Shab e Meraj History in Hindi ( शब-ए-मेराज )

Shab e meraj history in hindi- हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने अर्श पर बुलाया ! आसमानों की सैर कराई ! बैतुल्लाह से बैतुल मुक़द्दस तक रातों रात सफ़र कराया ! और अपने बेशुमार मज़ाहिरे क़ुदरत का मुशाहदा कराया ! इसी मेराज (shab e meraj) मे पांच वक़्तों की नमाज तोहफे के तौर पर अता की गई !

उस सफ़र में क्या कुछ पेश आया ! उसकी मरहलावार कहानी –

Shab e meraj history in hindi

हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बेअसत ( वही नाजिल होने ) का बारह साल का अर्सा गुज़र चुका था !

बातिल ( ग़लत, इस्लाम दुश्मन ताकतें ) अपना तमाम हरबा इस्तेमाल कर चुका था ! हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हर वार को सहते रहे थे ! यहां तक कि अब वह वक्त आ गया था कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जिस ख़ालिक़ व मालिक की नुमाइंदगी करते हुए अब तक इस क़दर मुसीबतें बरदाश्त की, वह आप हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को अपने दरबार में बुलाकर एज़ाज़ व इकराम से नवाज़े ।

शब-ए-मेराज सफ़र की इब्तिदा –

रजब के महीने की सत्ताइसवीं रात (shab e meraj) पीर के दिन आप हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सर पर मेराज का वह ताज रखा गया ! जिसने पूरी इंसानी तारीख़ मे अंबियाए किराम समेत न अब तक किसी का सर मुज़य्यन हूआ था, न आपके बाद होगा !

उस रात (shab e meraj) आप हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने बारगाहे ईलाही में हाजिरी और हमकलामी समेत सातो आसमानो की सैर की ! और अजाएबे कुदरत और हकाएके इलाहिया का अपनों आखों से मुशाहदा फरमाया ! इस सफ़र को इब्तिदा से इंतिहा और फिर उसके असरात इस तरह ज़ाहिर हुए !

आप हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हरमे काबह में सौ रहे थे कि हजरत जिब्रईल अलैहिस्सलाम हाजिर हुए और आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को उठाया ! .

कुछ सोते कुछ जागते आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को मस्जिदे हराम (काबह शरीफ़) में, हतीम में खानए काबह से बिल्कुल मिलाकर ज़मजम के कुएं से करीब लिटा दिया गया ! अब आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मुकम्मल तौर पर बेदार थे ! और तमाम हालात का मुशाहदा फरमा रहे थे !

आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का सीनए मुबारक चाक किया गया ! आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का क़ल्बे मुबारक निकाल कर जमजम के पानी से धोया गया ! फिर सीनए मुबारक में ईमान व हिकमत और नूर भर दिया गया और फिर क़ल्बे अतहर को उसके अस्ली मक़ाम पर रख कर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का सीना दुरुस्त कर दिया गया !

शब-ए-मेराज में हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सवारी

आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सामने एक सफेद जानवर लाया गया ! जो कि (ऊंचाई में) गधे से कुछ बड़ा और खच्चर से छोटा था ! जिसका नाम बुराक था। आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को उस जानवर पर सवार कर दिया गया, इस बुराक का हर कदम अपनी हद्दे निगाह पर पड़ता था ! और इसी बर्क़ रफ्तारी की वजह से उसको “बुराक’ ‘ कहा जाता है ।

क़ासिद ( जिब्रील अलैहिस्सलाम और मकसूद ( सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ) दोनो बुराक पर सवार हैं ! उनका गुज़र एक ऐसी ज़मीन पर ! हूआ जहां खजूर के दरख़्त बहूत थे ! इस ज़मीन पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने दो रकअत नफ़्ल पढी ! जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने बताया यही मदीने की ज़मीन है ! जहां आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हिज़रत करके आएंगे !

उन दोनो सवारों की अगली मंजिल तूरे सीना थी । यहां भी आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने शजरे तूर ( तूर पहाड़ का वह पेड़ जहां हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह की तजल्ली देखी थी ) के पास नमाज़ पढी ! जिब्रईल ने बताया कि यह वह मकाम है जहां अल्लाह तबारक व तआला हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से हमकलाम हूए !

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम व जिब्रईल अलैहिस्सलाम की तीसरी मंजिल “बैतुल्लहम ” थी, यहां भी आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने दो रकअत नफ़्ल पढी ! हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने बताया कि यह वह मकाम है जहां हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हूई !

माहे रजब की सस्ताइस्वी शब और पीर की रात ने बैतुल मुक़द्दस को अपनी आगोश में ले रखा था ! लाेग ख़्वाबे ग़फ़लत में मदहोश थे ! शहर की गहमा गहमी तारीकी में डूबी हुई थी ! चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था ! लेकिन मस्जिदे अकसा के अन्दरूनी व बाहरी हिस्से निहायत खूबसूरत और पुरवक़ार चेहरे वाले बुजुर्गो से भरे हुए थे !

सफर-ए-मेराज से पहले – मस्जिदे अक़्सा में इमामत

यह सब बुजुर्ग सफ़े बांधे किसी के इन्तिज़ार में थे ! इसी असना में फज़ा की तारीक पेहनाइयों से एक अजीब व ग़रीब सवारी उतरती हुई नज़र आती है ! जिसपर मुनव्वर सूरतों वाले दो सवार मौजूद हैं !

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम और जिब्रईल अमीन अलैहिस्सलाम सवारी से उतर कर मस्जिदे अक्सा मे दाखिल हुए ! नमाज़ियों की सफ़े तय्यार थी ! हा इमाम की जगह खाली थी ! लोग मुंतज़िर हैँ कि इमाम आगे बढे और नमाज़ शरू हो ! इतने में बुराक़ पर आने वाले दो सवारों में से एक के साथी ने उनका हाथ पकड़ा आगे बढ़ाया और कहा – या मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम नमाज़ पढ़ाइए !

मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इमामुल अंबिया हैं ! शूरू से लेकर अब तक आने वाले तमाम अंबिया मुक़्तदी है ! मस्जिदे अक्सा को यह शरफ़ हासिल है कि अंबियाए किराम को इज्तिमाअ इस स्ररज़मीन पर हुआ ओर यहां वह नमाज़ पढ़ी गई जो अज़ल से अबद तक इमाम और मुक्तदी क लिहाज़ से अपनी नौइयात की सबसे अनोखी नमाज़ है

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की अम्बिया इकराम से मुलाक़ात

नमाज़ कै बाद इमामुल अंब्रिया हजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने तमाम अंबिया अलैहिमुस्सलाम से मुलाकात को और अंबिया ने अपने अल्लाह तआला की हम्द व सना बयान की।

अंबिया बने इस मजमे से हज़रत इब्राहीम ख़लीलुल्लाह अलैहिस्लाम ने ख़िताब करते हुए फ़रमाया तमाम तारीफ अल्लाह के लिए हैँ जिसने मुझे ख़लील बनाया और मुझको मुल्के अज़ीम अता फ़रमाया !

और मुझको आतिशे नमरूद ( नमरूद की आग जिसमें हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम डाले गए थे ) से नजात दी और उसे मेरे लिए ख़ुन्क और सलामती का जरीया बनाया !

hazrat musa se kalaam

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया ” ‘तमाम तारीफ़े” अल्लाह के लिए हैं जिसने मुझसे कलाम किया ! मुझको बरगुज़ीदा बनाया मुझ पर तौरेत नाजिल फरमाई ! और फिरऔन को हलाकत और बनी इस्राईल की नजात मेरे हाथ पर ज़ाहिर फ़रमाई !

हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया, तमाम तारीफे अल्लाह के, लिए हैं जिसने मुझको मुल्के अज़ीम अता फ़रमाया ! और मुझे ज़बूर का इल्म नसीब फरमाया ! और मैरे लिए लोहे को नर्म किया ! ओर मेरे लिए पहाड़ो और परिन्दो को मुसख़्ख़र किया कि वह मेरे साथ तसबीह करते है !

हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तमाम तारीफे अल्लाह के लिए हैं जिसने मैरे लिए वहां को मुसख़्ख़र किया ! और शैतानों काे भी मुसख़्ख़र किया कि जो चीज़ मै चाहता था वह बनाते थे ! ओर मुझको परिन्दो की बोली का इल्म दिया ! और मेरे लिए शयातीन और इंसान और जिन्न के

लश्करों को मुसख़्ख़र किया ! और मुझको ऐसी सल्लनत बख़्शी कि मैरे बाद किसी के लिए शयाने शान न होगी !

तमाम हम्दे उस खुदाए बुजुर्ग व बरतर के लिए जिसने मुझको अपना कलिमा बनाया ! ओर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तरह बना दिया ! ओर मुझको हिकमत, तौरेत और इंजील का इल्म दिया और मुझको ऐसा बनाया कि मैं मिट्टी से परिन्दे की शक्ल का कालब बनाकर उसमें फूंक मारता तो वह अल्लाह के हुक्म से परिन्दा बन जाता ! और मुझको बनाया कि मै अल्लाह के हुक्म से मादरज़ाद अंधे को आंख वाला और कोढ़ी को अच्छा कर देता था ! मुझको पाक किया और मुझे और मेरी वालिदा को शैतान से पनाह दी !

शब-ए-मेराज – फिर आखिर में हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया:

“आप सबने अपने रब की सना की ! अब मैं भी अपने रब की हम्द व सना करता हूँ । तमाम तारीफे अल्लाह तआला के लिए हैं जिसने मुझको रहमतुल लिल आलमीन और तमाम आलम के लिए बशीर व नज़ीर बनाकर भेजा ! मुझपर फुरक़ान यानी कुरआन मजीद नाज़िल किया ! जिसमें हर अम्र का बयान है ! और मेरी उम्मत को बेहतरीन उम्मत बनाया कि लोगों के फाएदे के लिए पैदा किया ! और मेरी उम्मत को उम्मते अदलिया बनाया और मेरी उम्मत को ऐसा बनाया कि वह अव्वल भी है और आख़िर भी है !

जब आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम और जिब्रईंल अमीन ( अलैहिस्सलाम ) मस्जिद से बाहर निकले तो जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने एक प्याला दूध का और एक प्याला शराब का आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सामने रखा ! आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने दूध वाले प्याले को मुंतख़ब फ़रमाया ! जिब्रईल अमीन फ़रमाए आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़ितरत को इख्तियार फ़रमाया !

मस्जिदे अक्सा से निकलते वक़्त जन्नत से एक सीढ़ी लाई गई ! उस सीढ़ी के ज़रीए आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पहले आसमान पर पहुंचे ! फिर वह सीढ़ी आसमान पर रखी गई तो आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम दूसरे आसमान पर पहुचे ! और इसी तरह दर्जा ब दर्जा सातवें आसमान पर !

सातो आसमान की सैर

पहले आसमान पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल अबुल बशर हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) ने किया ! हज़रत आदम के दाहिनी तरफ़ कुछ सूरते थी जिम्हें देखते तो मुस्कुराते और बाई तरफ़ कुछ सूरतें थी जिम्हें देखते तो रोते थे !

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने जिब्रईल अमीन अलैहिस्सलाम से उसके बारे में पूछा तो उन्होनें अर्ज किया कि दाई जानिब वाली सूरतें जन्नतियाे की हैं ! और बाईं जानिब वाली दोज़खियाे की !

मेराज के ज़रिए आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम दूसरे आसमान पर पहुंचे यहाँ आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल हज़रत यहया अलैहिस्सलाम और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने किया !

तीसरे आसमान पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम ने किया ! चौथे आसमान पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम ने किया !

पांचवें आसमान पर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल हजरत हारून अलैहिस्सलाम ने किया !

छठे आसमान पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने किया ! सातवें आसमान पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल एक ऐसी शख़्सियत ने किया जाे शक्ल व सूरत में आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इस्तिक़बाल से मुशाबेह थी! यह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम थे

सातवें आसमान पर एक अजीमुश्शान महल देखा जिसे बैतुल मअमूर कहा जाता है ! यह फ़रिश्तो’ का क़अबह है ! रोजाना सत्तर हज़ार फ़रिश्तेइसका तवाफ़ करते है ! और क़यामत तक किसी फ़रिश्ते को दोबारा तवाफ करने की नौबत नहीं आएगी !

meraj ka safar – laa maqaam – सिदरतुल मुन्तहा

इन मराहिल से गुज़र कर हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम उस जगह पहुचे जहाँ ! तमाम मख़्लूक़ का इल्म ख़त्म हो जाता है ! वह जगह खालिक और उसकी मख़्लूक़ के दरमियान हद्दे फ़ासिल की हैसियत रखती है ! इस जगह को सिदरतुल मुन्तहा (Sidrat-al muntaha) के नाम से याद किया जाता हैं ! इसरो आगे क्या है ? इसका इल्म अल्लाह को है ! या फिर अल्लाह जिसे अपनी मर्जी से इसका इल्म दे !

सिदरतुल मुन्तहा की जड़ से चार नहरें निकल रही हैं ! दो नहरें जाहिरी और दो बातिनी ! बातिनी नहरें तस्लीम’ और सलसबील ” हैं ! जो जन्नत में गिरती है !और जाहिरी नहुरें ‘नील और फुरात हैं ! जो ज़मीन पर गिरती है !

इस मौके पर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने देखा कि कुछ सुनहरे परो वाले नन्हे परिंदे आते हैं ! और परवाने की तरह ‘सिदरह’ ‘ पर निसार होते है !

sidrat-al-muntaha kya hai –

” ‘सिदरतुलमुन्तहा ” वह जगह है जहा से एक कदम भी आगे बढ़े तो जिब्रईल अलैहिस्सलाम के पर जलने लगते है ! जिबईल अमीन बेबस खड़े हैं ! और मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को बहूत आगे जाना है ! मगर साथ चलने वाला तो ज़रा भी आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं रखता ! जिब्रईंल अमीन ने आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की तरफ़ देखते हुए अर्ज की ! या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अब आगे आपका और आपके रब का मामला है ! मेरा मकाम यही है ! इस से आगे मैं नहीं जा सकता !

अब आपसल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम खुद आगे बढ़े ! यह वह जगह हैं जहां किसी के तसव्वुर ने भी क़दम नहीं रखा ! उसके आगे जो कुछ हुआ उसका बखूबी इल्म महबूबे किब्रिया और ख़ालिके दो जहां को ही है !

एक ऊंची और हमवार सतह पर पहुंचे तो सामने अल्लाह के जलाल की बारगाह थी ! हमकलामी का शरफ़ बख़्शा गया ! और जो कुछ इर्शाद हूआ उनमे से चन्द यह है !

Shab e meraj ka tohfa

हर रोज पचास नमाजे फर्ज की गई !
सूरए बकरह की आख़िरी दो आयतें तालीम फ़रमाई गई !
शिर्क के सिवा तमाम गुनाहों की बख़्शिश का इम्कान ज़ाहिर किया गया !
इर्शाद हुआ कि जाे शख्स नेकी का इरादा करता है उसके हक़ में एक नेकी का सवाब लिख दिया जाता है ! ओऱ जब उस अमल पर नेकी कर लेता है तो दस नेकियों का सवाब मिलता हैं ! मगर जो बुराई का इरादा करता है उसके खिलाफ़ कुछ नही लिखा जाता और जब वह उसपर अमल कर लेता है तो एक ही बुराई लिखी जाती है !
जब आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम बारगाहे इलाही से वापस लौटे ता हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुईं ! उन्हींने बनी इस्राइल के तजरिबे का हवाला देते हुए नमाज़ी की तादाद कम करने की दरख़्वास्त की ! और इस तरह धीरे-धीरे पांच नमाज़े एक दिन में फ़र्ज़ हुई !

शब-ए-मेराज – सफर की वापसी पर नमाज़

फिर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मेराज के ज़रिए मस्जिदे अक़्सा तशरीफ़ लाए वहाँ फिर से तमाम अबियएं किराम अलेहिमुस्सलाम मौजूद थे सफ़े आरास्ता थी ! आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने नमाज़ पढाई जाे गालिबन फ़ज़्र की नमाज़ थी !

फिर बुर्राक़ पर सवार होकर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मक्कए मुअज़्ज़मा पहुंच गए !

इस स्रफ़रे मेराज (shab e meraj) में आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अजाएबे कुदरत का मुशाहदा किया ! कुछ वाकेआत आसमान पर जाने से क़ब्ल और कुछ बाद के हैं !

इस सफ़र के दौरान एक जगह किसी ने पुकार कर कहा, इधर आओ ” लेकिन हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने कोई तवज्जोह न दी ! जिब्रईल अमीन अलैहिस्सलाम ने बताया यह आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को यहूदियत की तरफ़ बुला रहा था !

दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई “इधर आओ” लेकिन आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फिर कोई तवज्जोह न दी ! जिब्रईल अमीन अलैहिस्सलाम ने बताया यह आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल को ईसाइयत की तरफ बुला रहा था !

एक औरत बहुत बनी सबरी नज़र आई ! उसने आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को अपनी तरफ़ बुलाया ! आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उससे भी नज़र फेर ली ! जिब्रईल अमीन अलैहिस्सलाम ने बताया यह दुनिया थी।

एक बूढ़ी औरत सामने आईं ! जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने कहा दुनिया की बाकी उम्र का अंदाजा औरत की उम्र से कर लीजिए !

meraj ka safar – अच्छे और बुरे आमाल की जज़ा

इस सफ़र (shab e meraj) में आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को नेक आमाल की जज़ा और बुरे आमाल की सजा काे तमसील के ज़रिए दिखाया गया !

कुछ लाेग खोती काट रहे हैं मगर जितनी काटते जाते वह उतनी ही बढ़ती जाती हैं ! पूछा यह लोग कौन हैं ? कहा यह अल्लाह की राह में जिहाद ने करने वाले हैं !

कुछ लाेग जिनके सर पत्थरो’ से कुचले जा रहे है ! पूछा यह लोग कौन हैं ? अर्ज़ किया गया यह वह लोग है ! जिनके सर नमाज़ के लिए रब के आगे नहीं झुकते !

कुछ लोग देखे जिनकेकपडो मे आगे पीछे पेवन्द लगे थे ! और वह जानवरो की तरह घास चर रहे धे ! पूछा यह लोग कौन है ? बताया गया, यह लोग वह हैं जो अपने माल में से जकात खैरात कुछ नहीं देते थे !

एक शख़्स को देखा कि लकडियों का गठ्ठा जमा करके उसे उठाने की कोशिश करता हैं ! और जब वह नहीं उठता तो उसमें कुछ और लकडियां बढा लेता है ! पूछा यह अहमक कौन है ? जवाब दिया गया, यह वह शख़्स है ! जिसपर अमानतों का और जिम्मेदारियों का इतना बोझ था कि उठा न सकता था ! मगर यह उनको कम करने के बजाए और ज्यादा करता चला जा रहा है !

कुछ लोगी की ज़बाने और हाेट केची से कतरे जा रहे थे ! पूछा यह कौन है ? अर्ज किया गया, यह गैर जिम्मेदार मुक़र्रिर है ! जो बेतकल्लुफ ज़बान चलाते और फितना बरपा करते थे !

जुबां दराज़ी का नतीज़ा –

एक जगह और आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने देखा कि एक पत्थर मे ज़रा सा शिगाफ़ हुआ और उसमे से एक बड़ा मोटा बैल निकल आया ! फिर वह बैल उसी शिगाफ़ में वापस जाने की कोशिश करने लगा मगर न जा सका ! पूछा यह मामला क्या है ? कहा गया यह डस शख्स की मिसाल है जो गैर जिम्मेदारी के साथ एक फितना पैदा करने वाली बात कर जाता है ! फिर नादिम होकर उसे वापस लेना चाहता है ! मगर यह नहीं कर पाता !

कुछ लोग अपना गोश्त काट काट का खा रहे थे ! पूछा यह कौन हैं ? कहा गया यह दूसरो पर जुबान दराजी और ताना करते थे !

कुछ लोग थे जिनके नाखुन तांबे के थे ! और वह अपना मुंह और सीना नोच रहे थे , पूछा यह कौन हैं ? जवाब में अर्ज़ किया गया ! यह वह हैँ जो लोगों के पीठ पीछे उनकी बुराइयां करते थे ! और उनकी इज़्ज़त पर हमले किया करते थे !

कुछ लोग जिनके होंट ऊंट की तरह थे ! और वह आग खा रहे थे ! पूछा यह कौन हैं ? कहा गया यह यतीमों का माल हज़्म कर जाते थे !

सूद ( ब्याज) खाने वालो का अंजाम

कुछ लोग थे जिनके पेट बहुत ज्यादा बडे और सांपों से भरे थे ! आने जाने वाले उनको रौंदते हुए गुज़र जात थे ! मगर वह अपनी जगह से हिल नहीं सकते थे ! पूछा यह कौन हैं ? अर्ज किया गया सूद खाने वाले हैं !

कुछ लोग थे जिनके एक तरफ़ अच्छा गोश्त रखा हुआ था ! और दूसरी जानिब सड़ा हुआ गोश्त रखा हुआ था जिससे सख्त बदबू आ रही थी ! वह अच्छा गोश्त छोड़कर सडा गोश्त खा रहे थे ! पूछा यह कौन हैं ? कहा गया, यह वह मर्द और औरतें हैं जिन्हों ने हलाल बीवियों और शौहरों के होते हुए हराम से अपंनी ख़्वाहिशे नफ़्स पूरी की !

इस सफ़र में वाक़ेआत, हक़ाएक़, शरफ़े हमकलामी और दीदारे इलाही से मुशर्रफ़ होने के बाद फिर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम उम्मे हानी रजियल्लाहु अन्हा के घर तशरीफ़ ले आए ! इस सफ़र की पूरी रूदाद उम्मे हानी रजियल्लाहु अन्हा को सुनाई ! जिन्हे तअज्जुब की वज़ह से सक्ता हो गया !

हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने घर से बाहर निकलने के लिए कदम बढाए तो उम्मे हानी रजियल्लाहू अन्हा ने आपकी चादर पकड़ ली ! और कहा – या मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के वास्ते यह किस्सा लोगों को मत सुनाइएगा वरना उन्हें’ मजाक उड़ाने का एक और मौका हाथ आजाएगा ! आपने फ़रमाया, मैं ज़रूर यह वाक़ेआ बयान करूगा ! और बाहर तशरीफ़ ले गए !

shab e meraj – meraj ke safar ki tasdik – मेराज के सफर की तस्दीक

सुबह का वक्त था और धूप निकली हूई थी ! हरमे कअबह में क़ुफ़्फ़ार की महफिल लगी थी ! अबूजेहल भी मौजूद था ! आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को आते हुए देखकर दिल लगी के से अंदाज़ में कहा – “या मुहम्मद ( सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ) कोई ताजा ख़बर सुनाओ ?

आपसल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने रात ( shab e meraj ) की मुकम्मल रूदाद सुनादी ! फिर क्या था अबूजेहल के हाथ में एक शोशा आ गया और उसने लोगों को गुमराह करने की मुहिम शुरू कर दी !

अबू जेहल की सरकर्दगी में एक गिरोह हजरत अबू बक्र सिद्दीक रजियल्लाहु अन्हु के पास यह उम्मीद लेकर पहुंचा कि अगर अबू बक्र रजियल्लाहु अन्हु ने इस हैरतनाक वाक़ेए का इंकार कर दिया तो फिर ( खुदा न करें ) मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की कमर टुट जाएगी ! और इस्लाम दम तोड़ देगा !

गिरोह के एक शख़्स ने कहा कि ऐ अबू बक्र (रजियल्लाहु अन्हु) तुमने सुना ? तुम्हारे दोस्त मुहम्मद ( सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ) कहते हैं कि रात मुझे बैतुल मुक्रद्दस और तमाम आसमानों की सैर कराई. गई है !

अबू बक्र रजियल्लाहु अन्हु ने कहा – तुम अपनी तरफ से यह बात कह रहे हो या हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी ज़बाने मुबारक से फरमाई हैं ! सबने जवाब दिया, उन्होंने खुद कही है !

हज़रत अबू बक्र रजियल्लाहु अन्हु ने जवाब दिया- अगर मेरे आका सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने यह वाक़ेआ बयान किया है ! तो ज़रूर सच है ! इसमें तअज़्ज़ुब की कौन सी बात है ? मैं तो रोज़ सुनता हूँ ! कि उनके पास आसमान से पैगाम आते हैं ! और मैं इसकी तस्दीक़ करता हूँ !

इस तस्दीक़ पर हज़रत अबू बक्र रजियल्लाहु अन्हु को बारगाहे रिसालत मआब सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से “सिद्दीक” का लक़ब इनायत हुआ !

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