था ! अब तो हाल ये है कि उस जैसे हज़ारों सूरज अगर मुझमे समा जायें तो कोई ढूंढ़ने वाला उन्हें ढूंढ़ नहीं सकता कि कहां खो गये

हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 211

Karamate Gause Azam

4.  जब आप 4 साल के हुए तो आपकी वालिदा माजिदा ने बिस्मिल्लाह ख्वानी के लिए आपको मक़तब में भेजा जहां आपके उस्ताद ने फरमाया कि बेटा पढ़ो बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम तो आपने बिस्मिल्लाह से जो पढ़ना शुरू किया तो पूरे 18 पारा पढ़कर सुना दिये

उस्ताद ने हैरत से पूछा कि बेटा ये आपने कब और कहां से सीखा तो हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मेरी मां 18 पारों की हाफिज़ा हैं जिसे वो अक्सर विर्द किया करती हैं ! तो मैंने उनके पेट में रहते हुए सब सुनकर याद कर लिए

शाने ग़ौसे आज़म,सफह 15

रमजान का चांद – 

karamate gause azam- एक मर्तबा रमजान शरीफ़ के चांद के बारे में कुछ इख़्तिलाफ़ पैदा हो गया  ! बाज लोग कहते थे कि चांद हो गया बाज़ कहते थे नहीं हुआ !

हुजूर गोसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु की वालिदा ने इरशाद फ़रमाया कि मेरा यह बच्चा ( हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ) जब से पैदा हुआ है ! रमजान शरीफ़ के  दिनों में सारा दिन दूध नहीं पीता !

आज भी चूंकि अब्दुल कादिर (रजियल्लाहु अन्हु) ने दूध नहीं पिया ! इसलिये रात को वाक़ई चांद हो गया है ! चुनांचे फिर तहक़ीक़ करने पर यही साबित हुआ कि चांद हो गया !

( बहजलुल असरार, सफा 76 )

सय्यदना शैख अब्दुल क़ादिर जिलानी बगदादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु (गौस पाक) की करामात –

बारिश :-हुजूर गौसे आजम रजियल्लाहु तआला अनहु ( Ghous Pak ) एक मर्तबा वअ्ज (तकरीर) फरमा रहे थे ! कि बारिश होने लगी ! और लोग उठने लगे ! हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ने आसमान की तरफ़ मुंह किया और कहा में तेरे जिक्र के लिये लोगों को जमा कर रहा हूं ! और तू उन्हें मुन्तशिर कर रहा है !

इतना कहना ही था ! कि बारिश फोरन थम गयी ! और जल्सागाह के बाहर बदस्तूर जारी रही ! मगर जल्सागाह में बारिश बिल्कुल बंद हो गयी !  ( बहजतुल असरार, सफा 75  )

सबक : अल्लाह वालों की जो मर्जी हो वही मर्जी खुदा की भी होती है ! हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) की इतनी बडी शान है ! कि आपकी मर्जी क मुतअल्लिक अल्लाह तआला ने जल्सागाह के बाहर तो बारिश जारी रखी ! और जल्सागाह के अंदर बंद करके दिखा दिया ! कि मेरे मकबूल बंदों की मेरे यहां इतनी क़द्र है कि वह जो कुछ भी चाहें में वेसे ही कर देता हूं !

फायदा : इसी किताब के इसी सफा पर लिखा है कि बाज दीगेर बुजुर्गो को भी यह तर्जबा है ! कि वह भी किसी वक्त बारिश में घिर गये तो उन्होंने हुजूर गोसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) की ही करामत बयान की तो बारिश फोरन थम गयी !

Karamate Gause Azam – गौस पाक और दजला की तुग़यानी –

karamate gause azam:-एक दफा दरियाए दजला में सैलाब आ गया ! लोग घबराये हुए हुजूर गौसे आजम रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) के पास आये और आपसे इस्तिग़ासा करने लगे ! और मदद चाहने लगे !

हुजूर गौसे आजम रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Gous Pak ) ने अपना असाए (लाठी) मुबारक लिया ! और दरिया की तरफ़ चल पडे ! दरिया के किनारे पर पहुंचकर आपने पानी की असल हद तक वह असा गाड़ दिया ओंर फ़रमाया:

ऐ पानी ! बस यहीँ तक ! इतना फ़रमाना था ! कि पानी ने घटना शुरू कर दिया ! और उस असाए मुबारक तक आ गया !

( बहजतुल असरार, सफा 75 )

सबक : अल्लाह वालों की हुकूमत दरियाओं पर भी जारी रहती है ! एक हम भी है कि घर का परनाला भी हमारे बस में नहीँ रहता !

चील का सिर –

karamate gause azam – एक मर्तबा हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) वअज फरमा रहे थे ! कि ऊपर हवा में एक चील चीखने लगी !  बार-बार एक ही जगह चक्कर लगाने लगी !

हुजूर गोसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ने ऊपर देखा ओंर फ़रमाया: ऐ हवा ! उस चील का सिर पकड ले ! इतना फ़रमाया था कि वह चील तड़पती हुई नीचे आ गिरी ! और सिर उसका अलग जा गिरा !

फिर जब आप बअज़ फरमा चुके तो उस मुर्दा चील के पास तशरीफ़ लाये ! और उसका सिर और धड़ पकड कर इकट्ठा किया और फ़रमाया: बिस्मिल्लाहिर्रहमाननिर्रहीम ! इतना फरमाना था कि चील जिन्दा हो गयी ! और

हवा में उड गयी ! इस वाकिए को सारे मजमे ने देखा ! (बहजतुल-असरार सफा 65 )

सबक – हुजूर गौसे आजम रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) को अल्लाह तआला ने यह शान बख़्शी थी ! कि अल्लाह के इज़्न व अता से जिन्दो को मुर्दा ओंर मुर्दों को जिन्दा फरमा लिया करते थे !

हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु का इल्म 

karamate gause azam – एक मर्तबा हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) ने फरमाया अगर मेरी जुबान पर शरीअत की रोक न हो तो तुम अपने अपने घरों में जो-जो कुछ खाते और जो-जो कुछ जमा रखते हो में उन सबकी तुम्हें ख़बर दे दूं ! तुम सब मेरे सामने उन कांच की बोतलों की मानिंद हो जिनका बाहर भी नज़र आता है ! और जो कुछ उन बोतलों के अंदर है वह भी दिखाई देता है !

सबक-

हुजूर गौसे आज़म रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) का इल्म इस क़दर वसीअ था ! कि जाहिर व बातिन की कोई शय उनसे छुपी नहीं रही !

फिर अगर वह शख्स जो एक बोतल का जाहिर भी बगेर ऐनक के न देख सके ! यु अल्लाह वालों के इल्म पर एतराज करने लगे तो किस कद्र बेख़बर है !

यह भी मालूम हुआ कि हुजूर गोसे आजम रजियल्लाहु तआला अन्हु ( Ghous Pak ) का यह कमाले इल्म हुजूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुहब्बत व पैरवी की बदौलत है ! फिर जिस जात के गुलाम का इस कद्र वसीअ इल्म है ! तो खुद उस जाते गिरामी के उलूम की वुसअत का क्या आलम होगा ?

हुजूर ग़ौसे पाक का जीवन परिचय

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