रोज़ा इफ़तार करने की दुआ – Roza Iftar Karne Ki Dua Hindi Mein
मेरे प्यारे-प्यारे भाईयो और बहनो ! आमतौर पर रमज़ान मुबारक में रोज़ा इफ़तार से पहले रोज़ा इफ़तार की दुआ ( Roza Iftar Ki Dua ) पढ़ने का रिवाज़ है ! लेकिन याद रहे हमें हमेशा रोज़ा इफ़तार की दुआ ( Roza Iftar Ki Dua ) जो निचे दी गयी है ! उसे रोज़ा इफ़तार करने के बाद पढ़नी चाहिए ! रोज़ा इफ़तार करने में हमेशा जल्दी करनी चाहिए ! इसका मतलब ये है ! की रोज़ा इफ़तार से पहले ही दस्तरखान बिछा लिया जाए !
और सारी इफ़तारी सजा ली जाए ! फिर रोज़ा इफ़तारी के वक़्त का इंतज़ार किया जाए ! और रोज़ा इफ़तारी से पहले हमें खूब खूब दुआ मांगनी चाहिए ! उस वक़्त मांगी हुई दुआ खुदा ए पाक कभी रद्द नहीं करता ! और जब इफ़तारी का वक़्त हो जाए ! तब बिस्मिल्लाह पढ़कर रोज़ा इफ्तार करना चाहिए ! जब रोज़ा इफ़तार कर लिया जाए ! फिर रोज़ा इफ़तार की दुआ ( Roza Iftar Ki Dua )जो निचे दी गयी उसे पढ़ना चाहिए !
Roza Iftar Karne Ki Dua Hindi Mein

इफ़तार का बयान – Roza Iftar Ka Bayan
जब बन्दा दिन भर सब्र व जब्त का मुजाहेरा करके ! रोज़ा को मुक़म्मल करता है ! और मगरिब का वक्त आता है ! तो वह हलाल चीजें जो उसके लिए रोज़ा की हालत में हराम कर दी गई थीं ! अब फिर से हलाल हो जाती है ! और मौला का बंदों पर इतना एहसान होता है ! कि माहे रमज़ानुल मुबारक में अपने बन्दों का रिजक बढ़ा देता है !
इस माह में अमीर हों या गरीब सारे लोग इफ़तारी के लिए अच्छे से अच्छा एहतमाम करते हैं ! अब इफ़तार के तअल्लुक से चंद बांतें पेश की जाती हैं ! ताकि मजीद एहतेमाम के साथ इफ़तार करने ! और दूसरों को इफ़तार कराने का जज़्बा हमारे दिलों में पैदा हो ।
इफ़तार का माअना Roza Iftar Ka Matlab
लफ्ज इफ़तार या फितरतुन से बना है ! जिसका माना है आदत ! इस माअना के लिहाज से उसे इफ़तार इसलिए कहेंगे ! कि इफ़तार के बाद इंसान को उसकी आदत के मुताबिक खाने पीने ! और दीगर आमाल करने की इजाजत मिल जाती है ! जिन्हें वह हालते रोजा में नहीं कर सकता था !
या तो से बना है ! जिसका माअना है ! शिगाफ पड़ना , सुराख़ होना ! इस माअना के लिहाज से इफ़तार को ! इसलिए इफ़तार कहते है ! कि दो रोजों के दर्मियान के जरिये शिगाफ हो जाता है ।
इफ़तार के वक्त दुआ का एहतमाम- Roza Iftar ke Waqt Kya Kare
यह कभी आपने सोचा कि बंदा पांचों वक्त नमाज़ के बाद दुआ करता है ! जुम्अतुल मुबारक की नमाज़ और बड़ी रातों में दुआ करता है ! लेकिन दुआ की कबूलियत का जो यकीन आर एहतेमाम माहे रमज़ान शरीफ में इफतार के वक्त होता है वह किसी और वक्त नहीं होता ।
आप देखते होंगे कि एक रोज़ादार तिजारत की मंडी में अगर बैठा है ! तो वह इफ़तार से चंद मीनट पहले सय काम छोड़ कर निहायत ही खुशूअ और खुजूअ के साथ मस्रूफे दुआ हो जाता है । इसी तरह घरों में ख्वातीन और बच्चे ,मस्जिद में नमाजी और इमाम सबके सब दुआ में मशरूफ हो जाते हैं । आखिर वक्ते इफ़तार दुआ का इतना एहतेमाम क्यों किया जाता है ?
वजह जाहिर है ! कि सुबह सादिक से लेकर गुरूब आफताब तक खशिय्यते रब्बानी के तसव्वुर में डूब कर बन्दे ने अपने वजूद को तीन चीजों से रोके रखा है ! जो सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की रजा की खातिर और अल्लाह के खौफ की वजह से उसके एहकाम की बजा आवरी में बंदा इखलास के साथ यह वक़्त गुजारता है ! इसीलिए बंदे को पूरा यकीन होता है ! कि मैंने फरमांबरदारी में कोई कमी नहीं की ! तो अब इफ़तार के वक्त में जो भी दुआ अपने रब से करूगा ! मौला जरूर कुबूल फरमाएगा ।
जैसा कि हुजूर नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ! तीन आदिमियों की दुआ रद्द नहीं की जाती । रोज़ादार की इफ़तार के वक्त , आदिल बादशाह की और मजलूम की दुआ ।
( तिर्मिज़ी व इब्ने माज़ा )
इफ़तार और नबी करीम की सुन्नते मुबारका – Nabi Kareem Ke Roza Iftar Karne Ka Tarika
सुन्नत यह है कि इफ़तार में जल्दी की जाए यानी जूं ही इफ़तार का वक्त हो जाए ! बिला ताखीर इफ़तार कर ली जाए । एक हदीस में है कि नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया ! जब रात आए और दिल चला जाए ! और सूरज पूरे तोर पर छुप जाए ! तो अब रोज़ादार अपना रोजा इफ़तार करें ।
( बुखारी : जि . 1स . 262 )
एक और हदीस में है कि नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया । ” दीन उस वक्त तक गालिब रहेगा ! जब तक लोग इफ़तार में जल्दी करते रहेंगे ! क्योंकि यहूद व नसारा इफ़तार में ताखीर करते थे । ( अबू दाऊद स . 321 )
एक और हदीस में है ! कि रसूले . अकरम नूरे मुजस्सम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद । फरमाया : अल्लाह तआला फरमाता है ! कि मुझे अपने बन्दों में सबसे ज्यादा पसंद वह है ! जो इफ़तार में जल्दी करने वाला हो । ( तिर्मिजी : जि . 1 , सं . 150 )
इफ़तार की फजीलत -Roza Iftar Karne Ki Fazilat
हजरत शम्सुद्दीन दारानी कुद्दीसा सिरोहु फरमाते है ! कि मैं दिन को रोज़ा रखू ! और रात को हलाल लुकमा से इफ़तार करूं ! मुझे ज़्यादा महबूब है ! कि रात दिन नवाफिल पढ़ते गुजारूं ।
किस चीज से इफ़तार करें – Kis Chij Se Roza Iftar Kare
हजरत सलमान बिन आमिर रदियल्लाहो तआला अन्हुमा से रिवायत है ! कि रसुलुल्लाह सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : जब तुम में कोई रोजा इफ़तार करे ! तो खजूर या छुआरे से इफतार करे
( कि वह बरकत है ) और अगर न मिले तो पानी से कि वह पाक करने वाला है ।
( तिर्मिज़ी : 149 , इब्ने माजा , 123 )
साइन्स क्या कहती हैं । Roza Iftari In Scince
हकीम मुहम्मद तारिक महमूद चुगताई ” सुन्नते नववी और जदीद साइन्स ‘ में लिखते है : यूँकि दिन भर रोजे के बाद तवानाई कम हो जाती है ! इसलिए इफतारी ऐसी चीज़ से होनी चाहिए ! जो जूद हजम और मुक्व्वी हो ।
ख़जूर का कीमयाइ तजज़िया
- PROTEINS 2.0 FATS
- CARBOHYDRATE 24.0 CALORIES 2 . 0
- SODIUM 4.7 POTASSIUM 754 . 0
- CALCIUM 67.9 MAGNESIUM 58 .9
- COPPER 0.21 IRON 1.61
- PHOSPHORUS 638.0 SULPHUR 51.6
- CHLORINE 290.0
इसके अलावा और जोहर ( Proxides ) भी पाया जाता है । सुबह सहरी के बाद शाम तक कुछ खाया पिया नहीं जाता ! और जिस्म की कैलोरी ( Calorles ) या हरारे मुसलसल कम होते रहते हैं ! इसके लिए खजूर एक ऐसी मोतदिल और जामे चीज़ है ! जिससे हरारत एतिदाल में आ जाती है ! और जिस्म गूनाँगू अमराज़ से बच जाता है ! अगर जिस्म की हरारत को कन्ट्रोल न किया जाए तो मंदरजा जैल अमराज पैदा होने के खतरात होते हैं ।
1 . लो ब्लड प्रेशर ( Low Blood Pressure ) , फालिज ( Paralysis ) , लकवा ( Facial Paralysis ) और सर का चकराना वगैरा ।
2 . गिजाईयत की कमी की वजह से खून की कमी के मरीजों के लिए इफ़तार के वक्त फौलाद ( Iron ) की अशद ज़रूरत है और यह खजूर में कुदरती तोर पर मुयस्सर है ।
3 . बाज लोगों को खुश्की होती है ! ऐसे लोग जब रोज़ा रखते । हैं तो उनकी खुश्की बढ़ जाती है ! इसके लिए खजूर चूंकि । मोतदिल है ! इसलिए वह रोज़ादार के हक में मुफीद है । 1
4 . गर्मियों के रोजे में रोज़ादार को चूंकि प्यास लगी होती है ! और वह इफ़तार के वक्त अगर फौरन ठंडा पानी पी ले ! तो मेअदे में गैस , तबखीर और जिगर की वरम ( Liver ET Inflamation ) का सख्त खतरा होता है ! अगर यही रोजादार खजूर खा कर पानी पी ले तो बेशुमार खतरात से बच जाता है ।
( हिस्साअव्वल स . 186 )
इफ़तार के बाद की दुआ Roza Iftar Ki Dua Hindi Mein
اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ.
अल्लाहुम्मा इन्नी ल क सुम्तु व बि क आमन्तु व अलै क तवक्कलतु व अला रिज़ कि क अफ़तरतु
तर्जुमा – इफ़तार करने के बाद यह दुआ पढ़े तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मैंने तेरे लिए रोज़ा रखा और तुझ पर ईमान लाया !और तुझ पर भरोसा किया ! और तेरे दिए हुए से इफ़तार किया तो तू मुझ से इसको कुबूल फरमा !
इफ़तार कराने की फजीलत Roza Iftar Karane Ki Fazilat
निसाई व इन्ने राजीमा जेद विन खालिद जहनी रदियल्लाहो तआला अन्हुमा से रावी हैं कि फरमाया जो रोज़ादार का रोजा इफ़तार कराए या गिजा का सामान कर दे तो उसे भी उतना ही सवाब मिलेगा ।
( निसाई शरीफ )