Shab e Barat Mubarak – शब-ए-बरात मुबारक
अल्लाह के प्यारे रसूल फ़रमाते हैं – शाबान मेंरा महीना है ! रजब अल्लाह का महीना हैं ! और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है ! शाबान गुनाहो को मिटाने वाला और रमज़ान पाक करने वाला महीना हैं !
हज़रत बीबी आइशा फ़रमाती हैं सरकार का सब से प्यारा महीना शाबान था ! आप इस महीने के रोज़ो को रमज़ान से मिला दिया करते थे ! नफ़्ली रोज़ो के वारे मे सरकार का फ़रमान है रमज़ान की ताज़ीम के लिए शाबान के रोजे रखना सब से अफ़ज़ल नफ़्ली रोज़ा है !
आक़ा फ़रमाते है शाबान की 15 वी रात ( Shab e Barat Mubarak ) में अल्लाह का मुनादी एलान करता है ! है कोई मग़फ़ेरत का तलबगार कि मै उसकी मग़फ़ेरत करुं ! है कोई मांगने वाला कि मै उसे अता करुं ।
हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहो अन्हो फ़रमाते हैँ- अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया शाबान की 15वी रात ( Shab e Barat Mubarak ) में मुशरिको और कीना रखने वालों के अलावा अल्लाह पाक दूसरों को बख़्श देता है !
शबे क़द्र के बाद सबसे अफ़ज़ल रात यही शबे बरात ( Shab e Barat Mubarak ) है !
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हज़रत मआज़ बिन जबल रदियल्लाहो अन्हो फ़रमाते हैं ! अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया शाबान की 15वी रात यानी शबे बरात ( Shab e Barat Mubarak ) हज़रत जिब्रार्हल अलैहिस्सलाम तशरीफ लाए और फ़रमाया
यह शाबान की 15र्वी रात यानी शबे बरात ( Shab e Barat Mubarak ) है!
इस रात में अल्लाह पाक बनी कलब की बकरियों के बाल की तादाद के बराबर गुनाहगारो को जहन्नम से आजाद फ़रमा देता हैं ! लेकिन काफिर, दुश्मनी रखने वाले, रिश्ता तोडते वाले, माँ बाप की नाफ़रमानी करने वाले और शराब पीने वालों पर रहम नहीँ फ़रमाता ! ऐसे लोगो की बख़्शिश नही होती !
Shab e Barat Mubarak
हजरत अनस रदियल्लाहो अन्हो का बयान है शाबान के दिनो में रोज़ा रखने का सवाब यह है कि उसके बदन पर दोज़ख़ की आग हराम हो जाती हैं !
ऐसे लोगो को जहन्नम की आग नही जला सकेगी – जो शाबान के महीने में रोज़ा रखते हैँ ! इस महीने की खास रात शबे बरात ( Shab e Barat Mubarak ) है ! जिस के बारे में बुजुर्गो का कहना हैं इस रात ( Shab e Barat Mubarak ) अल्लाह की खास रहमतें नाज़िल होती हैं !
रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं ! रहम व करम की बारिश होती है ! आइंदा साल होने वाले सारे काम व मामलात हर महकमे के जिम्मेदार फरिश्तों को सौप दिए जाते हैँ !
इस रात अल्लाह के हुक्म से हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम जन्नत में तशरीफ ले जा कर अल्लाह का यह हुक्म सुनाते हैँ – जन्नत सजा दी जाए ! और गुलामाने मुस्तफा के लिए खूब-खूब सजा दी जाए ! क्यों कि आज की रात अल्लाह पाक आसमान के सितारों, दुनिया के रात व दिन, पेडों की पत्तियों की तादाद के बराबर बन्दों को दोज़ख़ से आजाद फ़रमाएगा ! और वह आजाद हो कर यहीं आने वाले हैँ !
से इस रात का फैज हासिल करने का शौक़ व जज्बा रखने वालो के लिख लाज़िम है कि सब से पहले अपने गुनाहों से सच्ची तौबा करें !
अगर मॉ बाप नाराज़ हो तो उन्हें खुश किया जाए क्यों कि जब तक वह राज़ी नही होंगे, अल्लाह राज़ी जहीँ होगा ! किसी दीनी भाई से मन मुटाव हो गया हो, सलाम बन्द हो तो मेल-मिलाप कर के गलत फ़हमी दूर कर के इस्लामीरिश्ता बहाल किया जाए ! फिर अपने रब से रहम व करम और मग़फ़ेरत की भिंक मांगी जाए ! इस यकीन के साथ कि अल्लाह पाक ‘हमें भी इस के फैज से मालामाल फ़रमाएगा !
शब-ए-बरात मुबारक
अल्लाह पाक ने कुछ चीज़ो को कुछ चीज़ो पर फ़ज़ीलत बख़्शी हैं ! जैसे मदीना मुनौवरा दुनिया के सारे शहरो से अफ़ज़ल हैँ ! ज़मज़म शरीफ़ सारे पानियों से अफ़ज़ल है, मोमिन की हैसियत दूसरे आम इंसानो के मुकाबलों मे अफ़ज़ल है ! और हमारे प्यारे आक़ा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम सारे नबियों और रसूलों से अफ़ज़ल हैँ । इसी तरह जुमा का दिन और दूसरे दिनों से अफ़ज़ल है । रमजान का महीना साल के और दूसरे महीनो से अफ़ज़ल है औंर शबे बरात और दूसरी रातो से अफ़ज़ल है !
शाबान महीने की 15 वी रात को शबे बरात कहा जाता है । बरात का मतलब है बरी होना, आजाद होना ! चूंकि यह रात अपने गुनाहों से तौबा करके अल्लाह के फ़ज़्ल से जहन्नम के अजाब से आजाद होने की रात हैँ
इसलिए इसे शबे बरात कहा जाता है । इसे बरकत वाली रात, दोज़ख़ से नज़ात पाने वाली रात, रहमत वाली रात भी कहा जाता है !
इस रात की फज़ीलत बयान फ़रमाते हुए अल्लाह पाक ने सूरह दुख़ान में फ़रमाया – हम ने इसे एक बरकत वाली रात मे उतारा ! इस रात हर हिक्मत वाला काम बांट दिया जाता है !
और इस रात के वारे में उम्मुल मोमेनीन हज़रत बीबी आइशा स्रिद्दीका को बताते हुए अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया – अगले साल जितने भी पैदा होने वाले होते है ! वह इस रात लिख दिए जाते हैं ! और जितने लोग इस साल मरने वाले होते हैं ! वह भी इस रात लिख दिए जाते है ! और इस रात में लोगो के साल भर के आमाल उठा लिए जाते है ! और इसी रात साल भर की मुक़र्रर रोज़ी उतार दी जाती है !
Shab e Barat Mubarak
इस रात की फ़ज़ीलत के वारे में हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रदियल्लाहो अन्हो फ़रमाते हैँ ! मेरे आक़ा ने फ़रमाया अल्लाह पाक शाबान की 15र्वी रात यानी शबे बरात ( Shab e Barat Mubarak ) को अपनी रहमत से अपने बन्दों को बख़्श देता है ! लेकिन शिर्क करने वाले, अपने भाई से दुश्मनी रखने वालों को नहीं बख़्शता !
हज़रत अली शेरे खुदा फ़रमाते हैँ ! जब शाबान की 15र्वी रात यानी शबे बरात ( Shab e Barat Mubarak ) नसीब हो तो वह रात इबादत मे गुज़ारो ! नफ़्ल नमाज़े पढ़ो और दिन मे रोज़ा रखो !
इस रात तौबा करने बालों की तौबा कबूल की जाती है ! रोज़ी में बरकत की दुआ करने वालो की रोज़ी में बरकत अता की जाती है! बीमारों को शिफा दी जाती है !
इब्ने माजा – 444
एक बार शबे बरात की फ़ज़ीलत बयान फ़रमाते हुऐ अल्लाह के रसूल ने हज़रत बीबी आइशा से फ़रमाया ! इस रात ( Shab e Barat Mubarak ) बनी कलब की बकरियों के बाल के बराबर लोगो की मग़फ़ेरत फ़रमा देता है !
इब्ने माजा – 447
शब-ए-बरात मुबारक
हमारे प्यारे रसूल खुद इस रात जन्नतुल बक़ी तशरीफ़ ले जा कर इसाले सवाब फ़रमाते और वहां मदफ़ून मोमेनीन के लिए दुआएं मग़फ़ेरत फ़रमाते !
इसलिए इस रात क़ब्रस्तान जाना , फातेहा पढ़ना, ईसाले सवाब करना और दुआए मग़फ़ेरत करना सुन्नत हैँ ! हदीस शरीफ़ में हैँ जो आदमी 11 बार कुल हुवल्लाह शरीफ़ पढ़ कर उसका सवाब मुर्दो की रूहों को पहुंचाए तो मुर्दो को सवाब पहुंचने के साथ ही पढ़ने वाले को मुर्दो की तादाद के बराबर सवाब मिलेगा ।
दुर्रे मुख़्तार
हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खां नईमी रहमतुल्लाह अलैह लिखते हैँ जो आदमी इस रात बेरी के सात पत्ते पानी में उबाल कर उस पानी से नहाए तो इन्शा अल्लाह साल भर तक जादू टोने के असर से महफ़ूज़ रहेगा !
हमे चाहिए कि हज यह रात इबादत में गुजारे और अपने व सब के लिए बख़्शिश की दुआ मांगे ! और खुराफात से बचे ! औऱ दूसरे दिन रोज़ा रखे !
Shab e Barat Mubarak Quotes In Hindi
- अखबार तो रोज़ पढ़ते है
- टीवी तो रोज़ देखते है
- मोबाईल भी रोज़ चलाते है
- चलो एक रात इबादत करते है
- और उस रब को मनाते है
- शायद वो हमसे राज़ी हो जाए
शब-ए-बरात मुबारक – Shab e Barat Mubarak
- या अल्लाह मै तुझसे मांगता हूँ
- ऐसी माफ़ी जिसके बाद कोई गुनाह ना हो
- ऐसी सेहत जिसके बाद कोई बीमारी ना हो
- और ऐसी रज़ा जिसके बाद कोई नाराज़गी ना हो
Shab e Barat Mubarak
- या अल्लाह तूने मुझे यह खूबसूरत ज़िंदगी दी है
- और तूने ही मुझे ये मुबारक रात दी है
- तू ही मेरी इज़्ज़त आबरू और ईमान का मुहाफ़िज़ है
- और तुहि मेरी बाकि ज़िंदगी का भी मालिक है
- तू मुझ पर हमेशा अपना लुत्फ़ो करम बनाये रखना
शब-ए-बरात मुबारक – Shab e Barat Mubarak
- रहमतो की आयी है रात
- नमाज़ो को रखना साथ
- मनवा लेना रब से हर बात
- दुआ में रखना हमें भी याद
शब-ए-बरात मुबारक – Shab e Barat Mubarak
- यह खुशकिस्मती है हमारी
- कि रब ने हमें उस मुल्क में पैदा फ़रमाया
- की जिस मुल्क के वारे में हमारे नबी ने फ़रमाया है
- की मुझे हिन्द की तरफ से ठंडी हवा आती है
Shab e Barat Mubarak
- आज की शब रौशनी की जरुरत नहीं
- आज चाँद आसमान से मुस्कुराएगा
- तुम दुआ का सिलसिला ज़ारी रखना
- रहमतो का गुलिस्ताँ ज़मीं पर आएगा
शब-ए-बरात मुबारक – Shab e Barat Mubarak
Meri Vajah Se Apka Dil Dukha Ho Ya Koi Taklif Panhuchi Ho To Mujhe Muaaf Kare
शब-ए-बरात मुबारक –