Qurbani Ki Dua Hindi – इस पोस्ट में पढ़ेंगे आप – कुर्बानी करने का सही इस्लामी तरीका दुआ और नियत ( 21 ) मसाइल
Qurbani Ki Dua In Hindi
अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो ! इस पोस्ट में हमने क़ुर्बानी की दुआ ( Qurbani Ki Dua Hindi Mein) ! क़ुरबानी देने का इस्लामिक सुन्नी और सही तरीका और क़ुर्बानी के सारे मसाइल बताये है !और इसी पोस्ट में हमने क़ुरबानी की दुआ की हिंदी इमेज ( Qurbani Ki Dua Hindi Image ) ! और क़ुर्बानी की दुआ की इंग्लिश इमेज ( Qurbani Ki Dua English Image ) दोनों अपलोड की है !
आप पूरी पोस्ट जरूर पढ़े जिससे हमसे कुछ गलती न हो ! और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में हमारी क़ुरबानी कुबूल हो जाए ! आमीन
सबसे पहले जान लेते है क़ुरबानी करने का सुन्नत और सही तरीका क्या है ?
जैसे की क़ुरबानी के बकरे या जानवर को कैसे लिटाया जाए ! किस तरह ज़ब्ह किया जाए ! उस का रुख किस तरफ हो उसके पैर किस तरफ हो वगैरह वगैरह !
चाहे क़ुर्बानी हो या वैसे ही ज़ब्ह करना हो ! सुन्नत तरीका यही है कि ज़ब्ह करने वाला और ज़ब्ह होने वाला जानवर दोनों क़िब्ला रु हो ! मतलब साफ़ है की क़ुरबानी के जानवर को इस तरह लिटाया जाए की उसका रुख ( मुँह मुबारक ) काबा शरीफ ( क़िब्ला ) की तरफ हो और उसे उसके उलटे पैर के बल लिटाया जाए !
जानवर को लिटाने के बाद जानवर की गर्दन के ठीक पीछे ज़ब्ह करने वाला बैठा हो ताकि उसका रुख भी काबा शरीफ़ यानी क़िब्ला की तरफ हो जाए !
नोट – बहुत से हज़रात सोचते है कि ऐसा लिटाने से जानवर के पेर भी क़िब्ला की तरफ होंगे ! तो कोई बात नहीं सुन्नत तरीका ( Qurbani Karne Ka Sunnat Tarika Yahi Hai ) यही है इसी तरीके से ज़ब्ह करे
Qurbani Karne Ka Sunnat tarika
अब ज़ब्ह करने वाला अपना सीधा पैर जानवर की गर्दन के करीब पहलु पर रखे ! मतलब जहां से जानवर का सीधा पैर शुरू होता है वही ज़बह करने वाला अपना पैर का घुटना रखेगा !
याद रखे जानवर का रुख और ज़बह करने वाले का रुख दोनों काबा शरीफ की तरफ होना जरुरी है ! नहीं तो क़ुरबानी मकरूह हो जाएगी !
नोट – इससे पहले अगर गलतियां हो चुकी हो तो कोई बात नहीं ! अल्लाह हमारी नियत देखता है ! और क़ुर्बानी को क़ुबूल करना नही करना सब उसी के हाथ में है ! हमें बस नेक नियति से ज़ब्ह करना है !
और अब मसअला पता चलने के बाद हमसे कोई भी गलती ना हो इस बात का ध्यान रखना जरुरी है ! क्यूंकि वो रब्बुल इज्जत हमारी गलतिया तो मुआफ कर सकता है ! मगर जान बूझकर की गयी गलतियां मुआफ नहीं !
जब जानवर को सही तरीके से लिटा दिया जाए तब फिर क़ुर्बानी की दुआ पढ़े ! यह दुआ ज़बह करने वाला खुद अगर ना पढ़ सके तो जो हज़रात साथ में हो वो यह दुआ बुलंद आवाज़ में पढ़े
कोई भी दुआ या आयत पढ़े तो कोशिश कीजिये की अरबी ज़ुबान में ही लफ्ज़ अदा करे ! यहाँ हमने सिर्फ समझाने के लिहाज से हिंदी में क़ुरबानी की दुआ ( Qurbani Ki Dua Hindi Mai ) पोस्ट की है ! कुछ टाइपिंग में मिस्टेक हो तो मुआफ करे !
जानवर को बाएं पहलू पर तरह लिटाये की क़िब्ले को उसका मुंह हो ! और दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़े –
क़ुर्बानी की दुआ-
Qurbani Ki Dua In Hindi
इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ़ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफँव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन * ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन * अल्लाहुम्मा ल क व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर *
कह कर ज़िबह करे , फिर यह दुआ पढ़े – Qurbani Ki Dua in Hindi
* अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम *
नोट- अगर क़ुर्बानी (Qurbani) अपनी तरफ से हो तो मिन्नी और अगर दूसरे की तरफ से ज़ब्ह किया हो ! तो मिन्नी कीं जगह मिन फला कहें ! यानी उसका नाम ले !
मतलब अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन ( यहाँ जिसकी तरफ से क़ुरबानी हो उसका नाम ले जैसे- मिन कबीर , मिन नईम वगैरह ) कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम !
और अगर जानवर मुश्तरक ( शिरकत की कुर्बानी ) हो ! मतलब कुछ लोग मिलकर क़ुर्बानी कर रहे हो तो – ऊंट, भैंस वगेरह, तो फला ( मिन ) की जगह सब शरीको के नाम ले !
Qurbani Ka Aham Masla
नोट – कुर्बानी (Qurbani) का जानवर अगर खुद ज़ब्ह ना कर सके तो किसी सुन्नी सहीहुल अकीदा ही से ज़ब्ह कराएं ! अगर किसी बद अकीदा और बेदीन वगेरह से क़ुर्बानी का जानवर ज़ब्ह कराया तो कुर्बानी नही होगी !
ईसीं तरह हरगिज़ हरगिज़ किसी बद मजहब व बेदीन के साथ कुर्बानी में हिस्सा ना लें ! वरना आपकी कुर्बानी भी जाया (बेकार) हो जाएगी ! और गुनाह का बोझ सर पर आएगा वो अलग है ! ख़याल रहे कि क़ुर्बानी का गोश्त वगेरह कुफ्फार व मुश्रिक़ीन को देना मना है !
( फ़तावा रज़विया, फतावा फेजुर्रसूल )
बहुत सी जगह देखा गया है ! की ज़बह के वक़्त जो भी हज़रात वहा मौजूद होते है ! वो बा आवाज़ बुलंद अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ( पूरी तक्बीरे तशरीक़ ) पढ़ते रहते है ! यह अच्छा तरीका है !
ज़ब्ह के वक़्त जानवर के पेट पर घुटना या पाँउ ना रखिये इससे खून के अलावा ग़िज़ा निकलने लगती है !
ज़बह करने के बाद एकदम गर्दन अलग ना करे ! पहले जानवर को ठंडा होने दे ! क्यूंकि जानवर , ज़ब्ह होते ही उस वक़्त में तन्नाता है जिससे उसका सारा खून बाहर निकलता है ! और सब खून बाहर हो जाता है
Yahi Qurbani Karne Ka Sunnat tarika Hai
तब वह ठंडा हो जाता है ! वो सारा खून बाहर होने तक हमें जानवर को सहलाते रहना चाहिए !
नोट – जो क़ुर्बानी की दुआ देखकर पढ़ रहा हो तो याद रखे जिस किताब में देखकर पढ़ रहा है उसपे खून वगैरह के छींटे नहीं लगना चाहिए !
तर्जुमा ए कंज़ुल ईमान – मेने अपना मुँह उसकी तरफ किया जिस ने आसमान व ज़मीं बनाये एक उसी का होकर और मैं मुशरिकों में नहीं !
तर्जुमा ए कंज़ुल ईमान – बेशक मेरी नमाज़ और मेरी कुर्बानिया और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है जो रब सारे जहां का ! उसका कोई शरीक नहीं मुझे यही हुक्म है और में मुसलमानो में हूँ
ऐ अल्लाह तेरे लिए ही तेरी दी हुई तौफ़ीक़ से अल्लाह के नाम से शुरू अल्लाह सब से बड़ा है !
ऐ अल्लाह तू मुझ से ( इस क़ुरबानी को ) क़बूल फरमा जैसे तूने अपने खलील इब्राहीम (अलैहिस्सलाम ) और अपने हबीब मुहम्मद ( सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ) से क़बूल फ़रमाई
बहारे शरीयत ज़ि-3 स. 352
क़ुरबानी के मसाइल
मेरे प्यारे – प्यारे भाइयो और बहनो इसमें क़ुरबानी दुआ के अलावा क़ुरबानी के सारे मसाइल भी बताये गए है ! जिन्हे जानना बहुत जरुरी है ! आप सबसे गुजारिश है की क़ुरबानी के मसाइल जरूर पढ़े ! कहीं अनजाने में हमारी क़ुरबानी जाया न हो जाए !
नोट-अगर आप सिर्फ क़ुरबानी की दुआ पढ़ने आये है ! तो स्वैप करके पोस्ट के निचे की तरफ जाइये वहां आपको क़ुरबानी की दुआ हिंदी में और क़ुरबानी की दुआ की इमेज भी मिल जायेगी !
क़ुरबानी के मसाइल
1.जिन लोगों पर क़ुरबानी वाजिब नहीं वो अगर ज़िल्हज्ज के 10 दिनों तक बाल नाख़ून न काटें ! ऐसा करने से वो क़ुरबानी का सवाब पाएंगे
बहारे शरियत, हिस्सा 15,सफ़ह 131
2. साहिबे निसाब यानि जिसके पास है माल दौलत है ! या जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म यानी इस वक़्त के हिसाब से जितनी भी कीमत बन रही है उतनी रकम पास है ! या फिर अगर क़ुर्बानी के दिनों में मौजूद है तो उसपर क़ुर्बानी वाजिब है ! क़ुर्बानी वाजिब होने के लिये माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132
3. साहिबे निसाब अगर औरत है तो उस पर खुद उसके नाम से क़ुरबानी वाजिब है ! मुसाफिर और नाबालिग पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132
4. रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए गाड़ियां , घरेलु सामान जरुरत के सामान में दाखिल हैं
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 133 , फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160
5. हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो क़ुरबानी की ताकत रखने के बावजूद क़ुरबानी न करे ! तो वो हमारी ईदगाह के क़रीब न आये
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 129
6. 10,11,12 ज़िल्हज्ज को अल्लाह को क़ुरबानी से ज़्यादा कोई अमल प्यारा नहीं ! जानवर का खून ज़मीन पर गिरने से पहले क़ुबुल हो जाता है ! और क़ुरबानी करने वाले को जानवर के हर बाल के बदले 1 नेकी मिलती है
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह
qurbani ki jankari Hindi mein
7. जिसपर हर साल क़ुरबानी वाजिब है ! उसे हर साल अपने नाम से क़ुरबानी करनी होगी,कुछ लोग 1 साल अपने नाम से क़ुरबानी करते हैं ! दूसरे साल अपने बीवी बच्चों के नाम से क़ुरबानी करते हैं,ये नाजायज़ है
अनवारुल हदीस,सफ़ह 363
8. क़ुरबानी का वक़्त 10 ज़िल्हज्ज के सुबह सादिक़ से लेकर (ईद की नमाज़ के बाद से ) 12 ज़िल्हज्ज के ग़ुरुबे आफताब (असर ) तक है ! मगर जानवर रात में ज़बह करना मकरूह है
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 136
9. जानवरों की उम्र ये होनी चाहिए ऊँट 5 साल,गाए-भैंस 2 साल,बकरा-बकरी 1 साल,भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर साल भर के बराबर दिखता है तो क़ुरबानी हो जाएगी
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 139
10.काना,लंगड़ा,लागर,बीमार,जिसकी नाक या थन कटा हो ! जिसका कान या दुम तिहाई से ज्यादा कटा हो ! बकरी का 1 या भैंस का 2 थन खुश्क हो,इन जानवरों की क़ुरबानी नहीं हो सकती
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 139
11. मय्यत की तरफ से क़ुरबानी की तो गोश्त का जो चाहे करे ! लेकिन किसी ने अपनी तरफ से क़ुरबानी करने को कहा और मर गया ! तो उसकी तरफ से की गयी क़ुरबानी का पूरा गोश्त सदक़ा करें
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144
12. क़ुरबानी अगर मन्नत की है तो उसका गोश्त न खुद खा सकता है न ग़नी को दे सकता है,बल्कि पूरा गोश्त सदक़ा करे
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144
13. नबी करीम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने 2 मेढ़ों की क़ुरबानी की ! जो कि खस्सी थे !
मुसनद अहमद,अबू दाऊद,इब्ने माजा,दारमी बहवाला बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 130
14. क़ुरबानी का गोश्त काफिर को हरगिज़ न दे ! और बदमज़हब मुनाफ़िक़ तो काफ़िर से बदतर है ! लिहाज़ा उसको भी हरगिज़ न दें
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144
मसाइले क़ुरबानी
15. जो जानवर को ज़बह करे बिस्मिल्लाह शरीफ वोह पढ़े ! किसी दुसरे के पढ़ने से जानवर हलाल न होगा
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 121
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