मसाइलो फ़ज़ाइल रमज़ानुल मुबारक
( मफ़हूमे क़ुरआन व हदीस )
1. इसी महीने (माहे रमज़ान ) में क़ुरआन मजीद नाज़िल किया गया !( सूरह बक्रह )
2. रोजे का मक़सद तक़वा पैदा करना है (सूरह बक्रह)
3. रमजान का महीना (माहे रमज़ान ) रहमतो बरकत का महीना है !
4. हर मुसलमान पर माहे रमजान के रोजे फर्ज हें !
5. मजनून और नाबालिग पर रोजा फर्ज नहीं है।
6. जन्नत में एक दरवाजा है जिसे रय्यान कहते हैं ! इसमें सिर्फ रोज़ेदार ही दाख़िल होंगे ( बुखारी व मुस्लिम )
7. सुबह सादिक से गुरूब आफताब तक खाने पीने , और जिमाअ से परहेज किया जाये ( सूरह बक्रह )
8. माहे रमज़ान के रोज़े की नियत सुबह सादिक् से पहले. कर लेनी चाहिय। (अबू दाऊद)
9. फरमाते है हुजूर सलल्लल्लाहो अलैहि वसलल्लमः – रमजान में उमरा मेरे साथ हज के बराबर है ( बुखारी )
10. सुबह सादिक् से कुछ देर पहले सहरी खानी चाहिये ! सहरी खाने में बरकत है ! (बुखारी व मुस्लिम)
11रोज़ेदार को लड़ाई झगड़े, गाली गलौज और बेहूदा कामों से बचना जूरूरी है ! (बुखारी वं मुस्लिम)