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Mahe Shaban -( माहे शाबान में करने वाली इबादत पूरी जानकारी )

Mahe Shaban – रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इर्शाद है ! कि शअबान का महीना ( Mahe Shaban ) बहुन ही बर्कत वाला महीना है ! इस मुबारक महीने की ईबादत का बडा सवाब अल्लाह तआला देता है !

Mahe Shaban Mein Karne Wali Ibadat-

नफ़्ल नमाज़ : शाअबान ( Mahe Shaban ) की पहली, रात को इशा की नमाज़ के बाद ।2 रकअत छ: सलाम से पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 15-15 बार पडे ! सलाम फेरने के बाद 70 मर्तबा दरूद शरीफ़ पढकर ! अपने गुनाहों से तौबा करे ! इनशाअल्लाह तआला इस नमाज़ की बर्कत से अल्लाह पाक उसके गुनाहों को माफ करके जन्नत में दाखिल करेगा !

शअबान ( Mahe Shaban ) के पहले जुमा की रात को इशा की नमाज़ के बाद आठ रकअत नफ़्ल एक सलाम से पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर:इख़्लास 11-1। मर्तबा पढे ! ओर इस का सवाब खातूने जन्नत हज़रत फातिमा रजि0 को बख़्शे ! हज़रत फातिमा रजि0 फ़रमाती हैं ! कि मैं हर्गिज जन्नत में कदम न रखूँगी ! जब तक कि उस नमाज़ पढने वाले को अपने साथ जन्नत में न दाखिल कर लूँ ।

शअबान ( Mahe Shaban ) के पहले जुमा की रात को इशा की नमाज़ के बाद चार रकअत नफ़्ल एक सलाम से पढे ! ओर हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 33 बार पढे ! इस नमाज़ की बडी फ़जीलत है ! अल्लाह पाक की तरफ से उसे उसे का सवाब मिलेगा !

शअबान ( Mahe Shaban ) के पहले जुमे को मग़रिब की नमाज़ के बाद ओर इशा की नमाज़ से पहले दो रकअत नमाज़ अदा करे ! ओर हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद एक बार आयतल कुर्सी दस बार सूर: इख़्लास एक बार सूर: फ़-लक और एक बार सूर: नास पढनी चाहिये ! अल्लाह ने चाहा तो यह नमाज़ ईमान में बढोतरी करेंगी !

14 शअबान : शअबान ( Mahe Shaban ) की 14वीं तारीख को मग़रिब की नमाज़ के बाद दो रकअत नफ़्ल पढे ! हर रकअत मेँ सूर: फातिहा के बाद सूर: हसर की अन्तिम तीन आयतें एक-एक मर्तबा और सूर: इख़्लास तीन-तीन दफा पढे ! अल्लाह ने चाहा तो यह नमाज़ मग्फ़िरत के लिये बहुत अफ़ज़ल है !

माहे शाबान की 15वीं रात में करने वाली इबादत

शबे कद्र : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फरमाया : “शअबान ( Mahe Shaban ) की 15वी रात की इबादत बहुत अफजल है ! आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी फरमाया : इस रात में अल्लाह अपने पाक बन्दो के लिये अपनी रहमतों के बेशुमार दरवाजे खोल देता है ! और फ़रमाता है कि कौन है जो आज की रात मुझ से माफी माँगे ! और मैँ उसे जहन्नम के अजाब से नजात देकर उसको माफ कर दूँ ! आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि इस रात की ईबादत करने वाले पर दोजख की आग अल्लाह पाक हराम का देता है !

शअबान ( Mahe Shaban ) की 15वीं रात को गुस्ल करे ! अगर किसी बीमारी के सबब ग़ुस्ल न कर सके तो केवल वुजू ही करके दो रकअत तहिय्यतुल वूजु पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद आयतुत् कुर्सी एक बार, सूर: इख़्लास तीन-तीन बार पढे ! यह नमाज़ बहुत ही अफजल है !

शअबान ( Mahe Shaban ) की 15वी रात को दो रकअत नमाज़ पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद आयतत् कुर्सी एक बार, सूर: इख़्लास 15-15 बार सलाम फेरने के बाद दुरूद शरीफ़ एक सौ मर्तबा पढकर रोजी में बर्कत ओर कुशादगी के लिये दुआ करे ! तो अल्लाह पाक इस नमाज़ की वजह से उसकी रोजी में कुशादगी अता करेगा !

Mahe Shaban KI Namaz

( Mahe Shaban ) 15वीं रात को आठ रकअत नफ़्ल चार सलाम से पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: कद्र एक-एक बार । सूर: इख़्लास 25 मर्तबा पढे ! गुनाह की माफी के लिये यह नमाज़ अफजल हैं ! अल्लाह ने चाहा तो इस नमाज़ के पढने वाले की बख़्शिश हो जायेगी !

शअबान ( Mahe Shaban ) की 15वीं रात को आठ रकअत नमाज़ दो सलाम से पढे ! हर रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: इख़्लास 10-10 मर्तबा पढे ! तो अल्लाह पाक इस नमाज़ के पढने वाले दो लिये बेशुमार फरिश्ते मुकर्रर कर देगा ! जो उसे कब्र के अजाब से नजात ओर जन्नत में दाखिल होने की खुश ख़बरी ( शुभसूचना) देंगे !

15वीं रात में 14 रकअत नमाज़ 7 सलाम से पढे ! हर रकअत मेँ सूर: फातिहा के बाद सूर: काफिरून एक बार, सूर: इख़्लास एक बार, सूर: फलक एक बार और सूर: नास एक बार पढे ! सलाम फेरने के बाद आयतल कुर्सी एक बार और सूर: तौब: की अन्तिम आयत “लकद जाअकूम” से “अजीम” तक एक बार पढे ! दीनी और दुनियावी दुआ के कुबूल होने के लिये यह नमाज़ बहुत अफजल है।

( Mahe Shaban ) 15वीं की रात मग़रिब की नमाज़ के बाद छ: रकअत तीन सलाम से पढे ! पहली मर्तबा लम्बी उम्र की नियत से, दूसरी बार बला दूर होने , तीसरी बार मुहताज न होने की नियत से पढे ! हर दो रकअत के बाद सूर: यासीन एक बार, या सूर: इख़्लास 21 बार पढे ! और इसके बाद आधे शअबान की यह दुआ ( दुआ निस्फ़ शअबान ) पढे :

15 शअबान की नफ़्ल नमाज़

नफ़्ल नमाज़ – 15 शअबान : शअबान ( Mahe Shaban ) की 15 तारीख को ज़ुहर की नमाज़ के बाद चार रकअत मेँ सूर: फानिहा के बाद सूर: जिलजाल एक बार, सूर: इख़्लास दस बार और दूसरी रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: तकासुर एक बार, सूर: इख़्लास दस बार ! तीसरी रकअत में सूर: फातिहा के बाद सूर: काफिरुन तीन बार और सूर: इख़्लास दस बारा चौथी रकअत में सूर: फातिहा के बाद आयतत् कुर्सी तीन बार और सूर: इख़्लास 25 बार पढे !

इस नमाज़ की बडी फ़जीलत आयी है ! अल्लाह इस नमाज़ के पढने वाले पर कियामत के दिन रहमत की नज़र फरमायेगा ! और इस नमाज़ की बर्कत से दीन-दुनिया की भलाई हासिल होगीं !

इस रात में कुरआन शरीफ़, दरूदशरीफ़, सलाते तस्वीह ओर वजीफे पढे ! हज़रत अली रजियल्लाहु फ़रमाते हैँ कि जो शबे कद्र में इशा की नमाज़ के बाद सात मर्तबा सूर: कद्र पढे ! तो हर मुसीबत से नजात मिले ! और एक हजार फ़रिश्ते उसके लिये ज़न्नत की दुआ करते हैं !

शबे कद्र की दुआ : अल्लाहुम्म इन्न-क अफुव्वुन् कऱीमुन् तुहिब्बुल् अ फ़ -व फ़अफु अन्नी, या ग़फूरू, या ग़फूरू , या ग़फूरू !

Mahe Shaban Mein – तस्बीह की नमाज़ की फ़जीलत :

हदीस शरीफ में आया है कि जो शख्स इस नमाज़ को पढेगा ! तो उसके अगले पिछले, जाहिर-पोशीदा, नये-पुराने, छोटे-बड़े तमाम गुनाह माफ़ कर दिये जायेंगे ! यह नमाज़ ज़वाल के बाद और जुहर से पहले अदा करनी चाहिये ! दूसरे वक़्त (समय ) में भी अदा कर सकता है ! चाहे तो रोजाना या सप्ताह में या साल में एक बार वरना पूरी उम्र (आयु) में कम से कम एक मर्तबा जरूर पढे !

पढने का तरीका : चार रकअत नफ़्ल सलाते तस्बीह की नियत से बाँधे ! फिर पहले सना पूरी पड़े ! फिर 15 मर्तबा सुब्हा-नल्लाहि वल-हम्दु लिल्लाहि वलाइलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अक-बरू

अगर इसके साथ “व लाहौ-ल वला क़ुव्व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अजीमि” पढे तो और अधिक सवाब मिलेगा ! फिर सूर: फातिहा और दूसरे कोई सूरत पढे ! फिर दस बार रुकू में दस बार कोमा में, फिर दस बार सज्दा में दस बा जलसा में दस बार पहले सज्दा में दस बार दूसरी सजदा में पढे ! इसी तरह चारों रकअतें पढें ! यह याद . रहे कि शुरू में किरात से पहले 15 मर्तबा पढे ! फिर 10-10 मर्तबा पढे ! (मिश्कात शामी , आलमगीरी)

पहली रकअत में सूर: तकासुर, दूसरी में सूर: अस्र, तीसरी में सूर: काफिरून, चौथी में सूर: इख़्लास पढे (गा-यतुल औतार ) अगर किसी को यह भी सूरतें न याद हो तो जो याद हों उसे पढे !

Mahe Shaban Ka Wazifa

वज़ीफ़े : शअबान ( Mahe Shaban ) के महीने में रोजाना हर नमाज़ के बाद इस दुआ को पढना गुनाह की मग्फ़िरत के लिये बहुत अफज़ल है !

अस्तगफिरुल्ला -ह ल अजी-मल्लजी लाइला-ह इल्ला हुवलहय्युल् क़य्यूम इलैहि तौब-तु अब्दिन् ज़ालिमिन् ला यम्लिकु नफ़-सहू र्जरव्वला नफ़-अन् वला मौ-तन् वला हया-तन् वला नूशू-रन् +

रसूले अकरम सल्लल्ताहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैँ कि शाबान ( Mahe Shaban ) के महीने में जो कोई तीन हजार मर्तबा इस दुरुद शरीफ को पढकर मुझे बख़्शेगा तो हशर के दिन उसकी शफाअत करनी मुझ पर वाजिब हो जायेगी !

शअबान ( Mahe Shaban ) की 14वीं तारीख को अस्र की नमाज़ के बाद से सूरज डूबने तक बा वुजू चालीस मर्तबा ये कलिमात पढे !

ला हौ-ल वला कुव्व-त इल्ला बिल्लाहिल् अलिय्यि ल अजीमि

अल्लाह पाक इस दुआ के पढने वाले के चालीस साल (वर्ष) के गुनाह माफ कर देगा !

15वीं रात को सूर: बक़र: का आखरी अन्तिम रुकू “आमनर्रसूलु ” से “काफिरून “” तक 21 मर्तबा पढना अमन, चैन और जानमाल की हिफाजत के लिये बेहतरीन अमल है !

15वीं रात में सूर: यासीन तीन मर्तबा पढने से कई फाइदे होते हैं !

रोजी में तरक्की , उम्र में ज्यादती , अचानक बलाओँ और आफ़तों से हिफाज़त !

शअबान ( Mahe Shaban ) की 15वीं रात में सूर: दुखान सात मर्तबा पढनी बहुत अफ़ज़ल है ! इनशाअल्लाह तआला इस के पढने वाले की दुनिया की सत्तर और आखिरत की सत्तर जरूरते पूरी फरमा देगा !

Mahe Shaban Ka Roza-

नफ़्ली रोजा : शअबान ( Mahe Shaban ) की 15वीं रात के रोज़े की बडी फ़जीलत है ! जो कोई यह रोज़ा रखेगा ! तो अल्लाह पाक उसके पचास साल के गुनाह माफ़ कर देगा !

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