Qurbani Karne Sunnat Tarika – अस्सलामो अलैकुम मेरे प्यारे-प्यारे भाइयो इस पोस्ट में ईद उल अज़हा से रेलेटेड सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश की गयी है ! यानी क़ुरबानी करने का सुन्नत तरीका ( Qurbani Karne Ka Sunnat tarika ) बताया है !
जैसे की क़ुरबानी के बकरे या जानवर को कैसे लिटाया जाए ! किस तरह ज़ब्ह किया जाए ! उस का रुख किस तरफ हो उसके पैर किस तरफ हो वगैरह वगैरह !
चाहे क़ुर्बानी हो या वैसे ही ज़ब्ह करना हो ! सुन्नत तरीका यही है कि ज़ब्ह करने वाला और ज़ब्ह होने वाला जानवर दोनों क़िब्ला रु हो ! मतलब साफ़ है की क़ुरबानी के जानवर को इस तरह लिटाया जाए की उसका रुख ( मुँह मुबारक ) काबा शरीफ ( क़िब्ला ) की तरफ हो और उसे उसके उलटे पैर के बल लिटाया जाए !
जानवर को लिटाने के बाद जानवर की गर्दन के ठीक पीछे ज़ब्ह करने वाला बैठा हो ताकि उसका रुख भी काबा शरीफ़ यानी क़िब्ला की तरफ हो जाए !
नोट – बहुत से हज़रात सोचते है कि ऐसा लिटाने से जानवर के पेर भी क़िब्ला की तरफ होंगे ! तो कोई बात नहीं सुन्नत तरीका ( Qurbani Karne Ka Sunnat Tarika Yahi Hai ) यही है इसी तरीके से ज़ब्ह करे
Qurbani Karne Ka Sunnat tarika
अब ज़ब्ह करने वाला अपना सीधा पैर जानवर की गर्दन के करीब पहलु पर रखे ! मतलब जहां से जानवर का सीधा पैर शुरू होता है वही ज़बह करने वाला अपना पैर का घुटना रखेगा !
याद रखे जानवर का रुख और ज़बह करने वाले का रुख दोनों काबा शरीफ की तरफ होना जरुरी है ! नहीं तो क़ुरबानी मकरूह हो जाएगी !
नोट – इससे पहले अगर गलतियां हो चुकी हो तो कोई बात नहीं ! अल्लाह हमारी नियत देखता है ! और क़ुर्बानी को क़ुबूल करना नही करना सब उसी के हाथ में है ! हमें बस नेक नियति से ज़ब्ह करना है !
और अब मसअला पता चलने के बाद हमसे कोई भी गलती ना हो इस बात का ध्यान रखना जरुरी है ! क्यूंकि वो रब्बुल इज्जत हमारी गलतिया तो मुआफ कर सकता है ! मगर जान बूझकर की गयी गलतियां मुआफ नहीं !
जब जानवर को सही तरीके से लिटा दिया जाए तब फिर क़ुर्बानी की दुआ पढ़े ! यह दुआ ज़बह करने वाला खुद अगर ना पढ़ सके तो जो हज़रात साथ में हो वो यह दुआ बुलंद आवाज़ में पढ़े
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क़ुर्बानी की दुआ – qurbani ki dua in hindi
इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ़ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफँव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन * ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन * अल्लाहुम्मा ल क व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर *
दुआ पढ़ने वाला जैसे ही अल्लाहु अकबर पर आये वैसे ही ज़बह करने वाला भी बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर कहता हुआ तेज़ छुरी चला कर ज़बह कर दे ! याद रखे जो ज़बह कर रहा हो उसे अल्लाहुअक्बर अल्लाहुअक्बर कहते हुवे ज़ब्ह करना है ! ऐसा नहीं किया तो मकरूह होगा !
ज़बह होने के बाद ये दुआ पढ़े –
अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
क़ुरबानी अगर किसी और की तरफ से हो तो मिन्नी की जगह मीन कहकर उस शख्स का नाम ले !
बहुत सी जगह देखा गया है ! की ज़बह के वक़्त जो भी हज़रात वहा मौजूद होते है ! वो बा आवाज़ बुलंद अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ( पूरी तक्बीरे तशरीक़ ) पढ़ते रहते है ! यह अच्छा तरीका है !
ज़ब्ह के वक़्त जानवर के पेट पर घुटना या पाँउ ना रखिये इससे खून के अलावा ग़िज़ा निकलने लगती है !
ज़बह करने के बाद एकदम गर्दन अलग ना करे ! पहले जानवर को ठंडा होने दे ! क्यूंकि जानवर , ज़ब्ह होते ही उस वक़्त में तन्नाता है जिससे उसका सारा खून बाहर निकलता है ! और सब खून बाहर हो जाता है
Yahi Qurbani Karne Ka Sunnat tarika Hai
तब वह ठंडा हो जाता है ! वो सारा खून बाहर होने तक हमें जानवर को सहलाते रहना चाहिए !
नोट – जो क़ुर्बानी की दुआ देखकर पढ़ रहा हो तो याद रखे जिस किताब में देखकर पढ़ रहा है उसपे खून वगैरह के छींटे नहीं लगना चाहिए !
तर्जुमा ए कंज़ुल ईमान – मेने अपना मुँह उसकी तरफ किया जिस ने आसमान व ज़मीं बनाये एक उसी का होकर और मैं मुशरिकों में नहीं !
तर्जुमा ए कंज़ुल ईमान – बेशक मेरी नमाज़ और मेरी कुर्बानिया और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है जो रब सारे जहां का ! उसका कोई शरीक नहीं मुझे यही हुक्म है और में मुसलमानो में हूँ
ऐ अल्लाह तेरे लिए ही तेरी दी हुई तौफ़ीक़ से अल्लाह के नाम से शुरू अल्लाह सब से बड़ा है !
ऐ अल्लाह तू मुझ से ( इस क़ुरबानी को ) क़बूल फरमा जैसे तूने अपने खलील इब्राहीम (अलैहिस्सलाम ) और अपने हबीब मुहम्मद ( सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम ) से क़बूल फ़रमाई
बहारे शरीयत ज़ि-3 स. 352