Qubani Ka Janwar – हदीस मे है कि आहजरत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से मालूम किया गया कि कुरबानी का जानवर ( Qurbani Ka Janwar ) कैसा हो ?
तो फ़रमाया – चार किस्म के जानवरो से बचना चाहिए ।
- ऐसा लंगड़ा जानवर जिसका लंगड़ापन जाहिर हो
- *ऐसा मरीज जिसका मरज़ जाहिर हो ।
- ऐसा काना जिसका कानापन जाहिर हाे
- और ऐसा दुबला जिसकी हहिडयाे में मेंग’ तक न रही हो ।
हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया कि आप ( सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ) ने हूक्म दिया कि कुरबानी के जानवर के आँख और कान वगैरा अच्छी तरह देख लिया करो । ऐसे जानवरो की कुरबानी मत करो . जिनका कान चिरा हो या कान में’ सूराख़ हो
भेड़ दुंबा और बकरा सिर्फ एक शख्स की तरफ से कुर्बान किया जा सकता है ! बैल भैंस और ऊंट 7 लोगों की तरफ से कुर्बान किया जा सकता है !
सारे शरीक़ को का कुर्बानी की नियत करना जरूरी है ! अगर किसी ने सिर्फ गोश्त खाने के लिए हिस्सा लिया हो तो दूसरे हिस्सेदारी की भी कुर्बानी नहीं होगी बकरा !
साल का भैंस 2 साल की ऊंट 5 साल का होना जरूरी है ! कम उम्र वाले की कुर्बानी दुरुस्त नहीं ! भेड़ और दुंबा 1 साल से कम का किया जा सकता है ! लेकिन शर्त यह है कि वह दिखने में साल भर का लगे !
अगर बेचने वाला जानवर की उम्र बताता है ! तो उस पर एतबार करना जायज है ! लेकिन अलामते उसके खिलाफ ना हो !
Qurbani Ka Janwar – कुरबानी का जानवर कैसा होना चाहिए ?
अगर कान या दुम का एक तिहाई हिस्सा कट गया हो ! तो कुर्बानी दुरुस्त नहीं ! इसी तरह अगर एक तिहाई आंख की रोशनी जाती रही हो ! तब भी जायज नहीं !
अगर दुबले जानवर की कुर्बानी कर दी तो दुरुस्त है ! मगर सवाब कम मिलेगी ! अगर इतने दांत गिर गए हो कि की मौजूद दांत उससे ज्यादा हो तो कुर्बानी दुरुस्त है ! वरना नहीं !
अगर पैदाइशी तौर पर कान ही ना हो तो कुर्बानी जायज है ! किसी जानवर के उम्र पर पहुंचने के बाद सिंग़ ना निकले हो उसकी कुर्बानी जायज है ! अगर दोनों थोड़े-थोड़े टूट गए हो ! तब भी जायज है ! अगर जड़ से टूट जाए तो जायज नहीं !
अगर किसी जानवर की दूम पैदाइशी तौर पर ना हो तो बाज ओल्मा कुर्बानी जायज करार देते हैं और बाज़ नहीं ! खस्सी की कुर्बानी करना जायज है !
हामला की कुर्बानी नहीं करना चाहिए अगर कर दी तो दुरुस्त है ! बच्चा निकले तो जी वह भी ज़ब्ह कर दे ! अगर किसी शख्स ने कुर्बानी का जानवर खरीदा !
उनमें कोई नुक्स पैदा हो गया और कुर्बानी देने वाला गरीब है ! तो कुर्बानी दे सकता है ! और अगर मालदार है तो दूसरा बकरा या जानवर खरीदना जरूरी है
अल्लाह हम सबको सही जानवर की कुर्बानी करने की तौफीक अता फरमाए
आमीन या रब्बुल आलमीन