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ibnul arabi – हज़रत इब्ने अरबी रहमतुल्लाह अलैह बारे में जानकारी

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ibnul arabi
ibnul arabi

दोस्तों आज हम जानेंगे Ertugrul Ghazi में दिखाए गए मशहूर किरदार हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) के बारे में ! आपको पता होगा internet पर youtube पर सब जगह एक सीरियल जिसका नाम Ertugrul Ghazi है ! ये सीरियल तेज़ी के साथ पूरी दुनिया में देखा और पसंद किया जा रहा है ! !

Hazrat Ibnul arabi रहमतुल्लाह अलैह Ertugrul Ghazi के पीरो मुर्शिद थे  ! दोस्तों आपने  ibnul arabi का किरदार उस ड्रामे में देखा होगा !

वैसे तो Ertugrul Ghazi ड्रामे में बहोत से अहम किरदार हैं ! लेकिन आज हम Hazrat Ibnul arabi रहमतुल्लाह अलैह के बारे में जानेंगे – 

हज़रत इब्नुल अरबी रहमतुल्लाह अलैह का पूरा नाम शेखे अकबर मुहीउद्दीन अबू बक़र इब्ने अरबी रहमतुल्लाह अलैह है ! आपकी पैदाइश 560 हिजरी 17 रमज़ान पीर के दिन स्पेन के एक शहर जिसका नाम मर्सिया था वहाँ पर हुई !

जब आप 8 साल के हुवे तो इल्म हासिल करने के लिये आपको अशबेलिया भेजा गया ! जहाँ आपने हदीस शरीफ और दिनी तालीम हासिल की ! हज़रत इब्ने अरबी का असली नाम मोहम्मद था ! आपका नसब हातिम ताई से मिलता है ! आपके वालिद का इसमें गिरामी हज़रत अली बिन मोहम्मद अल हातिमी था !

ibnul arabi – हज़रत इब्ने अरबी रहमतुल्लाह अलैह बारे में जानकारी

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) एक नेक बुज़ुर्ग थे ! हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह की पैदाइश के बारे में बताया गया है की ! आपके वालिद मोहतरम हज़रत अली बिन मोहम्मद अब्दुल्लाह को कोई औलाद नहीं थी !

आप हज़रत सय्यदना ग़ौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह के ख़ास मुरीद थे ! वो सय्यदना ग़ौसे पाक की बारगाह में हमेशा जाते ! और उनसे अपना हाल बयान करते ! एक दिन हज़रत अली बिन मोहम्मद अब्दुल्लाह ने हुज़ूर ग़ौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह से अर्ज़ किया की ! हुज़ूर आप दुआ कर दीजिए की अल्लाह मुझे एक औलाद अता कर दे !

हुज़ूर सय्य्दना ग़ौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया ऐ अब्दुल्लाह तुम्हारे नसीब में औलाद नहीं है ! तुम अगर चाहो तो मेरी औलाद जो मेरे सल्ब में है ! उसे ले सकते हो !

उसके बाद हज़रत सय्यदना ग़ौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत इब्नुल अरबी के वालिद के पुश्त से अपनी पुश्त मुबारक को लगाकर ! उन्हें अपने ख़ास इनाम से नवाज़ा ! और उसके एक साल बाद हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह की पैदाइश हुई ! (सुब्हान अल्लाह)

हज़रत इब्ने अरबी रहमतुल्लाह अलैह

स्पेन के शहर मर्सिया में पीर के दिन 17 रमज़ान 560 हिजरी को हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह इस दुनिया में तशरीफ़ लाए !

कुछ वक़्त के बाद इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह के वालिद उन्हें ग़ौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में लेकर हाज़िर हुवे ! हुज़ूर सय्य्दना ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) को अपनी गोद में लिया ! और उन्हें अपनी फैज़ से मालामाल कर दिया !

एक रिवायत के मुताबिक़ हुज़ूर सय्य्दना ग़ौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह ने ही आपका नाम रखा था ! असल में इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) कहलाने की एक वजह ये भी है ! जहाँ आपने इल्म हासिल किये वहाँ अरबी पर ज़्यादा तवज्जोह दी जाती थी ! हज़रत इब्नुल अरबी अपने इल्म की बदौलत एक तबीब भी थे ! हर मर्ज़ का बेहतरीन इलाज जानते थे !

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) के पास उस वक़्त बड़े बड़े बादशाह आते ! और अपनी परेशानी बयान करते ! और आप उन्हें उस परेशानी से निजात भी दिला देते ! अल्लाह ने आपको वो बुलंदी बख्शी ! जिसकी वजह से आप उस वक़्त बेहतरीन आलिम और हक़ीम थे !

कुछ वक़्त के बाद आप उस वक़्त के सभी बुज़ुर्ग और सूफी से फैज़ हासिल कर चुके थे ! आप अल्लाह की याद में हमेशा मशगुल रहने लगे ! उसके बाद आपने 38 साल की उम्र में अशबेलिया को छोड़ दिया ! और आपने मिश्र की तरफ अपना सफर तय किया !

ibnul arabi

मिश्र आकर आपने उलूम हासिल किया ! कुछ रिवायतों के मुताबिक़ मिश्र बग़दाद शाम होते हुवे मक्का शरीफ पहुंचे ! मक्का मुक़र्रमा में आपने लम्बे वक़्त तक क़याम किया ! और वहाँ अल्लाह की इबादत करते रहे !

और 608 हिजरी में आप वापस बग़दाद आए ! इस तरह से आप हमेशा सफर किया करते थे ! आप सफर में जहाँ जाते ! वहाँ लोगों को नेकी की राह पर चलने की नसीहत करते ! और उन्हें सही रास्ता दिखाते !

आपके पास बड़ी तादाद में लोग तालीम हासिल करने आते ! हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) खुश अख़लाक़ बुज़ुर्ग थे ! आपके पास उस वक़्त बड़े बड़े सूफी और औलिया अदब और इल्म हासिल करने आते थे !

हज़रत इब्नुल अरबी की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है ! आप इबादत रियाज़त और ज़ोहदो तक़वा में बेमिसाल शख्सियत थे ! आप हमेशा लोगो को नसीहत किया करते थे ! उन्हें उनके असल मक़सद की याद दिलाते की अल्लाह ने तुम्हे दुनिया में अपनी इबादत और लोगो की भलाई के लिए भेजा है !

उनकी बारगाह में जो भी आता ! बुरे कामों से तौबा कर लेता ! आपने बहोत सी किताबे भी लिखी हैं आपके अक़वाल और हिदायतें लोगो के लिए एक बेहतरीन तोहफा है ! जिससे वो अपनी दुनिया और आख़िरत सवार सकते हैं ! क्यों की आप शरीअत और तरीक़त के मुताबिक़ अपनी ज़िन्दगी गुज़ारा करते थे !

हज़रत इब्ने अरबी रहमतुल्लाह अलैह

आपकी तस्वीर दुनिया की बहोत सी Library में आज भी मौजूद है ! हज़रत इब्नुल अरबी बड़े बड़े मसअले को आसानी से हल कर देते थे !

627 हिजरी का वाक़्या Hazrat Ibnul Arabi दमिश्क में मौजूद थे ! आपने प्यारे आक़ा मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की ज़्यारत की ! अल्लाह के प्यारे नबी ने आपको बहोत से खूबियों से नवाज़ा !

आपके मुरीद जिनका नाम शेख सदरुद्दीन था ! वो फरमाते हैं की हमारे पीर इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) अगर किसी का हाल मालूम करना चाहते ! तो उस की तरफ बस नज़र डालते और उसका पूरा हाल बयान कर देते !

हज़रत इब्नुल अरबी और हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) की पैदाइश 560 हिजरी में हुई ! और हुज़ूर ग़ौस पाक की वफ़ात 561 हिजरी में हुई ! इस बात से ये पता चलता है की आप हुज़ूर ग़ौस पाक से मुरीद नहीं थे ! आपका सिलसिला नसब दो तरफ से है ! एक हुज़ूर ग़ौस पाक रहमतुल्लाह अलैह से और दूसरा हज़रत सय्यदना अब्दुल फ़तेह मोहम्मद क़ासिम रहमतुल्लाह अलैह से मिलता है

इसके अलावा सबसे दिलचस्प बात ये है की हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) को खिर्क़ा हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम से भी पहुंचा ! इसकी कई रिवायते मिलती है ! और कई मुलाक़ात आपकी खिज्र अलैहिस्सलाम से हुई !

पहला खिर्क़ा आपको 601 हिजरी में हज़रत अबुल हसन बिन अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के दस्ते मुबारक से हासिल हुवा ! हज़रत अबुल हसन रहमतुल्लाह अलैह को ये खिर्क़ा जिस तरह पहनाया गया था !

आपने उसी तरह से हज़रत इब्नुल अरबी को ये खिर्क़ा मुबारक अता कर दिया ! और दूसरा खिर्क़ा आपको हज़रत शेख तक़िउद्दीन रहमतुल्लाह अलैह से हासिल हुवा ! और इन्हे ये खिर्क़ा हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम ने अता किया था ! तीसरी और सबसे अहम वजह ये है की आप पहले खिर्क़े के क़ाएल नहीं थे !

Hazrat Ibnul Arabi Aur Hazrat Khijra A.S

लेकिन जब आपने हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम को मक्काह शरीफ में दरवेशो की खिर्क़ा पोषी करते देखा उसी वक़्त हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम ने अपने मुबारक हाथों से फिर खिर्क़ा अता फ़रमाया

इसके बाद हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह ने अपने मुरीदों और खुलफ़ा हज़रात को खिर्क़ा शरीफ अता करना शुरू कर दिया इसके अलावा और कई रिवायते और वाक़्यात हैं जिनमे आप की और Hazrat Khizra (A.S) की मुलाक़ात साबित होती है !

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह के बारे में ये बताना ज़रूरी है हज़रत इब्ने अरबी ( ibnul arabi ) ख़्वाबों की अहमियत पर ज़्यादा तवज्जोह देते थे ! आपके ख्वाब भी आम लोगों की तरह नहीं होती थी ! जिसमे सिर्फ दुनिया की मोहब्बत हो ! बल्कि आपकी ख्वाब अल्लाह और उसके रसूल की याद में होती थी !

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह अपनी ख्वाब में दुनियावी हालात भी मालूम कर लिया करते थे की जिसकी मदद से आप लोगो की परेशानियों को दूर कर देते थे ! सुब्हान अल्लाह !

हज़रत इब्ने अरबी ने सबसे अच्छा ख्वाब ये बताया ! जिसमे अल्लाह के प्यारे नबी ने आपको किताब लिखने की इजाज़त दी ! एक बार हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) की हज़रत सहाबुद्दीन सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह से मुलाक़ात हुई !

ibnul arabi

दोनों हज़रात ने एक दूसरे को देखा ! लेकिन कुछ बाते नहीं की इस मुलाक़ात के बारे में किसी ने हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) से पुछा की हज़रत सहाबुद्दीन सोहरवर्दी के बारे में आप क्या राय रखते हैं !

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) ने कहा सहाबुद्दीन सोहरवर्दी ऐसे बुज़ुर्ग हैं ! जो सर से पाँव तक सुन्नते नबवी में मशऊल हैं ! किसी ने शेख सहाबुद्दीन से इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह के बारे में पुछा ! तो उन्होंने जवाब दिया की इब्नुल अरबी हक़ीक़त के समुन्दर हैं !

हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह को अल्लाह के प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से बेहद मोहब्बत थी ! आप फरमाते है ! ऐसी कोई हदीस नहीं बची ! जिसके बारे में मैंने अल्लाह के नबी की बारगाह में हाज़िर होकर ना पूछी हो ! सुब्हान अल्लाह इस बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं ! की हज़रत इब्नुल अरबी का कितना बुलंद मक़ाम और मर्तबा था !

हज़रत इब्नुल अरबी ने फ़रमाया मैं जो कुछ भी अपनी मजलिसों में बयान करता हूँ ! और जो कुछ भी लिखा है वो सब कुछ क़ुरआन पाक से लिखा है ! क्यों की मुझे अल्लाह की तरफ से क़ुरआन शरीफ के ख़ज़ाने की चाभी अता हुई है !

जब बादशाह ने हज़रत इब्नुल अरबी को सूली पर चढ़ाने का इरादा किया

इस तरह एक बार उस वक़्त के बादशाह ने किसी के बहकावे में आकर इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) को बुलवाया ! और कहा मै तुम्हे सूली पर चढ़ाऊंगा !  तुम्हे क़त्ल करूँगा ! ये बात सुनकर हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) मुस्कुराए ! और फरमाने लगे !

ये सर सूली पर नहीं चढ़ाया जा सकता है ! आपने फ़रमाया अगर तुम मेरा सर काटोगे ! तो इस शहर में सभी के सर कटे हुवे मिलेंगे ! अगर तुम्हे यक़ीन नहीं तो मेरी एक उंगली की नाखून काट कर तो देखो !

जब बादशाह ने आपकी नाखून काटी ! तो शहर के सभी लोगों की नाखून कटी हुई मिली ! वो बादशाह डर गया ! और फ़ौरन उसने माफ़ी मांग ली ! अल्लाहु अकबर !

दोस्तों इसी तरह आपने अपनी ज़िन्दगी में बहोत सी करामाते दिखाई है ! और लोगो को गुमराही से बचा कर सही रास्ता दिखाया है ! जो कोई भी अपनी ज़िन्दगी अल्लाह की राह में डाल देता है ! अल्लाह उसे इसी तरह से बुलंदी बख्शता है ! और उन्हें दुनिया का सबसे ताक़तवर इंसान बना देता है ! अल्लाह वालों की यही शान होती है ! की वो अल्लाह की दी हुई ताक़त से लोगो को सही रास्ता दिखाया करते हैं !

दोस्तों इस वक़्त जो ड्रामा पूरी दुनिया पसंद किया जा रहा है ! जिसका नाम Ertugrul Ghazi है ! जिसमे हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) का क़िरदार दिखाया गया है ! जिसे देखकर कुछ लोगों ने इस क़िरदार के बारे में अपनी अलग-अलग राय देनी शुरू कर दी !

ibnul arabi

लेकिन उन लोगों ने हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह के हिक़ायत या उनकी किताबें नहीं पढ़ीं ! आप एक सूफी थे ! उस वक़्त के कई बड़े बड़े सूफी दरवेशों ने आपसे तालीम हासिल किया है ! आपके फैज़ से लाखों करोड़ों लोगों की ज़िन्दगी बदली है ! हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह उसके बाद वापस दमिश्क़ पहुंचे ! और लोगो को तालीम देते ! आप दमिश्क़ में ही विशाल फरमा गए !

23 रबीउल आखिर 638 हिजरी जुमा की रात आपने विशाल फ़रमाया ! आपके मज़ार शरीफ के बारे में बताया जाता है ! की आपके मज़ार को कई साल तक आम लोगों से छुपा दिया गया था ! क्यों की कुछ लोग हज़रत इब्नुल अरबी ( ibnul arabi ) रहमतुल्लाह अलैह के दुश्मन बन गए थे !

सिर्फ ख़ास लोग जो आपके साथ रहा करते थे ! उन्हें ही मज़ार शरीफ का पता मालूम था ! फिर कई सालों बाद सुल्तान सलीम मलिक ने आपका मज़ार खूबसूरत तरीके से तामीर करवाया ! आपका मज़ार दमिश्क़ के एक पहाड़ पर है. (Ibnul Arabi History In Hindi)